Sunday, January 17, 2010

पंखुरियां

 वो क्षण जो हुए थे तुम्हारे साथ व्यतीत 
बन के रह गये केवल एक अतीत 
फिर भी तुम्हारी खुशबू की एक अलग पहचान है 
जो में अपनी साँसों में पाता हूँ 
मेरी साँसों में अब तुम्हारी खुशबू बंध गयी है 
दुनिया ने बदनाम कर दी यूँ ही मेरी बर्बादी 
मैं  जानता हूँ तुमसे मिलने के बाद ही 
तो ये ज़िन्दगी संवर गयी है 
.........
अच्छे बुरे कैसे भी थे हमारे थे, 
इन रिश्तों को आम मत बनाओ 
ये हमसफ़र शायद हमराज ना हो सकें 
इन्हें हमारे इश्क के अफ़साने मत सुनाओ 
कहीं ऐसा ना हो फिर उतर भी ना सके 
कमज़र्फ हैं ये, इन्हें मुहब्बत की शराब इतनी मत पिलाओ 
जो तुम्हारा हो गया ताउम्र किसी और का ना हो पायेगा 
ख्याल रहे इनके इतने करीब मत आओ 
वक़्त का क्या पता है 
संभल के रखना नाजुक क़दम गुलशन में 
यारो अभी से मेरी बर्बादी का 
जश्न  मत मनाओ 
........
मेरे साथ चलने का प्रयास ना करो 
तुम उस अगले मोड़ से पहले ही थक जाओगे 
इसलिए मेरे रास्ते का उपहास ना करो 
मैं तुम्हारा हो सकता होता तो यकीन जानो
तुम तक पहुँच ही ना पाता 
इस आज को जी लेना ही सही जीना है 
मेरा कोई इतिहास ना धरो 
हर सुखद प्रारम्भ का सुखद अंत 
ऐसा कोई नियम नहीं 
मैं जमा तुम हमेशा ही होता हम नहीं 
तुम चाहो तो मेरी 
इस बात का भी विश्वास ना करो 
मगर मेरे रास्ते का 
उपहास ना करो






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