Sunday, September 22, 2024

व्यंग्य: पति को काला कहना क्रूरता

 

                                                     





            मुझे पता था कि कभी न कभी हमारी भी सुधि ली जाएगी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने पत्नी द्वारा पति को बार-बार काला कहने को क्रूरता माना है और इसे तलाक का पर्याप्त कारण भी माना है। मैंने कितनी बार समझाया है कि हमारा देश संस्कारी देश है।  हम लोग अंधे को अंधा नहीं बोलते सूरदास बोलते हैं। आजकल तो अपंग को दिव्याङ्ग भी कहने लग पड़े हैं।  ऐसे में पति को काला कहना सरासर उसका अपमान है। अरे भई ! आप सांवला कह दो, पक्का रंग है कह दो।  ये क्या आप रंग भेद ले आए और सीधे-सीधे पति को काला कहने लग पड़े। इसका अर्थ है पत्नी जी अपेक्षाकृत गोरी होंगी। पर कुछ भी हो !  काले को काला कहना सरासर उसका अपमान है, घोर अपमान है। अब पत्नी जी को कौन समझाये कृष्ण भी काले थे। कहते हैं लैला काली थी पर एक मजनूँ था कि दिलो-जान से उस पर फिदा था। ऐसा नहीं है कि गाँव में गोरी लड़कियों की कमी थी। पत्नी जी ने वो गाना सुना ही नहीं  “गोरियान नू दफा करो”, या फिर “हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं”।  

 

             देखिए हमारे देश में पहले ही कितनी बातों को लेकर भेदभाव है। जाति का भेदभाव, धर्म का भेदभाव, अमीर-ग़रीब का भेद, पक्ष-विपक्ष का भेद, भाषा का भेदभाव। अब ये रंग का भी ले आए। जबकि अब तो ये रंग भेद साउथ अफ्रीका में भी खत्म हो गया है।

 

               इसलिए देश को एकता के सूत्र में बनाए रखने के लिए ज़रूरी है की पत्नियाँ पति पर ये क्रूरता बंद करें और उन्हें काला कहना बंद करें। यही बात पतियों पर भी लागू होती है वे अपनी जीवन संगिनी को कभी काला नहीं कहें। ऐसे संसार नहीं चला करता। दिल को देखो चेहरा न देखो।


कहने वाले कहते हैं ये जनम-जनम का रिश्ता है। इधर कुछ और ही भानगड़ चालू है यहाँ रंग से आगे ही नहीं बढ़ पा रहे। काला कहना एक चिढ़ है और किसी को चिढ़ाना अच्छी बात नहीं। किसी को कलुआ, कालू, कौव्वा, कालीचरण, कल्लू, गुलाब-जामुन, उल्टा-तवा कहना शराफत नहीं। इसमें उसका क्या दोष है भगवान ने देश-काल, जलवायु,  पूर्वजों के जीन्स से उसका निर्माण किया है। आप तो रंग में ही फंस के रह गए। मुझे तो और भी बड़ी क्रूरता की चिंता हो रही है कारण कि मैं काले के साथ-साथ गंजा भी हूँ। अभी तक तो यह सोच- सोच कर पत्नी जी दिल को बहला रहीं थीं कि गंजा है ! बहुत पैसे वाला और भाग्यवान होगा। हे श्याम ! रक्षा करना !  आना पड़े तो इस कलियुग में भी अपने गंजे श्यामवर्ण भक्त को बचाने में बाल बराबर भी संकोच न करना वरना मेरे जैसे गंजे-कालूराम कहाँ जाएँगे ?  

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