Monday, December 16, 2024

व्यंग्य: महिला प्रिन्सिपल की प्रेमी ने की पिटाई

 

                              


 

 

       हैडिंग से एक बात तो स्पष्ट है की इसमें प्रेमिका जो है सो प्रिन्सिपल हैं और प्रेमी जी जो हैं वो कोई या तो टीचर है या फिर कोई नालायक रहा स्टूडेंट है जो बड़ा होकर एक नालायक नागरिक कहिए, प्रेमी कहिए वह बनेगा। तफसील पढढ़ने पर पता चला दोनों किसी सिंगिंग एप पर मिले और ड्युट गाते गाते उनके दिल का सितार झनझना उठा। एप से बाहर निकल गायक महोदय अपना शहर छोड़ गायिका के शहर में ही आन बसे। इससे पता चलता है कि गायक महोदय कितना बडड़ा 'वेला' बोले तो फालतू इंसान रहा होगा।

 

                                     प्रेम गली अति साँकरी...

 

   अतः प्रेम गली में आप आ सकते हैं आपको अपना पद प्रतिष्ठा बाहर ही रख कर आना पड़ेगा। प्रेम फर्क़ नहीं करता कोई प्रिन्सिपल है या मास्टर, तालिब-ए-इल्म है या कोचिंगवाला है। मुखर्जी नगर वाला है या ओल्ड राजिन्दर नगर वाला।

 

      यही बात प्रिन्सिपल के प्रेमी महोदय को अखर गयी शायद। प्रेमिका लगता है प्रेमिका बनी नहीं और प्रिन्सिपल ही बनी रही। फिर लव स्टोरी फेल होनी ही थी। लेकिन ये पिटाई वाली बात हज़म नहीं हुई। ये बात प्यार-मुहब्बत से लड़ाई झगड़े से होते होते मार-कुटाई तक कैसे आन पहुंची?  ये तो प्रेमी-प्रेमिका के लक्षण नहीं होते। खासकर प्रेमी के तो बिलकुल भी नहीं। यह तो खलनायक टाइप लोगों के लक्षण हैं। बेचारी प्रिन्सिपल ने भी किससे दिल लगाया। जिसने न आपके प्रेमिका होने का मान रखा ना आपके प्रिन्सिपल होने का। ऐसा भी कहीं होता है। आप अपनी मर्ज़ी की मालकिन हो। आप अपने दिल की मालकिन हैं। पुरुषों की यही प्रॉब्लम है। वो प्रेमिका को अपनी मिल्कियत ही समझने लगते हैं। और चाहते हैं कि आप किसी और का ख्याल भी दिल में ना लाएँ और ना ही किसी की तरफ आँख उठा कर देखें। जैसा कि खबर में लिखा है आपको लगा कि आपको अपने पति के पास वापिस जाना चाहिए बस यही बात प्रेमी महोदय को बुरी लग गई। आप भी मेरी मानो तो इस बंदे की शिकायत पुलिस से कर दो देखते हैं कि पुलिस हवालात में शायद उसे प्रेम के कुछ गुर सिखाने में क़ामयाब हो जाये।

 

                            भय बिनु प्रीत नहीं

 

      जब पुलिस अपने डंडे चलाएगी तो अच्छे अच्छे प्रेम बरसाने लगते हैं। ये प्रेमी-प्रेमिका के लिए बैड एक्जाम्पल है। प्रेमी-प्रेमिका को ऐसे नहीं होना चाहिये। ऐसा नहीं करना चाहिए। क्या उदाहरण पेश किया है। कहाँ गए वो प्रेमी-प्रेमिका जो उफ नहीं करते थे। कलेजे पर पत्थर रख लेते थे। आँसू भी नहीं बहाते थे। आह भी नहीं भरते थे। एक ये जनाब हैं ! जो सरेआम मार-पिटाई पर ही उतर आए।

 

 

                           मैं तो कहूँगा मैडम जी आपने आदमी परखने में भूल कर दी। यह आपके प्रेम के लायक कभी था ही नहीं। आप अपने पति के पास लौट जाएँ और इस बेवफा हरजाई को भुला दें। यह आपके याद करने के काबिल नहीं। प्रेम में हिंसा को जगह कहाँ। हमने तो सुना था प्रेम गली में दो न समाएं। एक ये है जो अपनी ईगो अपनी तथाकथित मर्दानगी को भी इसमें घुसा लाया है और तो और उसका वीभत्स प्रदर्शन उसने पहले अवसर पर आपको और आप पर कर दिखाया। प्रेम कोमल हृदय स्पर्शी भावनाओं का अतिरेक होता है उसमें तो कड़वी बात तक नहीं करते। एक ये हैं महाराज !  जो लगे अपने मसल्स दिखाने। मेरा मानना है की ये बंदा प्रेमी मैटेरियल है ही नहीं। आप खुश रहें इसी कामना के साथ लेख की इतिश्री करता हूँ आप अपने प्रेम का अपने पति के साथ श्रीगणेश करें। वह समझदार होगा तो ज़रूर समझेगा।

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