Wednesday, May 28, 2025

व्यंग्य: मुझे मेरे दामाद से बचाओ

 

  

 

                शादी से पहले शादी के लिए लड़की देखने-दिखाने का प्रोग्राम चलता है। ऐसे प्रोग्राम सामान्यतः अरेंज शादी में होते है। जहां बड़े-बूढ़े बैठ कर शादी की अन्य औपचारिकताएं डिस्कस करते हैं। क्या मेन्यू ? क्या दहेज की डिटेल्स?  कितने चाचा, कितनी चाचियाँ, कितने साले कितनी सालियां उनके लिए क्या-क्या दरकार है आदि आदि। सास को क्या देना है? बाकी रिश्तेदारों को क्या-क्या लेना-देना है?

 

           अमूमन शादी के लिए देखने दिखाने की इस एक्जिबिशन में सयानी मां, दीदी वगैरह एक बात का और ख्याल रखते हैं। ऐसे मौकों पर अन्य लड़कियों को दूर रखा जाता है। खासकर सुंदर शादी के लायक उम्र की लड़कियों को। क्यों कि ऐसा होने पर कुछ नाटकीय भी हो सकता है जैसे- ये नहीं मुझे वो पसंद है। अतः ऐसे अवसरों पर वुड बी सालियों, कुंवारी सहेलियों को दूर ही रखा जाता है। जब तक कि बात फाइनल ना हो जाये।

 

             अब लड़कियों, चाहे सालियाँ हों या सहेलियाँ को दूर रखना समझ आता है कि वो शादी में कोई भाँजी ना मार दें। या चंचल लड़के का मन  फिर ना जाये।  पर एक बात बताइये ऐसे में मां को कहाँ ले जाया जाएगा? भाई मां ने तो साथ रहना ही है। अब गोंडा, बस्ती में ऐसा कांड हो जाएगा किसे उम्मीद होगी? किसी कारण से इस शादी की 23 वर्षीय भावी दूल्हे को मना कर दिया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 23 वर्षीय भावी दूल्हे महाराज और 44 वर्षीय सासु मां के बीच मीठी-मीठी बातें चालू हो चुकी थीं। ना केवल चालू हो चुकी थीं बल्कि बहुत दूर तक चली गईं थीं। वो कहते हैं ना दोनों में गाढ़ी छनने लगी थी। अब जब भावी दूल्हे की शादी की मना हो गई तो और निर्बाध रूप से घंटों बातें होने लगीं। क्या कहते हैं 'स्वीट नथिंग' का खूब आदान-प्रदान होने लगा। जिसका डर था वही बात हो गई। सास को लेकर भावी दामाद साब फुर्र हो गए या कहिए:

 

    दुनियां वालों से दूर जलने वालों से दूर

 

        भावी सास अपने भावी दामाद को लेकर ये जा वो जा। ससुर साब सोच रहे होंगे बेटी के हाथ तो पीले हो न सके। अपनी पत्नी से और हाथ धोने पड़ गए। आगे से ऐसे अवसरों पर न केवल सालियों, सहेलियों को दूर रखना है बल्कि दुल्हन की माँ को भी जहां तक हो सके पर्दे में रखिए। ज़माना खराब है।

 

     मां को दिखा नहीं देना जी दिखा नहीं देना

    ज़माना खराब है, मां को दिखा न देना

 

 उधर दूल्हे महाराज अलग काॅमेडियन महमूद साहब का 'आँखें' फिल्म का वो गाना गा रहे होंगे: 

   

         दीनार नहीं तो डॉलर चलेगा

       कमीज़ नहीं तो कमीज़ का काॅलर चलेगा 

      डाॅटर नहीं तो डाॅटर का मदर चलेगा

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