पत्नी को पति से प्यार के लिये कोई कारण नहीं
चाहिये। ना ही फायर करने को। विडम्बना ये है कि एक ही कारण से पत्नी आप पर मेहरबान
हो जाती है उसी कारण से आपको 'फायर' करती है। उसे वह प्यार कहती
है। प्यार की उसकी अपनी परिभाषा है। अतः पत्नी अगर फ्लाॅवर है तो वही फायर भी है, बस उसके मूड के ऊपर है। अगर उसने
डिसाइड कर लिया फायर करना है तो करना है। कुछ दिनों से मेरे नाश्ते को लेकर काफी
रौड़ा मचा हुआ था। क्या खाना चाहिए क्या नहीं। मैंने दरअसल अंडे के लिए मना कर
दिया था। कोई शाकाहारी-मांसाहारी का सवाल नहीं था बस मैंने देखा कि अंडा पचाने में
मुझे बहुत टाइम लगने लगा है। सुबह नाश्ते में अंडा खा लो, चाहे ऑमलेट या उबला हुआ, चाहे हाफ फ्राई या अंडे की बुर्जी।
मैंने पाया कि यह बहुत भारी हो जाता है। शाम चार बजे तक भूख ही नहीं लगती। दूसरे
शब्दों में लंच चौपट हो जाता है।
अतः घर में डिक्लेयर कर दिया कि मैं
अंडा नहीं खाऊँगा। अब विकल्प ढूँढे जाने लगे। कोई कितने पोहे खा लेगा। कोई कितनी
उपमा खा लेगा। कोई कितना ढोकला, कितने इडली-वडा रोज़ रोज़ खा सकता है। फिर कायदे का बनाना भी आना
चाहिए। आप हर आइटम के साथ या यूं कहिए अपनी बॉडी के साथ रोज़ रोज़ एक्सपेरिमेंट तो
नहीं कर सकते। अतः ये फाइनल हुआ कि दो-तीन तरह के मौसमी फल काट दिये जाया करेंगे।
आप उन्हीं में से कुछ कुछ खा लें और स्प्राउट खा लिया करें। मैं राज़ी हो गया।
अब रोज़ मुझ पर नज़र रखी जाने लगी या
बाई चांस मुझे खाता देख पत्नी जी ने कहा "फल ज़रूर खाने चाहिए। खासकर मौसमी
फल"। पत्नी को तो आपको उपदेश देना है। जबकि मैं फल ही खा रहा था। एक दिन फिर
उन्होने मुझे खाते देख लिया उनके अंदर की
साध्वी प्रज्ञा फिर जागृत हो गई। फल धीरे-धीरे चबा-चबा कर खाने चाहिए। हड़बड़ी में
नहीं खाने चाहिए। अभी ये फल-पुराण खत्म नहीं हुआ था उन्होने फिर एक दिन देख लिया
और ज़ोर दिया “इंसान को एक केला तो कमसेकम रोज़ खाना चाहिए, इससे आयरन की कमी नहीं रहती"। मैं
सोच रहा था अब रिटायर होने के बाद आयरन की कमी कहाँ से होगी। उल्टे ज्यादा हो गया
तो दवा खाते फिरो या और भाग-दौड़ करो।
मैंने अपने नाश्ते का टाइम चेंज
कर लिया और उनके उठने से पहले ही शांति से नाश्ता करने लगा। मगर एक दिन वो खुद ही
जल्द ही उठ गईं। मैं अपने जाने तो बहुत सावधानी से फल खा रहा था कारण कि मुझे पता
था मैं सीसीटीवी की तरह उनकी निगरानी में हूं। और लो जी इस सब के बावजूद उन्होने
एक ख़ामी पकड़ ही ली। “इंसान को फल एक-एक करके खाने चाहिए यानि पहले चीकू खत्म करो, फिर थोड़ा गैप दो। फिर खरबूज खत्म करो, फिर थोड़ा गैप दो। फिर पपीता खाओ, खत्म करो और फिर तरबूज खाओ खत्म करो।
ये नहीं कि कोई क्रम ही नहीं। कभी कांटे से तरबूज उठा रहे हो, कभी चीकू तो कभी पपीता।
मुझे इस बात की उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास
है कि ये मेरी आखिरी ख़ामी नहीं।
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