Monday, June 16, 2025

व्यंग्य: जज को जज

 

 

            हम सुनते हैं राजा - महाराजाओं के ज़माने में कैसे शहर मुंसिफ़, शहर क़ाज़ी, शहर कोतवाल और अदालत अमीरों के हित में और मज़लूमों के खिलाफ काम करती थी। ये रसूख, ये पैसा, ये नज़र, ये दस्तूरी, ये उपहार, ये भेंट, ये बच्चों के लिए मिठाई इत्यादि आदि काल से चले आ रहे हैं। ‘पहला सुख निरोगी काया...’ वाले दोहे में भी एक सुख ‘राज में हो पासा’ बताया गया है। सुधिजन के लिए ये दोहा इस लेख के अंत में पूरा दिया जा रहा है।

 

           अब आप देखिये कैसे हमें ये यकीन दिलाया जाता है कि हम आपके लिए पूर्णतः निष्पक्ष न्याय व्यवस्था लेकर आए हैं। इन लोगों ने सांसारिक सुखों से मुंह मोड़ लिया है, कोई वास्ता नहीं है। ये सब पहुंचे हुए लोग हैं इनका ‘सेल्फ एक्चुलाइज़ेशन’ हो चुका है। इनके लिए धन धुलि समान हो गया है। अब आप समझ गए होंगे कि एक जज साब के आउट हाउस में यही तो हो रहा था धन को धूलि/राख़ में बदला जा रहा था। समस्त मानवता इनकी अपनी हैं अथवा इनकी नहीं है। अतः ये बेस्ट फैसले सुनाएँगे। आपको यकीन नहीं अथवा आप संतुष्ट नहीं तो आप ऊपर की अदालत में जा सकते हैं। ऐसा करते-करते आदमी वाकई ऊपर चला जाता है। अब पता नहीं उस ऊपर की अदालत का निज़ाम कैसा चलता है। किसी ने कभी विस्तार से बताया नहीं या कहिए कोई बताने को लौटा ही नहीं।

 

         सोचने वाली बात ये है कि लेटेस्ट पता चला है कि एक अर्दली महोदय कोर्ट के भीतर ही अपनी बेल्ट में क्यू. आर. कोड खोंसे विचरण कर रहे थे। अब वो कोई केले, संतरे खरीदने को अथवा जागरण के लिये चन्दा तो इकट्ठा कर नहीं रहे थे। पर यह एक बानगी है, झांकी है। देखो हम कितनी बड़ी डिजिटल क्रांति के चश्मदीद गवाह हैं । क्या चाय की टपरी वाले, क्या चाट-पकोड़े वाले, क्या भिखारी बंधु सब आजकल अपना-अपना क्यू . आर. कोड लिए हैं। इंप्रेस होने की बात ही है। इसी की क्लाइमेक्स है ये अर्दली महोदय का कोर्ट में यूं खुल्लमखुल्ला  क्यू. आर. कोड बेल्ट में खोंसे घूमना।

 

 

     कबिरा घूमें कोर्ट में लिये क्यू आर कोड लटकाय

     जो पहले पे.टी.एम. करे सो विजयी हो आय

 

 

       हम हिन्दुस्तानी शायद टेम्परामेंट से जुगाड़ू लोग होते हैं। कहीं लंबी क्यू देखी जुगाड़ खोजने लग जाते हैं। ड्राइविंग लाइसेन्स हो, स्कूल में दाखिला हो, पासपोर्ट हो, नौकरी हो, नौकरी की परीक्षा हो, पेपर लीक का केस हो या फिर इंटरव्यू का, हमारी पहली प्राथमिकता होती है, जुगाड़ देखो, जुगाड़ ढूंढो। किसी का चाचा, मामा, दोस्त, अंकल, सगे वाला, जात वाला ज़रूर ही विभाग में निकल आएगा। सूत्र मिलते ही क्या विजयी भाव आता है मन में, देखते ही बनता है। 

 

 

     पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में हो माया

     तीजा सुख सुत आज्ञाकारी, चौथा सुख वचन में नारी

     पांचवा सुख भाईयों में वासा, छठा सुख राज में पासा

 

        जुगाड़-मेव जयते!

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