Wednesday, June 25, 2025

एक दूल्हे की अभिलाषा

 




चाह नहीं मैं सोनम के नीले ड्रम में कटा पाऊँ

चाह नहीं, शिलांग की गहरी खाई में गिराया जाऊँ

चाह नहीं, हनीमून के बिस्तर पर ही शव बन जाऊँ,

चाह नहीं, दूल्हा बन भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे छोड़ देना प्रिये उस पथ पर देना तुम फेंक,

बिन ब्याहे दूल्हे जिस पथ जाएँ अनेक

 

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