Saturday, September 13, 2025

व्यंग्य: कनाडा की डॉक्टरनी और मस्त मरीज

 

                                                                   


 

 

एक खबर के मुताबिक कनाडा में एक महिला डॉक्टर अपने मरीजों को जो बेसुध बेहाल और बेहोश पड़े होते हैं उनके साथ वह डॉक्टरनी ‘अभद्र’ व्यवहार करती थी। दोनों पार्टी खुश शिकायत करेगा तो कौन ? मरीज तो पहले ही बेहोश, बेहाल हैं। वह तो सोचते होंगे कोई सन्निपात जैसी स्थिति में सपना देखा है। सपने सुहाने अस्पतालन के... मेरे  नयनों में डोले बहार बनके।  पीछे दिल्ली में एक कॉल गर्ल रेकेट सामने आया था जिसमें वर्कर अपने आप को थिरेपिस्ट बता रही थीं और मेडिकल कॉल पर आयीं हुईं थीं।

 

यह मात्र संयोग नहीं हैं अलबत्ता प्रयोग ज़रूर हैं। देखिये मेडिकल फील्ड ने कितनी तरक्की कर ली है। जल्द ही कनाडा से यह तरक्की फैलते फैलते पूरी दुनिया में छा जाएगी। यह मामूली बात नहीं है। पिछले दिनों एक टीचर को पुलिस ने पकड़ा था जिसने अपने स्टूडेंट को ही ‘सेवा’ मेन लगा रखा था। पकड़े जाने पर उसने बिंदास कह दिया की यह सब म्यूचल कन्सेंट से होता था अतः इसमें पुलिस अथवा लड़के के माँ-बाप का क्या लेना-देना। एक डॉक्टर ने मुझे बताया था कि एक साइक्लोजिकल डिसॉर्डर होता है जिसमें महिला तैयार त्यौर होकर रोजाना बिला नागा अस्पताल आ जातीं हैं। आउटिंग कि आउटिंग हो जाती है। और संगी साथियों से हॅलो हाय हो जाती है और सबसे बड़ा मनपसंद डॉक्टर को अपनी काल्पनिक पेट की समस्या अथवा कोई अन्य काल्पनिक समस्या का ज़िक्र करती हैं और फूल चेक अप का इनसिस्ट करतीं हैं। ए टू ज़ेड।

 

अब यह कनाडा की डॉक्टरनी  को क्या ही तो कमी रही होगी। या फिर वो कोई रिकॉर्ड बनाने निकली थी। एक खबर ये है कि उसकी प्रेक्टिस / क्लीनिक ठीक नहीं चल रहा था अतः उसे यह पी आर की युक्ति सूझी। अब आप ही बताओ इस युक्ति के आगे अच्छे अच्छे डॉक्टर और उनके क्लीनिक फेल हैं। मैं सोचता हूँ यह स्थिति यदि भारत में हो तो मरीज मौज में हो जाएँगे। बार बार वो उसी डॉक्टर से इलाज़ कराना चाहेंगे। और तो और ज़िद करेंगे कि आप हमें बेहोश न करें प्लीज़।

 

                      बा-होशोहवास मैं दीवाना आज वसीयत करता हूँ

                    ये दिल ये जां मिले तुमको मैं तुमसे तवक़्क़ो करता हूँ

 

    अब आप बेहोश बेहाल बेसुध ही कर दोगे तो हमारा क्या ? आप कुछ तो हमारे तीर-ए-नीमकश का भी पास रखें। आप चाहें तो हमसे पहले ही इंडेमिनिटी बॉन्ड साइन करा लें जी। पर प्लीज़ बेहोश न करें और अगर करना ही है तो अपनी आँखों के जाम से करें नहीं तो असली जाम से करें । अपने को कहाँ ज्यादा दरकार है। फकत दो पेग काफी होंगे। आखिर मरीज हैं वहाँ किसी को क्या पता चलना है कि कौन सी दवा-दारू चल रेली है।  प्रसंगवश बताना चाहूँगा कि जिन डॉक्टर की बात हो रही है वे भारतीय/भारतीय मूल की ही हैं।     

 

 

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