Friday, January 22, 2010

सीपियाँ



तितलियों की बस्ती में, फूल ने ख़ुदकुशी कर ली.
गली में रोज मचाता था वो जागते रहो का शोर
आज सुबह उसी ने, राहजनी कर ली.
यारब अब क्या होगा इन मुसाफिरों का ?
सुना है! मांझी ने तूफ़ा के यहाँ नौकरी कर ली.
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चाँद पे तेज़ाब फेंक भाग गया
कोई कल रात.
इतने तारों की भीड़ में कहाँ उसे खोजें ?
अंधेरे का फ़ायदा उठा भाग गया
कोई कल रात.
कहाँ-कहाँ ढूढेंगे सबूत आप
जिस चौराहे पर हुआ था बलात्कार
वहाँ मंदिर बना गया
कोई कल रात .
....................

नीर वही
तीर वही
बस पानी की रवानी
बदल गयी है.
पीर वही
कसक वही
बस दर्द की कहानी
बदल गयी है.
मैं वही
तुम वही
बस दुनियादारी
बदल गयी है.
क्या क्या बदल गया ?
आके देखो आदम तुम
प्रेमी वही
प्रेमिका वही
बस, प्यार
बदल गया है.
बाज़ार वही
खरीदार वही
बस कारोबार
बदल गया है.  



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