Thursday, March 25, 2010

एहसास

21.
जिनके ख्याल में हम

दुनियाँ भुलाए बैठे हैं

उनकी बेखयाली को क्या कहें
वो हमी को भुलाए बैठे हैं

22.

होंठ सिल के काटी है अब तक

आगे भी बशर हो जाएगी

आह भी की हमने तो

ज़माने को खबर हो जाएगी

23.
मेरी मईयत पर न डालो फूल
तुम ज़िंदगी भर मुझ पर हँसते रहे

आज फिर फूलों के बहाने

तुम चले आए मेरी मौत पे मुस्कराने

24.

मैंने भी खुद को ख़त्म करने की कसम खायी है

इस खुदी को बेखुदी से बदल लूँगा
तू खुश रह अपने गुले-गुलज़ार में

मेरा क्या ? मैं तो काँटों से भी बहल लूँगा.

25

यादों के साये में जी लेंगे हम, तुम्हारी कसम

हिज़्रे वीरां में काट लेंगे उम्र, तुम्हारी कसम
किस कमबख्त को परवाह है अपने बर्बाद होने की

हर साँस में करेंगे तुम्हें आबाद, तुम्हारी कसम

26.

अपने इशारों पर ज़माना लिए फिरती हो

हर एक सुर में एक तराना लिए फिरती हो

मेरी प्यास से पूछो कीमत अपनी आँखों की

दो आँखों में जहाँ भर का मयखाना लिए फिरती हो

27.

करार मत दे लेकिन मैं दर्द भी नहीं चाहता

दवा मत दे लेकिन मैं मर्ज भी नहीं चाहता

यूँ किसके दिये पर किस की बशर हुई आजतक

तू प्यार मत दे लेकिन मैं नफरत भी नहीं चाहता

28.

साथ तू रहे तो बंजर भी हरियाली है

साथ तू रहे तो अमावस भी ऊषा की लाली है

साथ तू रहे तो मैं मर के भी जी लूँगा

साथ तू रहे तो विषघट भी अमृत की प्याली है
29.
आप छोड़ आए थे हमें हमारे हाल पर
मगर हम खुश रहे अपनी तन्हाइयों में भी
टूटे दिल की आह लेकर किसकी बशर हुई

आप तड़पते रहे मुहब्बत की शहनाइयों में भी

30.

उसकी खामोशी भी बोलती है

तुम एक बार सुन कर देखते

पेश्तर इसके काफिर कहो मुझे

काश उस हसीन बुत को तुम भी इक बार देखते

(काव्य संग्रह 'एहसास' 2003 से )

No comments:

Post a Comment