Ravi ki duniya
Thursday, March 25, 2010
मेरा आज का शेर
दोनों हथेलियों में सूरज को थाम
उसकी पेशानी पे लिखना है इक नाम
अपने होठों से उसकी पलकों को पैगाम
जलते रहना मेरा नसीब,रोज़ मरना मेरा काम
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