आजकल पार्टियां जितनी भी योजनाओं की
घोषणाएँ कर रही हैं सब बहनों या मईय्या से संबन्धित हैं, उनके लिए हैं। बेचारे
ग़रीब भईय्या लोग को कोई पूछ ही नहीं रहा है। भाई है तो बहन है। मगर नहीं। जिसे
देखो वही कहीं लाड़ली बहना, कहीं प्यारी बहना, कहीं मईय्या सम्मान निधि, कहीं बेटी की पढ़ाई लिखाई तो कहीं उसको साइकिल, कहीं स्कूटी। अब
भईय्या लोग कहाँ जाएँ ?
मेरा सभी राजनैतिक पार्टियों से अनुरोध
है कि आपको असल में 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' सफल बनाना है और प्यारी बहना को सार्थक करना है तो राजा भाईयों का भी तो कुछ
ख्याल करें। नहीं तो प्यारी बहना के सब पैसे लेकर इस लाड़ले भाऊ ने जुआ और शराब
में लुटा देना है। क्या आप, क्या आई-वडिल क्या ताई, क्या लाड़ली बहन सब हाथ मलते देखते रह जाएंगे। ऐसा नहीं होना चाहिए। आप को
समानता लानी चाहिए। ये क्या ? जो योजना आ रही है वो या तो मईय्या लोग के लिए है या फिर बहना लोग के लिए। अब
ये पति, ये भाई लोग कहाँ जाएँ ? क्या वे किसी और देश में जाकर बस जायें। जहां उनके लिए भी कोई योजना चल रही
हो।
पहले ही इन बहनाओं ने, आई मीन पापा की परियों ने सारे शहर में धमाल मचा रखा है। मनमर्जी कर रही हैं।
बोले तो मनमानी कर रही हैं। जिसे देखो उसे फंसा देती है। कभी दहेज के मामले में।
कहीं मानसिक उत्पीड़न में। अब वो भी बेचारा किसी का भाई है। भाऊ है। अता काय कराय
चा है ?
अब आप ही हम को उनका ग़ुलाम बनाने को तुले
हैं तो कोई क्या करे ? मईय्या अलग ताने मारती है "दिन भर घर में बैठा-बैठा रोटी तोड़ता रहता है
कोई काम-धंधा क्यूँ नहीं करता ?" अब उन्हें कौन समझाये
देश पर कितना संकट चल रहा है। सेंट्रल विस्टा बन रहा है। भारत पुरानी ग्लोरी को पा
रहा है। सनातन स्थापित हो रहा है। पाकिस्तान थर-थर कांप रहा है। मगर वो ये बातें
नहीं समझती। वो कहती है मुझे कोई नौकरी करनी चाहिए। मैंने बताया उसको कि नेता जी
ने कहा है 'नौकरी लेने वाले नहीं नौकरी देने वाले बनो'। इसी तर्ज़ पर मैं
जल्द ही एक अपने 'लाइक माइंडड' फ्रेंड्स का गिरोह बोले तो ग्रुप बना रहा हूँ। अब कुछ छिनैती, कुछ डकैती, कुछ ऑन-लाइन स्कैम, कुछ डिजिटल अरेस्ट
किया करेंगे। जो इसमे लगे हैं उनकी लाइफ स्टाइल बदल गई है। अब वो ना बीड़ी पीते हैं
न देसी पीते हैं। सिगरेट और अंग्रेजी विस्की पीते हैं। कुछ- कुछ अंग्रेज़ी भी बोलने
लग पड़े हैं। मैंने भी ये हैक करने वाला और ओ.टी.पी. वाला बिजनिस ही करना है। जब तक
वो नहीं होता तब तक सरकार को कुछ तो अपने लाड़ले भाऊ के वास्ते भी करना चाहिए। सब
ओर पापा की परियों, प्यारी बहनाओं के लिए होगा तो भाऊ लोग कहाँ जाएँगे ?
मेरा सभी पाॅलिटिकल पार्टीज़ से अनुरोध है कि हम भाईयों को न भूलें। हम ही आपके
लिए मतदान के समय एक-एक भाई बीस-बीस वोट डालता है। झूठी सच्ची बातें बना-बना कर
मतदाताओं को आपकी पार्टी को वोट देने के लिए बूथ तक लाता है। जो नेता जी रटा देते
हैं, वही नारे हम लगाते
हैं। आपके लिए लाठी खाते हैं, कहीं-कहीं तो जान पर खेल जाते हैं। आप जब कहते हो जौन सी यात्रा पर जाने को
कहते हो उस पर जाते हैं। काँवड़ हो, कुम्भ हो। हम हाजिर मिलते हैं, बहना नहीं। अतः हमारे लिए भी कुछ जल्द से जल्द सोचा जाये।
आप ये ना सोचें कि नौकरी मिलने पर
हम आपको छोड़ देंगे। कतई नहीं। हम आपके एक काॅल पर हाजिर मिलेंगे। आप हमको पन्ना
प्रमुख से ज्यादा प्रमुखता से हर जगह पाएंगे। फौरन से पेश्तर 'प्यारे भाई' योजना की घोषणा करें
प्लीज़ और कुछ नहीं तो गुटखे का खर्चा पानी तो निकले। ये हमारे शहर का 'यूथ' नाहक ही अधीर हो रहा
है। हम लोग समुचित तौर पर ट्वीट कर रहे हैं और ट्रोल भी कर रहे हैं। आपके वाट्स-अप
मैसेज भी हम खूब चारों ओर फैला रहे हैं। अतः अब हमारा टर्न है। हम भी आपकी ही
संतान हैं आपकी ही इन प्यारी बहनाओं के नल्ले भाई हैं। आप नाम कुछ भी रखो कुछ भ्रातृवृति
हमें मिलनी ही चाहिए। हम आपके 'फुट सोल्जर' हैं। हमारा भी कुछ ख्याल रखा जाये बस यही मन की बात आपसे करनी थी।
भूल चूक माफ।