खबर है कि वाराणसी में एक शादी के भोज में
जब पनीर की सब्जी परोसी गई तो सब्ज़ी में पनीर न पाकर युवक को इतना क्रोध आया कि
उसने शादी के शामियाने में अपनी मिनी वैन घुसा दी और छह लोगों को रौंद दिया। बेहतर
रहता कि वह इन लोगों को पनीर की सब्ज़ी की रेसिपी बताता। यह तो वही बात हो गई कि
कल को शिमला मिर्च की सब्ज़ी में शिमला न मिले तो कोई अपना ट्रक घरातियों पर चढ़ा
दे। जिन पर मिनी वैन चढ़ी है वो तो मुझे लगता नहीं ज़िंदगी में कभी पनीर की सब्ज़ी
खाएँगे।
शादी-ब्याह का
यही रोना होता है। आप नॉन-वैज की टेबल पर देखो कैसे लोग चमचे को अंदर-अंदर डुबकियां लगवा कर देखते हैं कि कहीं
कोई लैग पीस मिल जाये। ‘वी दि नॉन वैज पीपुल ऑफ इंडिया’ लैग-पीस के दीवाने हैं। गोया कि अगर
लैग पीस नहीं मिला तो ब्याह पक्ष की टांग उखाड़ देंगे। चलो! चिकन तो महंगा मिलता
है। कितना ही फार्म का और नकली चिकन केमीकल वाला ले आओ, आता महंगा ही है। पनीर के साथ तो ऐसा
नहीं होना चाहिए। कारण कि आजकल तो इतना नकली पनीर चल गया है। ऐसा पनीर ही तो शादी
ब्याह में बहुत बड़ी मात्रा में खपता है। ऐसा पनीर बैंकेट हॉल और होटल में खूब चलता
है। फिर भी कम पड़ गया? कमाल है !
एक बात है यह
घटना एक तरह से उदाहरण के तौर पर लोग बताया करेंगे खासकर शादियों में “भैया ! पनीर
की सब्ज़ी में पनीर जरा ठीक-ठाक लाना नहीं तो याद है ना वो बनारसै वाला हाल
करेंगे।“ कई मनचले तो यह भी कहेंगे "बनारस वाली घटना फीकी पड़ जाएगी वो हाल
करेंगे"। ऐसा कहते हैं शादी-ब्याह में रूठना-मनाना, छोटी-मोटी लड़ाई आम बात है। शायद यह एक
तरह का शगुन होता हो। कारण कि लड़ाई, क्या युद्ध के सब उपकरण तो मौज़ूद ही रहते हैं, क्या घोड़ी, क्या सवार, क्या लूट का माल, क्या तलवार, क्या अस्सलाह, भले हर्ष फायरिंग के लिए सही।
सोचने वाली बात ये है कि शादी में सब
ये ही क्यूँ चाहते हैं कि खातिरदारी ऐसी हो कि बस भूतो न भविष्यति। इस दिशा में
लोगबाग कोई कसर भी नहीं छोड़ते। आजकल तो शादी एक, और भोज दस-दस। कभी लेडिस-संगीत के नाम
पर, कभी
कॉकटेल के नाम पर, कभी रिशेप्शन के नाम पर। अब कोई कहाँ तक पनीर लाये। गेस्ट लोगों ने
तो पनीर में पनीर ढूँढना ही है। वो भी तो कोई न कोई बहाना ढूंढ रहे होते हैं। कहते
होंगे अपने ड्राइवर, अपने क्लीनर को "तू गाड़ी, मिनी वैन स्टार्ट करके रखना मैं जरा
पनीर की सब्जी देख कर आता हूँ, पनीर होगा तब तो ठीक है नहीं तो मैं इशारा
करूंगा तू चढ़ा देना ऊपर"।