नेताजी ने कहा है कि
उनके प्रदेश में बलात्कार और मर्डर के लिये टी.वी. जिम्मेवार है न कि उनकी सरकार. मैं
नेताजी से पूरे के पूरे 404 % सहमत हूं. इतने ही विधायक हैं उनके सदन में. ये टी. वी.
वाले ही हैं जो हरदम बलात्कार और मर्डर दिखाते हैं और न केवल दिखाते हैं बल्कि सिखाते
भी हैं. मैं तो कहूंगा नेताजी देश का हो न हो आपके प्रदेश की हर समस्या का जिम्मेवार
आप नहीं टी.वी. है. अब देखिये न आपने इन ‘लड़कों’ को लैप टॉप
दिये कि इन्हें इंटरनेशनल एक्स्पोजर मिले. पर ये अपने अपने लैप टॉप पर इंटरनेशनल के
नाम पर कुछ और ही देखते रहे. और यहां तक कि चुनाव में आपको वोट देना ही भूल गये. मेरी
मानो तो इनसे आप ये लैप टॉप छीन ही लो. इन्होने आपके उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त कराई, आप इन्हें दी गई साइकिल और लैप टॉप ज़ब्त करा लें.
वैसे आप इन सब के लिये
‘विदेशी हाथ’ को भी जिम्मेवार ठहरा
सकते हैं. खासकर तब जब कि यू.एन.ओ. और अमेरिका वाले आपकी सरकार की आलोचना कर रहे हैं.
आप कहिये कि टी.वी. पर बेफालतू के सीरियल्स के चलते सब तरह के माफिया सक्रिय हो गये
हैं जैसे कि बालू माफिया, भू माफिया, खनन माफिया.पानी माफिया.
आप तो कहिये ये माफिया शब्द आया ही टी.वी से है. अत: टी.वी. पर बैन लगना जरूरी है.
झगड़े फसाद के लिये भी टी.वी. ही जिम्मेवार है. हर समय टी. वी. पर कोई न कोई कचरा फिल्म
या प्रोग्राम चलता होता है. कहीं बच्चे नाच रहे हैं. कहीं उनकी मम्मी नाच रही हैं.
सास साज़िश रच रही है. बहू अपने अलग षडयंत्र में बिज़ी है. अब चौवींसौ घंटे ‘लड़के’ ये
सब मारामारी, मर्डर, बलात्कार देखेंगे तो
यही सीखेंगे भी. अनाढ़ी अनजान लोग खामाख्वाह आपकी साफ सुथरी सरकार को दोष दे रहे हैं
और बदनामी कर रहे हैं. न टी.वी. होता, न मुजफ्फरनगर का दंगा होता.
न टी.वी. होता न भैंसें घर से भागतीं.
आप बिजली, पानी की समस्या के
लिये भी टी.वी. को ही जिम्मेवार ठहरा सकते हैं. ये सारा का सारा क़सूर टी.वी. का है.
‘डेलीबरेटली’ आपके प्रदेश को बदनाम करने की साज़िश है. ये सारे दिन टी.वी. देखते हैं
जिससे सारी की सारी बिजली उसी में खर्च हो जाती है. अब खेत की सिंचाई और घर की लाईट
पंखा चलाने को बिजली बचती नहीं है. अब इसमें सरकार का क्या दोष ?. वैसे इन नाशुक़्रों को बिजली दे कर
करना भी क्या है. आपने इनके लिये क्या क्या न किया ? साईकिल दी, लैप टॉप दिया और ये नालायक वोट किसी और को दे आये. मेरी मानो तो आप इन्हें
बिजली तो कतई मत दो फिर देखते हैं ये कैसे टी.वी देखते हैं. मोमबत्ती से देखेंगे क्या
?, या फिर लालटैन में देखेंगे ? चार छ:
महीने आप बिजली नहीं दोगे तो अगलों ने खुद ही अपने-अपने टी. वी., ओ. एल. एक्स पर बेच देने हैं.
मैं तो कहूंगा आप अपनी हर समस्या को टी.वी पर डाल सकते
हैं. मसलन अगर प्रदेश में सूखा पड़े तो आप कह सकते हैं कि लोग टी.वी देखने में मशगूल
रहते हैं बिजली सारी की सारी टी.वी. देखने में खर्च कर देते हैं. ट्यूब वैल के लिये
बिजली बचती ही नहीं. अगर बाढ़ आ जाये तो कहें कि बाढ़ की रोकथामके लिये जो 280 सदस्यीय
शिष्ट मंडल यूरोप गया था और करोड़ों की लागतसे मशीनें लाईं गईं थीं वो चलेंगी तो बिजली
से ही. अब आप सारी की सारी बिजली टी.वी. पर खर्च देंगे तो ये मशीनें चलेंगी कैसे ? बाढ़ तो आनी ही हुई.
एक सुझाव ये भी है कि आप एक 404 सदस्यीय विधायकों का
शिष्टमंडल यूरोप, अमेरिका अफ्रीका और आस्ट्रेलिया ले
कर जायें और वहां के बलात्कारों का गहन अध्ययन करें तथा तुलनात्मक ब्योरा ले कर कुछ
स्टडीज करें जो ये प्रूव कर सके कि कैसे बलात्कार के मामले में आपका प्रदेश पिछड़ा हुआ
है क्यों कि कितने कम बलात्कार होते हैं इन देशों के मुकाबले. परिणामत: ये सब हो हल्ला
और कुछ नहीं है बस आपके प्रदेश को बदनाम करने की नापाक साज़िश है. आप और आपका परिवार
सुरक्षित है इससे बढ़ कर सबूत और क्या होगा कि सब ठीकै ठाक है आपके प्रदेश में.
आपके प्रदेश में है दम, ये बार बार प्रूव हो रहा है. कभी
बदायूं में, कभी बुलंदशहर में, कभी अलीगढ़
में. कभी मुजफ्फरनगर में. तो नेताजी मेरे थोड़े लिखे को बहुत समझना और सीरियसली टी.वी.
को अपने प्रदेश में बैन कर दें. कमसेकम अगले चुनाव तक तो कर ही दें.
नोट : आप कुछ देशों, प्रदेशों के
बलात्कार के पिछले दस बरसों के आंकड़े दशमलव के तीन स्थानों तक जुटा लें और देश को गाहे
बगाहे बताते रहें कि कैसे आपके प्रदेश में अमुक प्रदेश अथवा अमुक देश के मुकाबले .003
% कम बलात्कार होते हैं
Very very good.
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