मैं समझता था बीड़ी और बलात्कार का कोई रिश्ता नहीं होता। अब पता चला कि दोनों में बहुत गहरा सम्बंध है। एक सूबे के एक पार्टी के चीफ जब बलात्कार के आरोप में अंदर हुए तो उनकी बिरादरी के लोगों ने पंचायत की और एकमत से इस बात पर सहमति हुई कि जब मौज्जिज बीड़ी भी नहीं पीता है तो वह बलात्कार कैसे कर सकता है ?
इससे कई बातें स्वयं सिद्ध होती है जैसे कि जो बीड़ी पीते हैं उनसे सावधान रहने की ज़रूरत है। न जाने कब अगला बीड़ी पीते-पीते बलात्कार पर उतर आए। उससे ज्यादा इस बात का भी खतरा है कि यदि कोई भद्र महिला आपके आस-पास बीड़ी पी रही हो तो आदमियों को सावधान रहने की ज़रूरत है। इस पंचायत में यह नहीं बताया गया कि कौन सी ब्रांड की बीड़ी से बलात्कार वाला निकोटीन निकलता है और किस ब्रांड की बीड़ी से संस्कारी धुआँ। हमारे बचपन में एक बाईस नंबर की, एक सत्ताईस नंबर की बीड़ी चलती थी। एक पहलवान छाप बीड़ी भी थी। जिस पर एक पहलवान की तस्वीर छपी होती थी। ऐसा प्रतीत होता था जैसे इस पहलवान सी बॉडी पाने के लिए पहलवान छाप बीड़ी का सेवन ज़रूरी है।
अदालत में एक नया अध्याय इस दलील से जुड़ेगा कि जब एक इंसान बीड़ी नहीं पीता है तो वह बलात्कार कैसे कर सकता है ? यह एक नवीनतम विषय है सभी मनोवैज्ञानिकों, मेडिकल वालों और बीड़ी मेनुफ़ेक्चररों के लिए। इस को वो अपनी टैग लाइन भी बना सकते हैं:
हमारी बीड़ी बलात्कार के कीटाणुओं से मुक्त है।
नई जापानी टेकनीक से बलात्कारी कीटाणुओं को मशीन से अलग किया जाता है।
जबकि अंडरग्राउंड / ग्रे-मार्किट में धड़ाधड़ बलात्कारी बीड़ी बिका करेगी। सरकार प्रतिबंध पर प्रतिबंध लगाया करेगी। बड़े-बड़े होर्डिंग लगा करेंगे।
सावधान बीड़ी बलात्कार को बढ़ावा देती है। बीड़ी को न कहें। संस्कारी बनें।
मुझे पता नहीं अदालत ने इस दलील को कैसे लिया और नेता जी को इस बीड़ी न पीने का कोई लाभ इस बलात्कार के केस में मिलेगा अथवा नहीं। यदि मिला तो फैसले में लिखा जाएगा क्योंकि मुल्ज़िम के बीड़ी पीने के कोई सबूत नहीं मिले हैं अतः उसे बलात्कार के इल्ज़ाम से बाइज्जत बरी किया जाता है। अदालतों में बड़ा रोचक माहौल रहा करेगा। दूसरे पक्ष का वकील गवाह पेश करेगा, जिसमें वो कहेंगे हमने मुल्ज़िम को सरेआम बीड़ी पीते देखा अतः बलात्कार इसी ने किया है। फिर मुल्ज़िम का वकील अपना गवाह पेश करेगा जैसे हिन्दी फिल्मों में लास्ट निर्णायक गवाह ऐन मौके पर अदालत में घुसता है “ रुक जाइए मी लॉर्ड ! मुल्ज़िम के मोहल्ले में मेरी पान बीड़ी की इकलौती दुकान है और मैंने अपनी बीस साल की दूकानदारी में मुल्ज़िम को कभी अपनी दुकान पर नहीं देखा ”
इस सारे केस में एक टेक्निकल मुद्दा ये है कि क्या यह बलात्कार और बीड़ी का ही चोली-दामन का साथ है या फिर सिगरेट, पाइप, सिगार, तंबाकूवाला पान और गुटखे का भी कोई लेना-देना है। इस पर अनुसंधान की आवश्यकता है। हो सकता है किसी यूरोपीय देश की कोई स्टडी सामने आ जाये जैसे कि बीड़ी पीने से उल्टा नपुसंकता आ जाती है और आदमी बलात्कार क्या, सम्बंध बनाने से ही दूर भागता है। धीरे-धीरे वो उस ‘निर्वाण’ की स्थिति में पहुँच जाता है जहां वह बलात्कार से ज्यादा बीड़ी एन्जाॅय करता है।