एक व्यक्ति राम प्रसाद
(बदला हुआ नाम) अपनी मां को हरिद्वार तीर्थ कराने ले गया. मां को गंगा किनारे एक जगह
बैठा कर वह कुछ लेने गया. लौट कर देखा तो मां नहीं थी. बहुत ढूंढा मां न मिली. क्या
करता, भारी मन से गांव आ वापिस आ गया. पूरी कहानी गांव वालों को सुनाई.
कुछ ने शोक जताया, तो कुछ ने कहा देखो कितनी अच्छी मृत्यु लिखा कर आईं थीं, गंगा में डूब गयी आदि आदि. बड़ी धूमधाम से तेरहवीं मनाई. सबने श्रवण कुमार रूपी
बेटे की बहुत प्रशंसा की. समय बीतता गया.
दृश्य-2 इसी गांव का एक व्यक्ति हरिद्वार
जाता है. वहां वह जब भिखारियों को भोजन करा रहा होता है और दान-दक्षिणा दे रहा होता
है तो राम प्रसाद की मां को पंक्ति में पहचान लेता है. मां फूट फूट कर रोने लगती है.
ट्विस्ट इन दि टेल : राम प्रसाद अपने घर में
रोज रोज की गृह कलह से तंग आकर मां को हरिद्वार यह कह कर छोड आता है कि मां मैं अभी
आया. गांव में आकर कहानी सुना देता है कि मां गंगा में बह गयी. लाश भी न मिली. इधर
मां यह सोच सोच कर ग्लानि में डूब रही थी और दुखी थी कि हो न हो मेरा बेटा या तो दुर्घटनावश
या जान-बूझकर गंगा में डूब गया है. अब मैं किस मुंह से गांव वापिस जाऊं.......?
Sir, Ek maa apne sabhi bete ko pal leti hai par sabhi bete milkar bhi ek maa ko nahin pal pate hain. Is par research hona chahiye. Hindi me likhane ke liye dhanyawad sir. Achha laga.
ReplyDeleteravi ji
ReplyDeletebadi hi saral bhasha me ,aapne jo vytha ktha kahi hai,man viglit ho gya .safal lekhan ke liye bdhai!
रचना आपको पसंद आयी, आभारी हूं .
ReplyDeleteyah ho raha hai,par aapne use marmsparshi abhivyakti dee hai.
ReplyDeleteआपका आभारी हूं
ReplyDeleteJo hota hai wah Dikhta Nihi, Jo Dikhta Hai wah Hota Nahi......
ReplyDeleteSir,
Pariwarwad khota ja rha hai.
Samya Ke Sath Sabko Manan Karna chahiye. Aapne bahut Achchha likha hai......
touching
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी प्रस्तुति .......
ReplyDeleteमाँ के दिल तो दरिया होता है तो भला माँ ऐसा कैसे करती .........
http://deepakentertain.blogspot.in/2012/04/blog-post_17.html