Ravi ki duniya

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Tuesday, July 26, 2016

व्यंग्य : कथा लोक की लोक कथा




एक राज्य में बड़ी अव्यव्स्था थी यह तय हुआ कि कल सुबह सुबह जो पहला आदमी दिखाई दे उसे ही राजा बना देंगे और वर्तमान राजा को वानप्रस्थ में जाने को कहेंगे. अगले दिन सुबह-सुबह देखा कि एक बड़ी हुई दाढ़ी में साधु जैसा दिखने वाला तेजस्वी व्यक्ति कमंडल लेकर चला जा रहा है.. बस उसकी जय जयकार करते हुए उसे महल में ले आया गया. उसने भी पूरे उत्साह से काम करना शुरू कर दिया और वो इस कोशिश में लग गया कि दुनियां को दिखा दे कि वह सबसे बेहतरीन राजा है, केवल राज्य में बल्कि दुनियां में. कुछ माह तो सब ठीक ही ठाक चला फिर राज्य में सौहार्द बिगड़ने लगा. प्रजा में मार काट मचने लगी. क्या साधु क्या गृहस्थ क्या नौकरी पेशा क्या व्यापारी सब उससे परेशान रहने लगे. बेरोज़गारी वायदे अनुसार कम होने के बजाय बढ़ने लगी. विभिन्न सम्प्रदाय के लोग आपस में लड़ने मरने लगे. नित नये नये रूप में अत्याचार, आगजनी, मार-काट मचने लगी. ऐसा नहीं कि ये सब राजा करा रहा था बल्कि कहना चाहिये कि राजा के वज़ीर, और राज्य के कुटिल व्यक्ति इस सब में मशगूल थे. राजा रोकने में नाकामयाब था. उसे इसमें कोई सरोकार न था. वह हर घटना पर बस दुख जता देता था और इमोशनल हो जाता था. कभी दार्शनिक समान बात करता कभी जब बहुत हाय तौबा मचती तो लोगों से अपील करता कि राज्य में शांति बनाये रखें योग का अभ्यास करें. स्वच्छता को अपनायें. शौचालय बनवायें, खाते खुलवायें, दाल में पानी मिला कर खायें. आदि आदि. मँहगाई आकाश पर थी. हर तरफ हत्या, बलात्कार और दंगे फसाद होते थे. कभी जिंदा गाय को लेकर, कभी मृत गाय को लेकर. आदमी की कीमत गाय की कीमत से कहीं नीचे थी. हाँलाकि कुत्तों को मारने, जलाने और छत से नीचे फेंकने की घटनायें राज्य में खूब होतीं थीं. बल्कि कुत्तों को खानेपकाने के फेस्टिवल होते थे. अलबत्ता गाय को खाना देने और पालन करने के बजाय उनके मालिक उन्हें खुल्ला छोड़ देते थे गाय लोग कूढ़ेदान- कूढ़ेदान जा जा कर शहर की सब गंदगी खातीं थीं. इस तरह स्वच्छता के पावन मिशन में अपना योगदान दे रहीं थीं यहां तक कि पॉलिथिन की थैलियां खा खा कर जान दे रहीं थीं.

ऐसे में राज्य मे इतनी उथल-पुथल देख कर एक दिन मौका देख पड़ोसी राज्य ने हमला बोल दिया. राजा को उसके दरबारियों और गुप्तचरों ने बताया तो राजा बोला कोई बात नहीं मैं हूं ”. फिर बताया शत्रु राज्य में घुस आया है राजा बोला कोई बात नहीं मैं हूं ”. फिर बताया शत्रु राजधानी में आ गया है. राजा बोला कोई बात नहीं मैं हूं न”. फिर एक दिन बताया कि शत्रु महल के द्वार पर आ गया है. राजा बोला "कोई बात नहीं मैं हूं न." फिर बताया गया महाराज शत्रु महल में घुस आया है

इस पर राजा बोला मेरा कमंडल कहाँ है ? मैं तो चला !

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