शहीद सागर के घर से
कारपेट, ए.सी., और सोफा, सी.एम. के विजिट के बाद वापस ले गये. ये बुरी खबर
नहीं. आप लोग जब असलियत जानोगे तब तारीफ करोगे. असल में बेचारा ग़रीब परिवार कैसे तो ए.सी.
का बिजली का बिल भरता , कैसे
कारपेट क्लीन
करने को वैक्यूम क्लीनर खरीदता, और
कैसे सोफे को ड्राईक्लीन कराता. बजाय शुक्रगुजार होने के आलोचना कर रहे
हैं. बी पॉजिटिव. सोचो शहीद के गरीब परिवार को कितने फिजूल के खर्चे से बचा
लिया.अगर ये सब छोड़ देते तो आप ही ने कहना था उनकी गरीबी का मजाक बना दिया.गरीब
लोग कैसे ए.सी. चलायेंगे, कैसे
कारपेट ड्राई क्लीन/ वैक्युम क्लीन करायेंगे. मोदी/योगी सरकार ने गरीबों का मज़ाक
उड़ाया. अब अगर वो बिजली का बिल नहीं दे पाते तो बिजली कट जाती. फिर आप लोगों ने ही लिखते फिरना
था शहीद के परिवार की बिजली काटी. फिर वो कटिया का जुगाड़ लगाते. अब आप
इंडिया में रहते हो ये मत पूछ बैठना कि कटिया क्या होता है. ये ऐसे ही है जैसे
कोई स्पेन में रहे और पूछे बुल फाइट क्या चीज होती है या तमिलनाडु में
रहे और पूछे जल्लीकट्टू क्या होता है.
और बाई दि वे ये आप
से कहा किसने कि ये ए.सी., ये
कारपेट ये सोफा
शहीद सागर के परिवार के लिये थे. आपका तो फोकस ही गलत है. ये सब सी.एम साब और उनके अफसरान
के लिये था.उन्हें इन सब की आदत है. उन्हे ये सब बापरना आता है. आपको आता है ? आपको तो ए.सी. चलाते कैसे ये भी नहीं
पता होगा.
आपको पता है फिल्टर कब धोना है...कैसे धोते हैं.कैसे पहले पंखा चलाना है फिर ए.सी. और जब
बंद करना है तो कैसे पहले ए.सी. बंद करना है फिर पंखा.
इसी तरह कैसे कारपेट
क्लीन करना है. कैसे ड्राइक्लीन कराना है. कैसे बिना जूते इस पर चलना है. कैसे सुबह-शाम ब्रश
से हल्के हाथ से साफ करना है. कब कब धूप दिखानी है. जब मेहमान चले जायें
तो कैसे रोल करके रखना है.
सोफे पर कैसे बैठते
हैं. ये नहीं कि दोनों पैर रख कर उकड़ू हो कर बैठ गये. रामपुर के लक्ष्मण के रणधीर कपूर की तरह
या जीतेंद्र के डबल रोल में गाँव वाले जीतेंद्र की तरह. ये सोफा है पुआल
नहीं.
अब आप कुछ कुछ समझे
कि योगी
या मोदी सरकार ग़रीबों का खासकर शहीद ग़रीबों का कितना ख्याल रखती है. और उन्होने कैसे इन
तीनों चीजों को ले जाकर इस परिवार की महान मदद की है. कर सकती थी ऐसा कभी मनमोहन की सरकार ?
जब तक सूरज चाँद
रहेगा
योगी तेरा नाम रहेगा.
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