ऑक्सिजन की कमी से कोई नहीं मरा । सच ही तो है । सब को कोई न कोई ग़म है और आपने सुना ही है:
हमको भी ग़म ने मारा उनको भी ग़म ने मारा ...
पृथ्वी पर ऑक्सिजन ही ऑक्सिजन है । अब आपको सांस
लेना ही नहीं आए तो सरकार क्या ! कोई भी क्या कर सकता है ?
तुलसीदास जी तो शुरू से यही कह रहे हैं :
“ सकल पदारथ या जग माहिं
भाग्यहीन नर
पावत नाहिं”
सब आंकड़े सरकार देती है । सरकार किसने चुनी है ? आपने
! मतलब आपको खुद की ही चुनी हुई सरकार भरोसा नहीं। कैसे
जाहिल हैं आप । इसका मतलब भी समझते हैं? मतलब आपको
खुद पर भरोसा नहीं। मतलब आपका तो कोई भरोसा ही नहीं।
ताहिरा सरा ने आप ही जैसों के लिए लिखा है :
“ की कैन्ना है मेरे ते
ऐतबार नहीं ?
मतलब तैनू तेरे
ते ऐतबार नहीं “
वो कह भी दिये हैं न कोई मरा था, न मरा है न मरेगा। इसका
मर्म समझें। उनकी तो मुक्ति हुई है मुक्ति । आप जानते ही हैं
लोग मुक्ति के लिए कितने औटपाये करते हैं। मंदिर-मंदिर तीरथ-
तीरथ डोलते फिरते हैं । दुनियाँ भर के सत्संग, पूजा-आरती, व्रत-
त्योहार करते हैं तब कहीं जाकर किसी किसी विरले को मुक्ति
मिलती है। बौद्ध धर्म में इसी को ‘निर्वाण’ की प्राप्ति और ईसाइयों
में ‘सैलवेशन’ कहा गया है। अब कोई बताए सरकार आपके लिए
और क्या क्या करे। अंग्रेजी के ‘मृत्यु’ कवि जॉन डॉन ने बहुत पहले
ही लिख दिया था
डेथ
बी नॉट प्राउड
डेथ
दाऊ शैल डाई
तो ये मृत्यु की मौत है आपकी नहीं। आप तो अजर-अमर हैं । न
शस्त्र इसे मार सकता है न अस्त्र इसे काट सकता है । अग्नि इसे
जला नहीं सकती (इसीलिये न आप बालू में दबा दिये या गंगा में
बहा दिये) फिर ‘भायरस’ या
करोना-भगोना इसका क्या बिगाड़ लेंगे।
दरअसल हमारी मानसिकता ही ऐसी है इल्ज़ाम दूसरे पर डालने की।
डॉ टाइम पर देख लेता तो… टाइम पर ऑपरेशन हो जाता तो
...पैसों का इंतज़ाम हो जाता तो... खून ज्यादा न बहा होता
तो...ऑक्सिजन खत्म न हो गई होती तो। अरे भई ! करम का
लेखा कौन मिटा पाया है/ आपके पैदा होते ही ये पक्का का दिया
गया था कब कैसे कहाँ से आप स्वर्गारोहण करेंगे। इसमें तनिक भी
इफ एंड बट की गुंजायश नहीं ।
लिटिल नॉलेज इज डेंजरस थिंग। बस किसी से सुन लिया
ऑक्सिजन से जीने के लिए जरूरी है । कहीं ‘भिदेसी मिडया’ में
पढ़-सुन लिया कि इंडिया में ऑक्सिजन की कमी है। अरे भई ये
सब दुश्मन हैं दुश्मन। ये नहीं चाहते इंडिया आगे बढ़े। आत्म निर्भर
बने। बस आपने तो मुंह उठा कर यकीन कर लिया कि हमारे दद्दा,
चच्चा, भाभी सब इसी से चल बसे। अरे भई ‘बी पॉज़िटिव’। वे मुक्त
हुये हैं मुक्त। अब देखो उन्हें न तो गैस सिलिन्डर की कीमतों की
चिंता सताएगी, न पेट्रोल-डीजल के दाम उनका कुछ बिगाड़ पाएंगे ।
डी ए बढ़े-घटे, फ्रीज़ हो उनकी बला से। और तो और वो मिलावटी
तेल-दूध से भी ऊपर उठ गए । कभी किसी आपदा का पॉज़िटिव
पहलू भी देखा करें। जापान ने हिरोशिमा नागासाकी के बाद ही
तरक्की करी । सयानों ने कहा है “नो बर्थ विदाउट ब्लड”। अब देखो
शादी ब्याह में गेस्ट लिमिटेड किए इसका फायदा आप ही को तो
हुआ । कम खर्चा करना पड़ा। रेल- विमान सेवा बंद होने से आपकी
फिजूलखर्ची पर लगाम लगी। नाते-रिश्तेदार, मेहमान नहीं आए इससे
बचत
हुई कि नहीं ? आप कब समझेंगे ?
जो बचाया सो कमाया
आपको तो बस अपने रोजगार-कारोबार की पड़ी रहती है। कभी देश
का भी सोचा करो। ये आप ही का देश है और इसकी सरकार आप
ही ने चुनी है ये छोटी छोटी बात का बतंगड़ बनाना फाइव ट्रिलियन
इकॉनमी वाले विश्वगुरू को शोभा देता है क्या ?
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