Ravi ki duniya

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Saturday, March 15, 2025

व्यंग्य: मिस्टर नेगेटिव


आपने देखा होगा जैसे लोग कुछ भी हो जाये पॉज़िटिव बने रहते हैं उसी तरह ठीक उसके उलट ऐसे लोगों की संख्या कहीं ज्यादा है और आप भी बहुतों को जानते होगे जो कूट-कूट कर भयंकर रूप से नेगेटिव होते हैं। उन्हें हरदम लगता रहता है बस अब पृथ्वी का अंत होने ही वाला है। मेरे कॉलेज में एक सहपाठी था, जब टीचर ने सबसे पूछा कौन क्या बनना चाहता है तो मैंने कहा मैं टीचर बनना चाहता हूँ। पीरियड के बाद यह लड़का मेरे पास आया और बोला “टीचर की नौकरी बेकार है एकदम फिजूल है। मुझे ताज्जुब हुआ वह ऐसा क्यों कह रहा है जब पूछा तो बोला “ये भी क्या ज़िंदगी है टीचर सारी उम्र खड़िया (चाॅक) से खेलता रहता है।“ उसका ये संवाद मुझे आज भी हू ब हू याद है। 50 साल बाद पता चला वह एक एडवोकेट है। मुझे पक्का यकीन है अगर तब किसी ने वकील बनने की कहा होता तो उसने अपने पूरे ज़ोर शोर से उसे निरुत्साहित करना था। 


            ऐसे लोगों के दिमाग में निगेटिविटी के कीटाणु हर वक़्त तैरते रहते हैं। घर की वाईट वाशिंग ना कराने के वो दस कारण बता सकते हैं। इसी तरह जब रिश्ते की बात चले तो कैसे रिश्ता तुड़वाना है वो भलीभांति जानते हैं।  मसलन वो कह सकते हैं कि लड़की इतनी दूर नौकरी से कैसे आया-जाया करेगी। आप कहें कैब है, तो वे कहेंगे रात-बिरात बहुत दिक्कत होती है ये कैब ड्राइवर आजकल सब क्रिमिनल है। आप कहें आप ले आया करोगे तो उन्होने कहना है ये प्रेक्टिकल नहीं है। कब तक ये लाना ले जाना चलता रहेगा, यह ज्यादा नहीं चलता अतः इस रिश्ते में कोई भविष्य नहीं है। आप इसका भी कोई तोड़ निकाल लें तो उनके पास एक ब्रह्मास्त्र रहता है अरे ये लड़की तो ‘लियो’ है जबकि लड़का ‘सेगीटेरियस’ है। ये तो शादी चलनी ही नहीं है। ये निभेगी नही। 


ये लोग घर में इतनी निगेटिविटी फैलाते हैं कि धीरे धीरे लोग इनके घर आना ही छोड़ देते हैं। ये बात इनको सूट भी करती है। इनके बीवी बच्चे तो इनसे पहले से ही त्रस्त होते हैं।  अब बेचारे कहें तो किससे, करें तो क्या करें। हमारे एक चचा थे उन्होने अपने बच्चे का एडमिशन बहुत अच्छे मार्क्स के बावजूद किसी बेहतर कॉलेज में ना कराके अपने घर के सबसे नज़दीक के थके हुए कॉलेज में  कराया जो सड़क पार करके ही था। उसमें भी वो उसे छोड़ने जाते थे और अगर शाम को वह आने में जरा भी लेट हो जाता था तो वे सड़क के इस पार खड़े होकर उसका इंतज़ार करते रहते थे। जब उनके कॉलेज का ट्रिप शिमला गया तो उन्होने अपने बेटे को शिमला के बीसियों नुकसान और जोखिम गिना दिये थे। जैसे कि ये पहाड़-वहाड़ हम दिल्ली वालों के लिए नहीं है। वहाँ की तेज हवाएँ तुम्हें उड़ा कर ले जा सकती हैं। वहाँ की आबोहवा में तुम बीमार पड़ जाओगे, वहाँ इतनी ठंड पड़ती है कि तुम सहन नहीं कर पाओगे। पहाड़ पर चलने की तुम्हें प्रेक्टिस नहीं है। तुम सोचोगे सड़कें दिल्ली की तरह हैं जबकि कहीं भी तुम्हारा पैर फिसल सकता है और मीलों नीचे खाई में। 


                ऐसे लोग से अगर आप कहें कि आप को मुल्क का राष्ट्रपति बना देते हैं तो इस पर भी वे दस ऐसे कारण बता सकते हैं कि क्यों राष्ट्रपति बनना कोई बहुत अच्छा प्रस्ताव नहीं है। मसलन वो कह सकते हैं दिल्ली का मौसम बेकार है, ट्रैफिक बहुत है, पाॅलुशन बहुत है, आप हरदम सिक्यूरिटी गार्ड्स से घिरे रहोगे आप चाह कर भी करोल बाग जाकर गोलगप्पे नहीं खा सकते। सोचो ये भी कोई नौकरी हुई कि इंसान अपने मन का खा भी ना सके। राष्ट्रपति भवन बहुत बड़ा है ऐसी जगह भूतों का वास रहता है। भूत ना भी हों तो आपको वैसे ही इतने बड़े भवन में डर लगता रहेगा। ये भी क्या नौकरी है हरदम डर के साये में जियो, रात को चुड़ैल और भूतों का आतंक दिन में इतने पुलिस वाले आपके आगे पीछे घूमेंगे पता नहीं कब किस से भूलवश गोली चल जाये ? आजकल अभिनेताओं के घर में अपने आप पिस्टल से गोली चल जाती है और उनके पाँव में गोली लग जाती है। आज अभिनेता के लगी है, कल नेता भी हो सकता है।

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