देव साब का जन्म 26 सितंबर 1923 को
गुरदासपुर, पंजाब
में हुआ था। उनके पिता पिशोरीमल एक सफल वकील थे। वे चार भाई, पाँच बहन थे। उनके नॉन-फिल्मी भाई थे
मनमोहन आनंद जो वकील थे। बहनें सावित्री, शील कांता, कान्ति, लता, ऊषा
हैं। अभिनेता विशाल आनंद, (..चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना..)
अरुणा (परीक्षित साहनी की पत्नी) सावित्री
की संतान हैं। । शेखर कपूर, सोहैला कपूर और नीलम (नवीन निश्चल की पत्नी) शील कांता की
संतान हैं।
देव साब ने अपने बड़े भाई चेतन आनंद
के साथ मिल कर 1949 में फिल्म निर्माण संस्था नवकेतन की स्थापना की. केतन (आनंद)
चेतन आनंद के बेटे का नाम है।
देव साब की दो खासियत जो किसी का भी दिल मोह लेंगी। एक तो वह अपना फोन
(लैंडलाइन) खुद उठाते थे दूसरा, अपने खत खुद अपने हाथ से लिखते थे। वो इतना आहिस्ता बोलते और सॉफ्ट
स्पोकन थे कि आपको जरा भी एहसास नहीं होने देते थे आप कितनी बड़ी हस्ती से मुखातिब
हैं। देव साब अंग्रेजों के जमाने के इंगलिश ऑनर्स स्नातक थे लाहौर के गवर्नमेंट
कॉलेज से। जब उनकी फिल्म ‘हम दोनों’ का रंगीन वर्जन तैयार हुआ तो उन्होने खुद पास
भेजा और मेहमानों को रिसीव करने स्वयं गेट पर थे। अपने कार्य अर्थात फिल्मों के
प्रति इस कदर दीवानगी और उनकी प्रतिबद्धता बेमिसाल थी। उनकी जैसी विशाल लाइब्रेरी
विरले ही किसी फिल्म वाले के पास होती। हरदम चुस्त दुरुस्त तैयार रहते और दिखते
थे। केज्युल दिखना-रहना क्या होता है उन्हें नहीं पता था न आपने कभी उनकी कोई फोटो
केज्युल लिबास में देखी होगी। अगर मफ़लर राजकुमार ने लोकप्रिय बनाया तो स्कार्फ देव
साब की खासियत थी यूं वो टाई और सूट में बहुत जँचते थे। फिल्मों में भी उनकी छवि
सदैव एक ‘अर्बन-यूथ’ शहरी बाँके नौजवान की रही। आगामी 26 सितंबर 2023 को वे 100
बरस के हो जाते। उनके जन्म दिन पर लोगों का तांता लग जाता था। क्या कारोबारी, क्या फिल्म वाले, होटल वाले, क्या मित्र लोग सब आ जुटते। एक बार मुझे याद है वे अपना जन्मदिन
मनाने मुंबई के ‘सहारा सिटी’ जा रहे थे उनके मित्र सहाराश्री के आग्रह पर।
‘रोमांसिंग विद लाइफ’ उनकी आत्मकथा है। जो
2007 में प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी ने रिलीज की थी देव साब और मनमोहन सिंह
जी का जन्मदिन एक ही दिन पड़ता है।
पदमभूषण (2001) देव साब कितने महान और
प्रतिभाशाली आइकॉन थे इस बात का पता इससे लगता है कि जब 2013 में भारतीय सिनेमा के
100 वर्ष होने पर भारत सरकार के डाक विभाग ने जो स्टांप जारी की उस पर देव साब का
चित्र था। देव साब को दादासाहेब फाल्के (2002) पुरस्कार देने से, पुरस्कार की इज्ज़त अफजाई हुई। वे सात
बार फिल्मफेयर एवार्ड के लिए नामित किए गए और तीन बार यह उन्हें मिला साथ ही लाइफ
टाइम अचिवमेंट अवार्ड भी उन्हे मिला (1993)
1946 मे रिलीज हुई पी एल संतोषी की ‘हम
एक हैं’ से लेकर चार्जशीट (2011) तक 112 फिल्मों में काम किया। जिसमें से 33
फिल्मों का निर्माण/निर्देशन भी उन्होने स्वयं किया। अपनी 13 फिल्मों की कहानी भी
उन्होने खुद लिखी। किशोर भानुशाली से पहले सेवआनंद देव साब के ‘लुक-एलाइक’ रहे
हैं।
देव साब का निधन 88 वर्ष की आयु में 3
दिसंबर 2011 को लंदन के ‘वाशिंगटन मेफेयर’ नामक होटल में हृदयगति रुक जाने से हुआ।
देव साब ने सुरैया के साथ 7 फिल्में, वहीदा जी के साथ 7 फिल्में, हेमामालिनी के साथ 9 फिल्में और
मधुबाला के साथ 8 फिल्मों में काम किया। 6-6 फिल्में ज़ीनत अमान और गीता बाली के
साथ कीं। देव साब को संगीत की, गानों की बहुत समझ थी। रिकॉर्डिंग के समय खुद मौजूद रहते। उनकी
फिल्मों का संगीत एकदम नायाब, गीत एक से बढ़ कर एक। कितनी ही नई प्रतिभाओं को उन्होने मौका दिया।
उनका कैरियर संवारा।
उनके स्विट्ज़रलैंड में जन्मे और अमेरिका
से एम.बी.ए. शिक्षित बेटे सुनील आनंद (1956) अविवाहित हैं। वे अब नवकेतन स्टुडियो
और आनंद रिकॉर्डिंग स्टुडियो का काम संभाल रहे हैं। देव साब की एक बेटी है देविना। देविना की शादी
बोनी नारंग से हुई। देविना की एक बेटी है जिना नारंग जिसका जन्म 1986 में हुआ और
वह अपने पिता की तरह ही पाइलट बनी है। जिना एक फैशन फॉटोग्राफर भी है और शॉर्ट
फिल्में बनाती हैं। उनका विवाह प्रयाग मेनन से हुआ है जो स्वयं भी फैशन इंडस्ट्री
से हैं।
देव साब की पत्नी कल्पना कार्तिक (मोना
सिंह) अपना एकाकी जीवन मुंबई/ऊटी में बिताती हैं।
नायक आएंगे जाएँगे.. देव आनन्द अपनी
फिल्मों के माध्यम से सदैव हमारे बीच रहेंगे। जोश और हमेशा जवाँ दिल का दूसरा नाम
देव आनंद था, है
और रहेगा।
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