दाऊद भाई !
सलाम वलेकुम !
ये मैं क्या सुन रेला हूँ ? आप इंडिया आ रेले हो ! गुड ! सच्ची बोलूं तो मुझे दिली खुशी हो गई है.
परदेस आखिर परदेस है. कब किसका ईमान खराब हो जाये कह नहीं सकते. अपना वतन, अपना वतन है. अंग्रेजी में बोले तो ‘ईस्ट और वैस्ट
होम इज द बैस्ट’. यहां आकर आप देखोगे इंडिया कितना बदल गयेला
है. फ्लाई ओवर, ए.टी.एम. मशीनें, मल्टी
प्लेक्स, बिल्डर फ्लैट बहुत तब्दीली आ गई है. मेरी सलाह मानो
तो भाई पॉलिटिक्स में आ जाओ. अभी आपकी उम्र ही क्या है. आज की तारीख में कौन सी
पार्टी है जो आपको हाथों हाथ नहीं लेगी. हर पार्टी में अपने ‘आदमी’ हैं. फूलन देवी को भी तो लिया था न इन्होने.
बस ! अपुन को भी यही स्टैंड लेना है. अपुन का हृदय परिवर्तन हो गया है या तेजी से
हो रेला है. वतन की याद आपको खींच लाई है. हर बात के जवाब में आपको दो-चार जुमले
बोलने हैं. ये न्यूज पेपर और न्यूज चैनल वाले बहुत बूम मारते हैं. आप शांति, बोले तो अमन की तलाश में वतन लौट रहे हैं. सुकून से रहना चाहते हैं. मच-मच
नहीं मांगता. आप तिज़ारत करने परदेस गये थे, सभी जाते हैं.
कोई आप अनोखे नहीं गये थे.
यहां पता नहीं लोगों ने क्या क्या अनाप-शनाप कयास लगा दिये. आपके मुतल्लिक
सारी बातें सरासर झूठ हैं. इसमें ‘विदेशी हाथ’ है. ये विदेशी हाथ बड़ा तिलिस्मी और करामाती है. इसने बड़े बड़े प्राइम
मिनिस्टर, बड़ी बड़ी सरकारें बचाईं हैं. दूसरे आपको कहना है ये
विरोधियों की साज़िश है. तीसरे आपको कहना है कि ‘लॉ विल टेक
इट्स ओन कोर्स’. चौथे, आपको कहना है कि
आपका जूडिशियरी में पूरा पूरा यक़ीन है. ये चार जुमले बोल बोल के पॉलिटिशियन सन 47
से अपना झंडा फहराये हुए हैं.
अबी अपुन डिसाइड करेगा कि आपको कौन सी पार्टी जॉयन
करनी है. जिसमें भी जाना हो आपको कहना है कि आप मुल्क़ की खिदमत करना चाहते हैं और
फलां पार्टी से बेहतर मुसलमान बिरादरान के लिये कोई पार्टी है ईच नहीं. सपा में
जाना हो तो डाइरेक्ट दुबई टू सैफई फ्लाइट है. वहां एक महोत्सव भी चलता है दर साल.
अब दो चला करेंगे. कोई वांदा नहीं. आप बी.जे.पी. में गये तो उनकी तो निकल पडेगी. भाई
आप उनके सबसे बड़े यू.एस.पी. हो जाओगे. नरेंद्र भाई ने इसका भी क्रेडिट ले लेना है.
कम्यूनिस्ट पार्टी में जाना हो तो भी कोई हरकत नहीं. आपसे बड़ा कम्यूनिस्ट कौन
होगा. आपने हमेशा ग़रीबों को तरज़ीह दी है. आप इस दौर के रॉबिन हूड हैं.
जो आपको इन जूनी पार्टियों का रवैया नापसंद हो तो
सोचने का नहीं. आम इंतिखाबात क़रीब हैं. नई नई पार्टियां बन रेली हैं, कहीं एक दूसरे में ‘मर्ज’ हो रेली हैं. कहीं ‘आप’ पार्टी है तो कहीं ‘बाप’
पार्टी है. अपुन अपनी एक ‘भाई’ पार्टी
बना लेंगे. पार्टी इतना सक्सैस जायेगी कि पूछने जैसा कुछ है ही नहीं. हर सूबे में
हर सीट से हमनें अपने उम्मीदवार उतारने हैं. आपको गारंटी देता हूं भाई आप किंग से भी
अव्वल आला मुक़ाम पर होंगे. नहीं समझे ? आई मीन किंग मेकर
होंगे. छा जाओगे भाई छा.
जो आप कॉरपोरेट सैक्टर में बिजनिस के ख्याल में हो
तो भी अपुन मिल कर सबकी वाट लगा देंगे. कुछ जॉयंट वैंचर हो सकते हैं, मसलन दाऊद एयर लाईंस, आईनॉक्स की तर्ज़ पर दाऊदनॉक्स
की चेन खोली जा सकती है. और जो एजुकेशन फील्ड में जाना हो तो भाई लौटती डाक से
इत्तिला करें. आजकल इस फील्ड में अपने बहुत से लोग पहले से ही मसरूफ हैं. आई.आई.टी
की तरह डी.आई.टी., दाऊद हॉटिल मैंनेजमेंट, दाऊद आर्म्स एंड एम्यूनिशन ट्रेनिंग सेंटर, दाऊद
इंस्टीट्युट ऑफ मैंनेजमेंट. आपके तज़ुर्बे और स्किल के आगे सब फेल हैं. आप तो भाई
जगह जगह विजिटिंग फैकल्टी में ही छा जाओगे. क्या पुलिस एकेडमी क्या सी.बी.आई. हर
जगह आप ही के ‘की नोट एड्रेस’ और चीफ
गैस्ट होने के चर्चे हुआ करेंगे. आपकी केस स्टडीज, आपके
फर्स्ट हैंड तज़ुर्बात और इल्म की तूती बोलने लगेगी.
जो फिट्नेस और हैल्थ के फील्ड में आना हो तो दाऊद
जूडो-कराते सेंटर और डी-जिम गाँव गाँव में खोलने की योजना है. जो न्यूज पेपर
पब्लिकेशन फील्ड में आना हो तो दाऊद टाइम्स, क्राइम रिपोर्टर, मनोहर कहानियां टाइप ‘दाऊद की कहानियां’ आपके विभिन्न पराक्रमों पर आधारित अमर चित्र कथा,
आत्म कथा. बड़ा ही वास्ट फील्ड है ये भी, और इमेज बिल्डिंग
में बहुत कारगर है. जो टी.वी. से मुतास्सिर हों तो ये ई.- टी.वी., ज़ी.- टी.वी. स्टाइल में अपना भी एक डी.- टी.वी.
होगा. दे दनादन. सारी टी.आर.पी., सारे सीरियल्स हमारे. आप ही
सोचो भला हमें एड देने से किसने मना करना है. अपनी कम्पनी बंद करानी है. फिर अपुन
अपना एक परमानेंट ‘बिग बॉस’ चला देंगे.
असली वाला बिग बॉस. मिलेंगे तब तफसील से बात करेंगे.
अगर आपकी मुहब्बत फिल्मों के लिये अब भी ज़िंदाबाद
है तो खातिरजमा रहें दाऊद फिल्म्स, प्रोडूसर, डाइरेक्टर, एक्टर वन मैन इंडस्ट्री. एक तो आप अपना
एक ‘निक-नेम’ सोच लो जैसे युवा हृदय
सम्राट, ग़रीबों का मसीहा, जनता का सेवक.
आवाम का हमदर्द. ये चाचा- ताऊ वाले सम्बोधन तो अब बासी हो गये हैं. मैं बोलूं तो
मुझे तो डैड D.A.D. पसंद है -- दोस्त-ए-आवाम दाऊद.
एक बात और है भाई ! आप जब हर खास-ओ-आम को ये ऐलान करोगे
कि आप अब सन्यास ले रहे हो और ज़िंदगी के दूसरे फेज़ में एंट्री ले रहे हो तो ये बात
सचिन की तरह लाइव टेलीकास्ट होनी चाहिये वो भी दिल्ली से. फौरन एस.एम.एस करें कि रामलीला
ग्राऊंड बुक कराना है या इंडिया गेट ?. आगे इंशाअल्ला आप
सियासत में जलवाफरोश तो होईये सब आपकी कदम बोसी न करें तो कहना. बड़ा मज़ा रहेगा जो लोग
कल तलक आप को पकड़ लाने का और गिरफ्तार करने का दावा करते थे उन्ही को चुन चुन कर अपना
बॉडी गार्ड आई मीन ज़ैड प्लस सिक्योरिटी में लेना है. इंसान की तक़दीर बदलते देर नहीं लगती.
मेरे कान में तो अभी से एक स्लोगन बार बार गूँज रहा है.... देश का नेता कैसा हो.....
too good --- on the dot
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