वोटर हौं तो वही पहलवान, बसौं मिल सैफई गाँव के ग्वारन
जो पसु हौं तो कहा बस
मेरो, चरौं
नित नेताजी की धेनु मंझारन
पाहन हौं तो वही गिरि
को जो स्टेज माधुरी दीक्षित नचावन
जो खग हौं तो बसेरो
करौं मिलि शत शैया अस्पतालन
या सलमान अरु मल्लिका पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौ
आठहूँ सिद्धि, नवों निधि को सुख, नेताजी की साइकिल संवारौं
पहलवान कबौं इन आंखिन सौं, सैफई के बन बाग तडाग निहारौ
कोटिक हू कलधौत के धाम, सैफई के एयरपोर्ट ऊपर वारौ
सेस गनेस भुक्कल नवाब,चौधरी,समस्त कैबिनेट जाहि निरंतर गावै
जाहि अनादि अनंत अखंड
अछेद अभेद सूबेद बतावै
का कार्यपालिका,विधानपालिका रहे, पचिहारे तू पुनि पार न पावै
ताहि बॉलीवुड की छोहरियाँ को करोड़न में नाच नचावै
धूरि भरे अति सोहत सयाम
जू, तैसी बनी सुंदर लाल टोपी
खेलत खात फिरें टोल बूथ-टोल बूथ बाजति पिस्टल,कट्टा,गोली
वा गुंडई को पहलवान बिलोकत, वारत काम कला निधि कोटि
एम.एल.ऐन. के भाग बड़े सजनी, स्टडी-टूर लै गयो यूरोप की चोटी
कानन दै अँगूरी अखिलेश रहिहौं,जबहि साजिद-वाजिद की धुन बजैहे
माहिनी तानन सौं अटा टोल बूथ चडि गैहै पै गैहै
टेरी कहाँ सिगरे मुजफ्फरपुर काल्हि कोई कितनौ समझैहै
माई लखि आलिया, सारा, जरीन, रणबीर, नेताजी की मुसकान सम्हारि न जैहै, न जैहै
मोरपखा लाल टोपी, साइकिल, लैपटॉप, लख्यों हिय मै भट्टी उमह्यो री
ता दिन तें पी.एम. बनन ठानी इन बैरिन कों कहि कौन न बोल कुबोल सह्यो री
अब तौ पहलवान सनेह लग्यो पी.एम. कुर्सी तें, कौउ एक
कह्यो कौऊ लाख कह्यो री
और सो रंग रह्यो न
रह्यो, इक रंग
रँगीले सो रंग रह्यो री
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