Ravi ki duniya

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Friday, December 27, 2013

व्यंग्य : लॉन्ग लिव आम आदमी



       


आप मानें या न मानें, बॉलीवुड को ये पहले से पता था कि आप पावर में आयेगी. उसके अभिनन्दन में उन्होने पहले से पहले ही एक ठौ गाना डेडीकेट कर रखा है ...दिल बहलता है एक आप के आ जाने से...आप के आ जाने से नए संदर्भ में आप कह सकते हैं कि शीला से न गोयल से... दिल बहलता है एक आप के आ जाने से. आप ने साबित कर दिया कि आज भी चींटी हाथी को मार सकती है. मार नहीं सकती तो मरणासन्न तो कर ही सकती है. सब एक दूसरे का मुँह ताकते रह गये. क्या हुआ वो कंबल, शराब, वो फ़ूड सिक्यूरिटी, सब धरे के धरे रह गये. टी.वी.. पर पूरे देश ने लगातार कई कई दिनों तक देखा था कि अनाज कैसे गोदामों मे बाहर पड़ा पड़ा सड़ रहा था और गरीब को फ्री देने की बात पर सब टालमटोल करते रहे. और जब बिल लाये भी तो अपना पोलिटिकल उल्लू सीधा करने को.



कोयला घोटाला, कॉमन वैल्थ घोटाला, दरअसल घोटाले इतने कॉमन हो गये, इतने कॉमन हो गये कि लोगों ने ताज्जुब करना, प्रतिक्रिया देना यहाँ तक कि नोटिस लेना ही बंद कर दिया था. सौ सुनार की  एक लुहार की. एक के बाद एक घोटाले, बड़े घोटाले, छोटे घोटाले. पतले घोटाले, मोटे घोटाले. दाखिले में घोटाले. टीचर भर्ती में घोटाला. खेल के घोटाले. घोटालों के खेल. रेल घोटाला. पुल घोटाला. देश ने देखा घोटालों का आदर्श और आदर्श का घोटाला. चारा-वारा तो बहुत पीछे छूट गये. अब 100% घोटाले होते हैं. और मज़े की बात ये है कि घोटालों की ट्रेन नॉन स्टॉप सब सिग्नल तोड़ताड़ के, दिल्ली वाली गर्ल फ्रेंड छोडछाड़ के देश में छा गये. अखिल भारतीय हो गये. कभी क्रिकेट का एक मैच फिक्स होने पर बवाल मचाने वाले देश में, देश का देश फिक्स हो गया. नेताओं में प्रतियोगिता सी चल पड़ी थी कि कौन सबसे ज्यादा लूज बोल सकता है. खेमका और दुर्गा शक्ति को टेम्परेरी अशक्त कर सोच रहे थे कि बाजी उनके हाथ लग गयी है.



ऐसे में क्षितिज पर आप का उदय ऐसा ही था जैसे ताजा ताजा झाड़ू लगाने के बाद लगता है. फ़्रेश फ़्रेश. झाड़ू एक नए अर्थ में सामने आयी है. मोदी भाई पूछ सकते हैं अब ये सवाल-- ( जैसे 50 करोड़ की गर्ल फ्रेंड) आपने देखी है ऐसी झाड़ू ?. आपने एक से एक झाड़ू देखी होंगी. नारियल की झाड़ू, सींकवाली झाड़ू, फूल झाड़ू, खजूर के पत्तों की झाड़ू से लेकर टी.वी. पर विज्ञापित टेलीशॉपिंग वालों की मॉडर्न मॉप. लेकिन सबसे बढ़िया निकली आम आदमी की झाड़ू. सब झाड़ झंकार बुहार दिया. अगर यह आई ओपनर नहीं तो और क्या है. पिछले कुछ बरस से तो गवर्नमेंट नाम की चीज सिरे से ही गायब चल रही थी. अब ऐसी झाड़ू फिरी... ऐसी झाड़ू फिरी कि सब दायें बायें देख रहे हैं या कहें तो सब दायें बायें हो गये हैं जैसे हम लोग हो जाते हैं जब सड़क पर झाड़ू चलती है. 



तो लो जी लो ! झाड़ू चल गई. ये जो कृत्रिम या कहें तो फ्रॉड विकास था वो धरा का धरा रह गया. आप ने झाड़ू को उसका मान-सम्मान रेस्टोर किया है. अब ये झाड़ू ब्रिगेड यहाँ नहीं थमेगी. क्रिकेटर बेदी तो मिल भी आये हैं कि थोड़ी झाड़ू क्रिकेट एसोशिएशन पर भी चला दीजिये.



आम आदमी का मजाक बनाया जा रहा था. वह मैंगो मैन है. मगर मैंगो मैन ने देखते देखते वो झाड़ू फेरी है कि काबिले तारीफ है.



लॉन्ग लिव आम आदमी ! लॉन्ग लिव झाड़ू !   

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