Ravi ki duniya

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Tuesday, January 16, 2024

व्यंग्य मेरा चुनाव घोषणा पत्र

 

                चुनाव आते ही सभी अपना-अपना चुनाव घोषणा पत्र झाड़-पोंछ कर धूल धक्कड़ से निकाल लाते हैं और उसमें देश-काल-वातावरण के अनुकूल कुछ काटा-पीटी  करते हैं और लो जी ! नया, बोले तो एक दम गार्डन-फ्रेश मैनिफेस्टो तैयार। इसे मैनिफेस्टो क्यों कहते हैं पता है ?, वो घोषणा पत्र जो मैनी-मैनी लोगों को बहला सके, बहका सके, उसे मैनिफेस्टो कहते हैं। इन दिनों इसके और भी नए नए नाम चल पड़े हैं जैसे संकल्प पत्र, विज़न डॉकुमेंट, मिनिमम एक्शन प्लान, प्रतिज्ञा पत्र, वचन पत्र। आइडिया ये है कि क्या नया कहें कि वोटर बातों में आ जाये और बातों बातों में हमारे फ़ेवर में अपना वोट गिरा दे। बाकी फिर हम देख लेंगे उसे कहाँ गिराना है, कहाँ उठाना है।

 

                 घोषणा पत्र में उम्मीदवार ने वोटर को यकीन दिलाना होता है कि अगले मोड़ पर आपको स्वर्ग ले जाने वाली 2X2 सुपर डीलक्स ए सी बस खड़ी है हमें अपना वोट दो और बस में जा चढ़ो। वैसे यदि आप ‘बिटवीन द लाइन्स’ पढ़ेंगे तो मिनट से पहले जान जाएंगे सब हवा-हवा है। अपुन सब पिछले 75 साल से इसी हवा-हवा पर ज़िंदा हैं। पर मैंने निश्चय किया है कि मैं एकदम सच-सच बताऊंगा अपने घोषणा पत्र में। जैसे  मैंने अपनी शादी के समय घोषणा की थी कि मैं दहेज नहीं लूँगा। चलो जी फिर शुरू करते हैं:

 

              सभी मदिरा प्रेमी साथियों के लिए केमिस्ट की दुकान की तरह शराब की दुकानें 24X7 खुली रहा करेंगी। पीने वालों से पूछो शराब से बढ़ कर कोई दवा है क्या? हरगिज़ नहीं। 'जनरिक' दवाओं की तरह ये ब्रांड-स्कॉच, देसी-विदेशी से ऊपर उठ कर सिर्फ मदिरा और मदिरा। "...रूह से महसूस करो, इसे कोई नाम न दो...।" सतत् आर. एंड डी. करके इसे सस्ते से सस्ता कराया जाएगा और नहीं तो सबसिडी दी जाएगी।  और हाँ मेट्रो/लोकल/मोनोरेल में शराब लाने ले जाने की पाबंदी तुरंत प्रभाव से हटा ली जाएगी:

 ज़ाहिद शराब पीने दे मेट्रो में बैठ कर

या वो जगह बता जहां खुदा न हो

 

           जगह-जगह नुक्कड़-नुक्कड़ जनता भोजनालय खोले जाएँगे। ये क्या कि बेचारे वोटर को गेहूं चावल का झोला पकड़ा दिया बस, मैं उनको गैस और खाना पकाने के झंझट से निजात दिलाऊँगा। जनता भोजनालय में किसी भी भूखे को वो ही 24X7 अनुसार हरदम ताज़ा भोजन मिलेगा। दोनों वेज और नॉन वेज भी। इस पाइलट प्रोजेक्ट के बाद कुछ ऐसा करना है कि लोगों को दोनों टेम का खाना सरकार देगी और फिर पैसे देने की ज़रूरत ही न रह जायेगी। असली कैशलेस इकॉनमी तो हमारी वाली होगी। दारू और खाना मिलता रहे। पूरे देश में वाई-फाई फ्री हो। और जीने को क्या चाहिए। लाइव शो देखो, इंडिया टेलेंट देखो, कॉमेडी शो देखो, समाचार देखो यूं आजकल दोनों में फर्क रह ही कहाँ गया है।

 

        बैंक ! यदि बैंक फिर भी बचे रहे तो उनका कामकाज हाई-टैक कर दिया जाएगा। सब ऑटोमेटिक। ए.टी.एम. के माफिक।

 

             ऑटो वालों/कैब वालों को भी सुविधा देनी है वो चाहे जितना चार्ज करें किसी भी लंबे से लंबे रूट से ले जाएँ कोई ‘वांदा’ नहीं। कैब ड्राइवर को टिप देना कंपलसरी होगा। जितना किराया होगा उसका 40% टिप देना ही होगा। जो देने में असमर्थ होगा तो ड्राईवर को छूट होगी कि वो आपसे कैसे भी वसूल करे। चाहे आपका सामान छीन कर चाहे आपको डरा-धमका कर।

 

            अंडा गैंग और ठक-ठक गैंग को भी विशेष रियायतें देनी हैं ये लोग कितने मेहनतकश और जुझारू हैं। आप कल्पना नहीं कर सकते। बेचारे सर्दी-गर्मी, दिन-रात परिश्रम करते हैं। तब कहीं जाकर एक अदद ब्रीफकेस या एक लैपटॉप मिल पाता है।

 

             स्कूल/कॉलेज धीरे धीरे ‘इरिलिवेंट’ होते जा रहे हैं। इनका आपकी ग्रोथ से क्या लेना-देना है। आप जन्मजात प्रतिभाशाली हैं। स्कूल और कॉलेज तो आपके टेलेंट की ‘वाट’ ही लगाते हैं। आपको कहीं का नही छोड़ते। अतः इन सब गिरोहों से बचिए। अपने टेलेंट को पहचानिए और उसको डवलप करिए। कोई ज़रूरत नही इन बड़ी-बड़ी बिल्डिंग की। इन सब में बारात घर खोले दिये जाएँगे। लोग शादी-ब्याह करें, नित्य सभा-समारोह हों। उत्सव हों। हैपिनेस इंडेक्स बढ़ाना है। छोटी-छोटी बातों जैसे पढ़ाई-लिखाई, डिग्री-फिगरी पर हमें समय वेस्ट नहीं करना है। देश को महान बनाने का गुरुत्तर लक्ष्य हमारे सामने है। हम सबको मिल कर उसे पूरा करना है और उस काम में तन-मन-धन से लगना है।

              यह हमारा हैपिनेस ज़िहाद होगा। तुमको हैपी होना ही होगा। हैपी नहीं! तो भी हैपी दिखना होगा! नहीं दिखोगे तो भी हम दिखाएंगे। तुम्हारा ‘हेपिनेस-कोशेंट’ मेरे कू विश्व में नंबर वन चाहिए हीच। लक्ष्य ठेवा।

 

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