Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Monday, July 21, 2025

व्यंग्य: सरज़मीं बीवी भुलाने वाली


                                                     


 

 एक अदद शेर पेश है:-

 

           जिनके ख्याल में हम दुनियाँ भुलाए बैठे हैं

            उनकी बेख्याली को क्या कहें वो हमीं को भुलाए बैठे हैं  

 

 

               नेता जी पिछले दिनों गुजरात के दौरे पर गए और वे वहाँ अकेले नहीं थे सपत्नीक और स-बाईस कार थे। नेता का काफिला है जरा धूम से निकले! नहीं तो वो बात नहीं आती। लोगबाग तरह तरह के कयास अनायास लगाने लग जाते हैं। क्या हाई कमांड नाराज़ चल रहा है ? क्या दबदबा कम हो रहा है? आदि आदि। सो नेता जी एक किसी अनुसंधान केंद्र के निरीक्षण पर थे धर्मपत्नी प्रतीक्षालय में प्रतीक्षा करती रह गईं और नेता जी अपनी पत्नी को छोड़ बोलो, भूल कर बोलो, आगे बढ़ गए। कई किलोमीटर दूर जाकर उन्हें ख्याल आया कि पत्नी को तो यहीं छोड़े जाते हैं। पहले उन्होने सोचा 22 कारों में से किसी न किसी कार में सवार होंगी। बाकी 22 कार वाले भी यही सोचते रहे मेरी नहीं तो किसी और कार में होंगी।

 

              अब कोई इसे बड़े बनने, उन्नति करने का टोटका बता रहा है तो कोई कह रहा है कि वहाँ की मिट्टी में ऐसी सिफ़त है। मैं कोटा में पदस्थ था। वहाँ चंबल नदी बहती है और उसके बारे में मशहूर है कि चंबल नदी का पानी पीने के बाद श्रवण कुमार ने भी अपने माता-पिता को आगे ले जाने से मना कर दिया था। कालान्तर में मुझे ज्ञात हुआ कि लगभग लगभग सभी नदियों और झीलों के बारे में यही कहा जाता है। यह श्रवण कुमार ने कौन सा रूट लिया था जी ? इनकी किवदंतिया जगह जगह पर हैं। कुछ कहावतें तो बस यूं ही बना दी हैं जैसे यह वीरों की धरती है भाई तो और धरती क्या कायरों की है शायद ये अपनी ऐतहासिक धरोहर के वाहक हैं। सबने अपनी-अपनी सूट करती कहावतें उठा ली हैं। केरल वाले कहते हैं हम 'गाॅड्स ओन लैंड' हैं अब बगल के तमिलनाडु ने सोचा होगा जब बगल में 'गाॅड्स ओन लैंड' है ही है, तो हमें क्या करना है। कुछ लोग कहते थे कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा आता है वह फिर मुख्यमंत्री नहीं रह पाता। यह डर इस कदर बैठ गया या बैठा दिया गया कि मुख्यमंत्री लोग नोएडा आने से बचने लगे थे। यही बात किसी मंदिर, किसी तीरथ के लिए फैला दी जाती है कि वहाँ जाकर आपकी मनौती हंड्रेड परसेंट पूरी हो जाती है। लोग इस चक्कर में न जाने कहाँ कहाँ दौड़े जाते हैं। पेड़ों के फेरे लगाते हैं, साँप की पूजा करते हैं। यह अपनी वनस्पति और समस्त चराचर जगत से प्रेम बढ़ाता है मगर समस्या यह है कि हम बाकी दिनों में विकास के नाम  पर अंधाधुंध पेड़ काटते हैं। साँप को मारते फिरते हैं।

 

     लब्बोलुआब यह है कि नेता जी ने पत्नी भुलाई तो भुलाई कैसे ? भला ऐसा भी कहीं होता है ? अगर टोटका था तो यह तो निष्प्रभावी हो गया क्यों कि बात खुल गयी और आनन-फानन में पत्नी से उनका मिलन भी करवा दिया गया।

 

                 कुछ और टोटका करना पड़ेगा नेता जी !

 

 

No comments:

Post a Comment