मुझे पता ही नहीं था कि मैं अमृत काल की अमृत
पीढ़ी का हूँ। मैं अभी तक इस मुग़ालते में था कि मैं पढ़ा-लिखा बेरोजगार हूँ। जो इतना
पढ़-लिख कर भी, बोले तो, इंजीनियरिंग पास करके भी डिलिवरी बॉय बना हुआ है। सुबह से
अपनी किश्तों पर ली हुई सेकंड-हैंड मोटर साइकिल लेकर पीठ पर कूरियर बोरा उठाए
घर-घर,
कॉलोनी-कॉलोनी धूल फाँकता हूँ। मुझे अपने को लेकर, अपने परिवार को लेकर अपने समाज को लेकर बड़ी उलझन रहती थी। मेरा क्या होगा ?
मेरे बीवी बच्चों का क्या होगा ? कोई सेविंग
नहीं। अच्छा है! इसे ज़ीरो बैलेन्स खाता
नाम दिया है। जब देखो तब बैलेन्स ज़ीरो ही रहता है। दो टाइम के खाने के बाद कुछ बचे, तो न पैसे खाते में डाले जाएँगे। वो तो अच्छा हुआ फटे कपड़ों, जींस का फैशन आ गया इसलिए एक ही फटी जींस से काम चल रहा है। पर जिस दिन से
पता चला कि मैं वो नहीं जो मैं खुद को अपनी नासमझी में समझ रहा था। मैं तो अमृत
पुत्र हूँ।जैसे हिन्दी फिल्मों में होता था, मामूली सा
मुफलिस, मजदूर हीरो, रियासत का बचपन
में खोया या चुराया प्रिन्स निकलता है।
ये अमृत काल है। अब इसका क्या मतलब है ? ये दानिश्वर जानें ? मैं तो खुश हो गया। ज़िंदगी में
खुशी बड़ी चीज़ है। और मैं जी हाँ मैं इसी अमृत काल की, अमृत
पीढ़ी का अमृत पुत्र हूँ। भई ! मज़ा आ गया सुनकर। मैं तो खुशी के मारे पागल सा हो
गया हूँ। जी हाँ मैं नालायक, नाकारा नहीं। मैं अमृत पुत्र
हूँ। मैं भी कितना बेखबर था इस अपनी नयी पहचान से। मैं फेसबुक, एक्स, इन्स्टाग्राम पर हूँ। रोज़ न जाने कितने घंटे
मैं इन सब पर लगाता हूँ। क्या फ्रेंड लिस्ट क्या फाॅलोवर, नफ़री
खूब बढ़ती जा रही है। सच पूछो तो यही मेरी अब तक की कमाई है। मेरा सरमाया है।
एक बात मेरी समझ नहीं लग रही। सुनते हैं जो
एक बार अमृत छक ले उसे फिर भूख- प्यास नहीं लगती। वह हमेशा को तृप्त हो जाता है।
वह अमर हो जाता है। कालजयी। आप ही सोचो एक बार अमृत चख ले उसे फिर मिलावटी आटे की
रोटियाँ,
इंजेक्शन लगी सब्जियाँ खाने की क्या ज़रूरत ? वह
तो चिर-तृप्त हो गया। अब मुझे अपनी संतान की भी चिंता नहीं। कारण कि मैं अगर अमृत
पीढ़ी का नुमाइंदा हूँ तो मेरे बच्चे भी तो कुछ प्लेटिनम, कुछ
हीरक, कुछ प्लूटोनियम टाइप होंगे। दूसरे शब्दों में अब मेरा
भविष्य उज्जवल हो चला है, तो मेरे बच्चों का मुस्तकबिल भी
रोशन है।
सो जिसे भी रोज़ी-रोटी की चिंता सता रही हो वह
याद रखे कि वो अमृत काल की अमृत पीढ़ी का अमृत पुत्र है। उसे ये नौकरी, कपड़े-लत्ते,
दाल-रोटी की चिंता कतई नहीं करनी चाहिए। अच्छे अमृत पुत्र ऐसा नहीं
करते। मैं तो चाहता हूँ सबको अपने नाम के आगे, अपने स्टेटस
पर, अमृत पुत्र लिखना कंपलसरी कर देना चाहिए। मैं भी अमृत
पुत्र। क्षितिज पर देखो ! अमृत वेला आ रही
है। कब तक चलेगी ? अब अमृत पुत्र ऐसे सवाल नहीं करते। अन्यथा
आप में और एंटी नेशनल में क्या फर्क रह जाएगा ?
No comments:
Post a Comment