Ravi ki duniya

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Tuesday, June 17, 2025

व्यंग्य: जाकी नौकरी सरकारी-मेरो पति सोई

     

 

         मीरा बाई का एक दोहा है “जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई...”  इस श्रंखला में एक युवती ने जब उसके विवाह की बात चली तो उसने पता लगाया कि भावी पति निखट्टू, नाकारा है। आजकल के टी.वी.सीरियल्स की भाषा में बोले तो 'नल्ला' है। सौ. (सौभाग्याकांक्षी) युवती का चिंतित होना स्वाभाविक था। इस नाकारे के पास न कोई रैगुलर नौकरी है, न आय का कोई रैगुलर स्रोत है। शादी के बाद ये खुद क्या खाएगा ? मुझे क्या खिलाएगा ? और तो और हम रहेंगे कहाँ ? खर्चा पानी कैसे चलेगा ? मेरी खुशियों का क्या होगा ? मेरे सपनों का क्या ? मेरी श्रंगार सामग्री, मेरे मनोरंजन, मेरी शॉपिंग का क्या ? मेरे घूमने सैर-सपाटे का क्या? ये मैं शादी कर रही हूँ या सश्रम आजीवन कारावास (कैद-ए-बामशक्कत) को ले जाई जा रही हूँ। मेरा क्या अपराध है ?

 

 

               निर्णय क्षमता और तुरंत बुद्धि (रैडी विट) में महिलाओं का कोई सानी नहीं। पुरुष इसके सामने कहीं नहीं ठहरता। युवती ने कुछ और विवरण लिया, बोले तो डाटा कलेक्ट किया। तब उसे पता चला कि ये भावी दूल्हा ज़रूर बेरोजगार है, निखट्टू-नाकारा है और निकट भविष्य में इसे रोजगार मिलने की कोई उम्मीद भी नहीं। और तो और इस में कोई अग्नि ही नहीं बची है यानि कि ये अग्निवीर भी नहीं बन सकता। ना अग्नि है, न ये कहीं से वीर मालूम देता है। उसने तभी के तभी (दैन एंड देयर) अब चाहे माँ रूठे या बाबा.... एक फैसला ले लिया।

       

     उसको जब पता चला कि उसके भावी ससुर साब सरकारी नौकरी में वरिष्ठ पद पर हैं। वे विधुर भी हैं यानि रास्ता साफ है। ये आम रास्ता है। उसकी नज़रों ने भाँप लिया और कामदेव को आदेश दिया कि वो अपने तीर कमान का रुख पुत्र से हट कर पिता की ओर कर ले और निशाना साध कर रिपोर्ट करे। और लो जी लो ! तीर सीधा जाकर निशाने पर लगा। ससुर साब बिलबिला उठे:

 

 

        विधुर जीवन तेरी यही कहानी है...

 

 

इस प्रकरण से एक तो यह बात पक्की हो गई कि शादी ब्याह में सरकारी नौकरी वालों की कल भी इज्ज़त थी, आज भी इज्ज़त है और कल भी रहेगी। सौभाग्याकांक्षी ये बात जानती समझती है कि सरकारी नौकरी का अर्थ है पेंशन, फैमिली पेंशन, सरकारी क्वाटर, टी.ए. डी.ए. मेडिकल सुविधा और भी ना जाने क्या क्या। अब सरकारी नौकरी वाले को पति चुनने में ही समझदारी है। उम्र का क्या है ?

 

 

        ना उम्र की सीमा हो न जन्मों का हो बंधन

 

 

        अब भावी दूल्हे उर्फ लड़के को चाहिए कि कमर कस कर सरकारी नौकरी की तैयारी करे अन्यथा उसकी दुल्हन इसी तरह रास्ते में सरकारी नौकरी वालों द्वारा अगुवा की जाती  रहेंगी। आप देखते रह जाएँगे। अतः जागें, उठें और तब तक न रुकें जब तक नियुक्ति पत्र न मिल जाये।

 

       ये शादी नहीं आसां इक आग का दरिया है

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