कुछ तो लोचा है हमारे सिस्टम में। अब से पहले
यह कम सुनने मे आता था। अब यह आए दिन सुनने में आता है कि फलां की शादी में पंगा
हो गया है। मर्डर और भागना इतना आसान पहले
कभी ना था। जहां देखो वहीं पंगे चल रहे हैं। ज़हर हो, विश्वासघात हो, प्री-मेरिटल की छोड़ो अब तो
एक्सट्रा-मेरिटल भी ऐसे लिया जाता है जैसे 'चलता है'। यह 'चलता है' कल्चर पहले ज़िंदगी के अन्य पहलुओं में थी। अब
ना जाने कब में यह सबसे मुख्य जीवन-धारा में आ गयी है। पता नहीं क्या हो गया है?
एक सूबे में जब शादी धूमधाम से सम्पन्न हो गई तो सबने राहत की सांस ली और
खुशी का माहौल छा गया। रिवाज के मुताबिक एक हफ्ता रह कर नई नवेली दुल्हन अपने
मायके आई। इसे फेरा लगाना भी कहते हैं। हफ्ता-दस दिन रह कर दुल्हन अपने प्रेमी के
साथ हिरण हो गई कहिये या हिरणी हो गई।
दुल्हन के माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक था। अब वे समाज को क्या मुंह
दिखाएंगे? अब
वो दुल्हन की ससुराल वालों को क्या कहेंगे? बहुत विकट समस्या आन पड़ी थी।
अब कागज़ी कार्यवाही तो करनी थी। अन्यथा आजकल पुलिस में टाइम से रिपोर्ट ना
कराने के भी बहुत नुकसान हैं। पुलिस उल्टा आप पर ही पड़ जाती है। रिपोर्ट क्यों
नहीं किया? पता
चला आपकी ही पकड़-धकड़ हो जाये। पुलिस के बारे में बहुत पहले से हामरे यहाँ एक कहावत
है:
इन हसीनों से साहब फकत सलामत दूर की
अच्छी
ना इनकी दोस्ती अच्छी ना इनकी दुश्मनी अच्छी
अतः बेचारे दुल्हन के माता-पिता दौड़े-दौड़े गए और पुलिस में रिपोर्ट लिखा
आए। रिपोर्ट के बाद पुलिस भी एक्शन में आ गई। थोड़ी सी दौड़-धूप से पुलिस को सुराग
मिल गए। कहते हैं कोई कितना ही जतन कर ले इश्क़ छुपाये नहीं छुपता। देर-सबेर वो
प्रकट हो जाता है। और पूरे गाजे-बाजे के साथ प्रकट होता है। पुलिस के मुखबिरों ने
पूरी खबर ला कर दे दी कि दुल्हन का शादी से पहले किस के साथ याराना था। और वो कब
कितने बजे किस दिशा में गए। पुलिस ने दोनों के फोन 'सर्विलान्स' पर रख कर उनकी लोकेशन ट्रेस कर ली। पुलिस ने
हफ्ते भर में ही दोनों को दबोच लिया। पकड़ के थाने ले आये।
पुलिस ने दुल्हन के माता-पिता को बुला भेजा। दुल्हन के माता-पिता ने
समझदारी से काम लेते हुए फौरन दूल्हे राजा को भी बुला लिया ताकि सबके सामने सइसारा
हो जाये। जो है सब सामने रहे। क्या कहते हैं उसे ट्रांसपेरेन्सी रहे। वे आए। पुलिस
थाने में दुल्हन ने स्पष्ट कह दिया कि वह अपने पुराने प्रेमी के साथ रहना पसंद
करेगी, ना
कि अपने नए शौहर के साथ। यह कहते-कहते उसने माता-पिता से मिले अपने गहने माता-पिता
को सौंप दिये और ससुराल से मिले गहनों को ससुरालियों को वापिस कर दिया। हिसाब
बराबर। दिल के मामले में ये सोना-चांदी का क्या काम उसने चांदी की दीवार एक झटके
में तोड़ दी। अपने प्रेमी का दिल तोड़ना उसे मंजूर ना था। पुलिस कभी इनको, कभी उनको, देख रही थी। दोनों बालिग थे।
दूल्हे महाराज को एकदम बिजली कौंधी और वो तुरंत राज़ी हो गया। वह उल्टा
खामोश नज़र आ रहा था। कोई विरोध नहीं, कोई क्रोध नहीं। मन में कोई मैल नहीं। जब उससे
पूछा तो वह बोला ऐसी दुल्हन को घर पर रखने में खतरा ज्यादा है। ना जाने कब वो नीला
ड्रम ले आए, कब
वो मुझे शिलांग ले जाती। मैं खुश हूँ कि समय रहते मेरी जान बच गई। जान है तो जहान
है। सिर सलामत रहे सेहरे तो मिलते रहेंगे। दूल्हे राजा खुशी मना रहे हैं।
इसी को कहते हैं 'और सब सुख से रहने लगे' !
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