पहले लड़के (दूल्हे) के बारे में जब इंक्वारी की
जाती थी तो पता लगाया जाता था कि वह ऐमाली तो नहीं। ऐमाल मतलब वे शौक जो इंसान को
पशेमान कर दें, मसलन
जुआ, शराब, तंबाकू आदि। हिन्दी में इन्हें कुटेव
भी कहते हैं। इनमें से पहले दो यदि शादी के बाद भी डवलप हो जाएँ तो उसे बुरा माना
जाता था। पत्नियाँ रो-रो के आसमान सिर पर उठा लेतीं थीं। मायके तक गूंज उठती थी और
बड़े बूढ़े लोग समझाने आ जाते थे। वक़्त बदला और ऐसा बदला कि वो ग़ज़ल का शेर है ना-
पहले आप, आप से तुम, तुम से तू हो गए
धीरे-धीरे ये गहरे पैठ करते गए। घर-घर में ये
घुस गए। कोई समारोह हो, शादी-ब्याह हो। कान छेदन से लेकर शिशु के जन्मदिवस तक शराब ऐसे बहने
लगी कि जैसे बाढ़ आ गयी हो। अब ना पीने वाले को लोगबाग ऐसे देखते हैं कि 'हैं !ये कौन ग्रह से आया है प्राणी?' आप किसी को शादी का कार्ड दें तो उसकी
उत्सुकता ये जानने में ज्यादा रहती है कि कॉकटेल कब है ? कितने बजे है ? कहाँ है ? दिल्ली में जगह जगह आपको 'कार-ओ-बार' मिल जाएगी। शादी के पंडाल में पीछे
सामान्यतः इस सब का इंतज़ाम होता है। यदि कॉकटेल नहीं तो शादी में फिर जाने का मज़ा
क्या?अक्सर
ऐसी शादी में शगुन भेज दिया जाता है। एक को शादी का कार्ड दिया तो लिफाफे में देर
तलक और दूर तलक ये देखता रहा कि कॉकटेल की जो अलग से एक टिकट सी होती है वो कहाँ
है? कभी
नीचे ज़मीन पर देखे, कभी फूँक मार-मार कर लिफाफे में देखे। फिर जब उन्हें बताया गया कि
कॉकटेल नहीं रखा है तो उनका चेहरा मुरझा गया। मरी हुई आवाज में बोले ठीक है। हमें
पक्का पता था ये नहीं आएंगे। एक बार लड़की की शादी थी अतः कॉकटेल नहीं रखा था, पार्टी ने, किन्तु उनके मेहमान ऐसे लपलपाते भटक
रहे थे कि अलग ही पहचान में आ रहे थे। उनमें से एक गेस्ट लड़के वालों के 'कार-ओ-बार' में घुस गया। अब शराबी लोग ने उसको बड़ी
तत्परता से सहर्ष गले लगाया और 'लार्ज पेग' ऑफर किया। और फिर तो आपको पता ही है उन्होने कहावत भी ऐसी ही निकाल
रखी हैं ‘एक पेग तो दुश्मन के यहाँ पिया जाता है’
मैंने ऐसे केस देखे हैं जहां पत्नी
पीने में पति का शाना-ब-शाना, पैग दर पैग साथ देती हैं। उसके अपने लॉजिक हैं। ये बाहर पीते हैं तो
चिंता ही लगी रहती है। अकेले खाना खाओ या फिर उठो, खाना गरम करो। यहाँ घर में नज़र भी रहती है।
कितनी पी, कब
मना करनी है। एक केस तो ऐसा भी देखा जहां पति महोदय नहीं पीते थे लेकिन उनकी बेगम
अच्छा-खासा शौक रखती थीं।
एक केस अब भोपाल का खबर में आया है कि पत्नी ने
तलाक के लिए अर्ज़ी दे दी है। क्यों? क्यों की पति ने शराब पीना छोड़ दिया है। मज़े की
बात ये है कि उसने साफ-साफ अपने पति को कह दिया है कि वह शराब ना पीने के अपने
फैसले को उलट दे अथवा मुझे तलाक दे दे। मुझे शराब ना पीने वाला पति नहीं
चलेगा...नहीं चलेगा तो नहीं चलेगा। वह सिर्फ इसी शर्त पर रहेगी यदि शराब भी साथ
रहे। 'नो
शराब नो शादी'। मैरिज काॅउन्सलर अलग परेशान हैं अब तक उन्हें
ऐसे केस डील करने पड़ते थे जहां पति को शराब के नुकसान समझा कर पति को शराब छोड़ने
को मनाना होता था। ये अलग केस था, उनका माथा चकरा गया। कई तो समझाते समझाते खुद ही पीने लग पड़े हैं:
मेरे ग़म ने होश उनके भी खो दिये
वो समझाते समझते खुद रो दिये
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