फ्रांस में गोली बारी से सैकड़ों लोगों ने जान गँवा दी. आतंकवादी ढेर हो गये और उनके साथियों की पकड़-धकड़ जारी है. मगर न जाने क्यूं मुझे लगा कि कोई रिपोर्टिंग ठीक से नहीं हुई. फ्रांस के रिपोर्टरों को हमारे काबिल, रिपोर्टरों से अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है. जैसे कि “ आपको कैसा लग रहा है ? “ आपने क्या देखा ? उसके दाढ़ी थी या नहीं ? वो कितने लोग थे. ? आपको क्या लगता है वो किस पार्टी, आई मीन किस देश के लग रहे थे ? किस भाषा में बात कर रहे थे. ? चलिये अपने संवाददाता जो घटनास्थल पर सुबह तड़के से ही हैं से बात करते हैं. आप हमें सुन पा रहे हैं ...राम खिलावन ..क्या देख रहे हैं आप ? अब कसा माहौल है वहाँ ? हमारी किसी चश्मदीद से बात कराइये. लगता है हमारी आवाज उन तक पहुंच नहीं पा रही है.
उधर दूसरे चैनल पर कुछ सफेद बालों वाले, वेले किस्म के पेशेवर बुद्धिजीवी जो 50 साल पहले रिटायर हो गये थे, बैठे आँकड़ों की जुगाली कर रहे हैं. “ जब दक्षिण पूर्व एशिया में सन चौरासी में ऐसी ही घटना पहली बार हुई थी......मैंने खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री को कहा था......”
तीसरे चैनल पर प्रमुख राजनैतिक दलों के स्पोक्स पर्सन एक दूसरे के कपड़े फाड़ने को तत्पर थे. आप 50 साल से सत्ता में आपने क्या किया ? आज हमसे हिसाब माँगने चले हैं . कितने ही हज़ारों बेगुनाहों कि जान गई. आप हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे. बल्कि कुछ में तो आपके बड़े बड़े नेता खुद ही आज तक फँसे हुए हैं. हमारे कार्यकाल में तो महज़ कुछ सैकड़ों की ही जानें गई हैं. जाँच चल रही है. गुनाहगारों को बख्शा नहीं जायेगा. हम छोटे राजन को ले आये हैं बाकी के राजनों बड़ा राजन, मंझला राजन उन सब को भी लायेंगे. आपकी तरह नहीं.
चौथे चैनल पर कुछ लेखक, कलाकार बैठे अपने अपने पुरस्कार वापस करने आये थे जबकि कुछ उन्हें किसी न किसी पार्टी का दलाल बता रहे थे. आप तब कहां थे जब नादिरशाह ने दिल्ली में क़त्ले आम मचाया था ? आपने तब क्यों चुप्पी साध ली थी ? . तब पुरस्कार वापस क्यों नहीं किया ? . जब रज़िया सुल्ताना को बेरहम डकैत मार गये थे ? . देखिये देखिये आप मिक्स मत करिये इसमें सेंटर का क्या लेना देना. लॉ एंड ऑर्डर स्टेट का सब्जेक्ट है. जनता सब जानती है. आप की बिहार चुनाव में क्या गत हुई है वैसे ही पूरे देश में होगी.
पांचवे चैनल पर “ आपको पता भी है अरहर का क्या भाव है. प्याज किस भाव बिक रही है. आपकी ग्रोथ रेट को क्या आम आदमी ओढ़े या बिछाये.”
छठे चैनल पर “ हम बहस से भटक गये हैं ... बात फ्रांस के पेरिस शहर में गोलीबारी की हो रही थी. ये प्रधान मंत्री को क्या पड़ी है इतने विदेशी दौरे करने की. वो भारत के प्रधानमंत्री हैं या ब्रिटेन के ? . जहां जहां जाते हैं आतंकवाद पर ऊल ज़लूल बयानबाज़ी होती है, उस से आतंकवादी और चेंट जाते हैं और नाराज़ हो कर, चिढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं. हमें बेकार की बयानबाजी से बचना चाहिये. हम हिंदुस्तानी हैं. हमारे देश के नाम में ही हिंदु शब्द है. जो अपने आपको हिंदु नहीं समझता वह देश छोड़ कर जाने को तैयार रहे. मंदिर का निर्माण हो कर रहेगा. हम इसके लिये प्रतिबद्ध हैं.”
सातवें चैनल पर “फ्रांस ने बहुत अत्याचार किये हैं. हज़ारों स्वतंत्रता सेनानियों को बैस्टिल की जेल में बंद कर दिया था. भोली भाली जनता के ऊपर गिलोटिन चला दी थी. मेरी एंटॉयनेट ने तो लोगों की ग़रीबी मज़ाक बनाते हुए यहाँ तक कह दिया था कि अगर उनके पास रोटी नहीं है तो वे केक क्यों नहीं खाते हैं. लोग भूले नहीं हैं वो सब अत्याचार.
आठवें चैनल पर “ हम सबको आतंकवाद से लड़ना है. इसके लिये हमें एक होना है. और आतंकवाद की लड़ाई पड़ोस से ही शुरू करनी है. हम सहन नहीं करेंगे. हम कड़े शब्दों में इसकी निंदा करते हैं. आप चाहें तो हम पेरिस जा कर भी ये बात कह सकते हैं ! बाई द वे कब की फ्लाइट है ? . सुना है आप स्पॉन्सर कर रहे हैं ? ख्याल रखियेगा. पिछली बार मेरा हमनाम एक मद्रासी रविंद्रन चला गया था. मैं दिल्ली वाला रविंदर हूं., ...जैसे धरमेंदर, सुरेंदर और हाँ ! अच्छा याद दिलाया.... नरेंदर