Ravi ki duniya

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Saturday, November 12, 2022

व्यंग्य: वी. सी. बोले तो वैताल काँफ्रेंस

 

वैताल को भी किसी ने देखा नहीं है उसकी छवि ही छवि है इसलिये यह वैताल काँफ्रेंस है। वैताल की वैताल के लिये वैताल द्वारा ली जाने वाली काँफ्रेंस। इतने बड़े स्केल पर वी. सी. को महामारी की तरह फैलाने में दूसरी महामारी करोना का बहुत बड़ा रोल है। हमें दिखता नहीं। अब वो ही तो वैताल के बारे में भी मशहूर रहा है।

आजकल क्या नौकरशाह ? क्या नेता लोग ? सबमें वी. सी. करने की होड़ लगी है। इससे टैक-सैवी होने का रौब भी पड़ता है बिना कुछ किये धरे ही। खुद को टी. वी. पर न देख पाने वालों की भड़ास वी. सी. में निकलती है। आप बढ़िया बढ़िया रंगीन कपड़े पहन अपने पूरे वार्डरोब को एक एक कर इस्तेमाल कर सकते हैं। महिला अधिकारियों और नेतानियों की समस्या और भी बड़ी है। उन्हें यह भी याद रखना होता है और ख्याल रखना होता है कि साड़ी रिपीट न हो। मैचिंग है या नहीं। उम्र से बड़ा तो नहीं दिखा देगी आदि आदि। ए. सी. पी. (अलार्म चेन पुलिंग) से ज्यादा ए. एस. पी. (आपका साड़ी प्रिंट) डिस्कस होना चाहिए भले वी. सी. के बाद सही।

इससे आप यह न समझें कि वी. सी. के फायदे नहीं हैं। लीजिये प्रस्तुत हैं वी. सी. के 10 बड़े फायदे। वैसे मैं जानता हूं फायदे और भी हैं और आप खुद भी दो चार फायदे गिना देंगे।

1. अब फील्ड में जाने की ज़रूरत ही नहीं रह गई। बात-बात बोले तो हर बात के लिये वी.सी. और तो और बिना बात के वी. सी. । इससे प्रभाव पड़ता है। लगता है आपको दफ्तर की कितनी फिक्र है।

2. आप बाॅस हैं तो जैसे बाॅस ने कल आपको सबके सामने लताड़ लगाई थी अब ये आपका कर्तव्य और अधिकार दोनों है कि आप अपने अंडर वालों को दिन में तारे दिखा दें। उन्हें खूब खरी खोटी सुना कर अपना मन हल्का कर लें। गुस्सा और खीझ जल्द से जल्द निकाल देना चाहिए नहीं तो शरीर को ये रोगग्रस्त कर देते हैं।

3. आप वी. सी. में बार चार्ट, पाई चार्ट को भी खूब-खूब दिखा सकते हैं। बनाने तो किसी और ने हैं। वैसे इतने सारे चार्ट न आपको समझ लगने हैं न देखने वालों को। हां मगर इससे क्वालिटी टाइम अच्छा व्यतीत (वेस्ट) होता है। फिर अगर आप बीच-बीच में एक आध सवाल पूछ लें तो आपको लोग धुरंधर मान लेंगे मसलन "ये इस क्वार्टर में परफारमेंस पिछले काॅरोसपोंडिंग क्वार्टर से गिर कैसे गई ?" और गिरी न हो तो आप पूछ सकते हैं "बढ़ कैसे गई ?" ताकि उन चीजों पर ज्यादा ध्यान दिया जाये।

4. वी. सी. से टी. ए.डी. ए. की बहुत बचत हुई है। जब कोई फील्ड में जाएगा ही नहीं तो टी. ए., डी.ए. किस बात का ?

5. अब बंगला प्यून तो रहे नहीं। अतः आप वी. सी. करके टाइम पर घर जा सकते हैं और घर के कामकाज यथा बरतन घिसने, लहसुन छीलने, मसाला पीसने में श्रीमती जी का हाथ बँटा सकते हैं। अब तक तो आप जान ही गये होंगे कि ये थके हुए अफसर और नेता लोग वी. सी. रखते ही तभी हैं जब आपको बीवी बच्चों के साथ बाहर जाना हो। शुक्रवार शाम या शनिवार शाम। कोई त्योहार है तो त्योहार वाले दिन या हद से हद एक शाम पहले। तभी न आपको पता लगेगा बाॅस की पाॅवर का। और आप बाॅस को गाली दोगे। बाॅस लोग गालियों से ऊपर उठ चुके होते हैं। वे स्थितप्रज्ञ हैं।

'ये क्या कम है कि गाली देते वक्त दुनियां याद करती है'

6. इन्सपैक्शन नहीं, फील्ड में झांकना नहीं तो सैलून, बर्थ, सीटों की बचत ही बचत। इन को पब्लिक को देने से भी बहुत आय होगी।

7. जब कोई बात पता न हो या पल्ले न पड़ रही हो या लेटेस्ट स्थिति न मालूम हो तो आप नीचे से चिट, फर्रे का आदान प्रदान भी कर सकते हैं या फिर कैमरे के साथ थोड़ी छेड़छाड़ करके सबकी नज़र बचा कर लेटैस्ट पोजीशन ली जा सकती है।

8. अब कुछ भी हो जाये आप कह सकते हैं कि पिछले हफ्ते की वी. सी. तक तो सब ठीकै-ठाक था। ये कबमें हो गया ? ऐसा कहते हुए ख्याल रहे आपको पूछने वाले से ज्यादा बड़ा मुंह फाड़ते हुए आश्चर्य और शाॅक का एक्सप्रैशन देना है।

9. फोटोशाॅप, माॅर्फ करके अब फील्ड भी वरचुअल फील्ड हो जाएंगे। सब हरा- हरा या गुलाबी-गुलाबी जो भी रंग चलन में हो या बाॅस को पसंद हो। यह फील्ड में जाने से नहीं होगा। लोगबाग अपनी अपार सी. आर. में गर्व से लिखेंगे मैंने 100 वी. सी. कीं मैंने 150 वी. सी. कीं। मुझे कैबिनेट रेंक दो, मुझे प्रमोशन दो। वी. सी. इज़ ए गेम चेंजर।

10. दरअसल वी. सी. भारतीय रेल का भावी यात्रियों को संदेश भी है कि अरे बेवकूफो! तुमसे घर में रुका नहीं जाता ? क्यों भागते फिरते हो ? धक्के खाते हो। हमारी तरह तुम भी क्यों नहीं रिश्तेदारों से वी. सी. करके रिश्तेदारी निभाते हो

अब चलूं जरा एक जरूरी वी. सी. अटेंड करनी है। मिलते हैं अगली वी. सी. में। जय हो वी. सी.। लाॅन्ग लिव वी. सी.

पुनश्च:

अबसे यह प्रस्ताव है कि वी. सी. रात को दस बजे शुरू की जाया करेगी ताकि आप निश्चिंत होकर खा कर, पी कर (नहीं पी कर नहीं सिर्फ खा कर) अटेंड करें इससे ऑफिस टाइम बचेगा। ऑफिस की चाय, बिस्कुट जूस, काज़ू का खर्च बचेगा।
Shruti Lal, Jaidev Kumar and 1 other