आजकल हमारा गर्व करने का काल चल रहा है। हर
छोटी-बड़ी बात पर हमें गर्व करने को कहा जाता है। हमें हर छोटी-छोटी उपलब्धियों पर
गर्व करना सीखना चाहिए। मैं गंभीरता से सोच रहा हूँ संविधान के मौलिक कर्तव्यों की
सूची में एक कर्तव्य यह जोड़ देने का वक़्त आ गया है। गर्व करना हमारा मौलिक कर्तव्य
बना देना चाहिए। अब अगर आप पूछेंगे कि हमारे पास गर्व करने को क्या है? तो उन्हें बता देना है कि हमारे पास अनगिनत क्षेत्र हैं। अनगिनत वस्तुएँ
हैं। अनगिनत कारनामे हैं। और तो और हम नित नए कीर्तिमान बनाते हैं। मसलन देखा नहीं
हमने दीवाली में कितने लाख दीये जला कर विश्व रेकॉर्ड बनाया था। अब इस दशहरे,
कोटा में हमने 221 फीट ऊंचा रावण का पुतला बना कर जलाया है। केवल 44
लाख रुपये खर्च हुए मगर हमने सिद्ध कर दिया कि विश्वगुरु तो हम ही हैं। जलाया है
किसी अन्य देश ने इतना ऊंचा पुतला ?
मेरी चिंता इस बात को लेकर है कि यह रावण का
कद साल दर साल बढ़ता क्यों जा रहा है? रावण कहते
हैं बुराई का प्रतीक है। यदि ऐसा है तो बुराई को तो साल दर साल छोटा और छोटा होना
चाहिए था। जो है से पहले तो आपने रावण को अपना कद इतना बढ़ाने देते हो। कहीं उसे
‘एन्करेज’ करके कहीं उसका निर्माण खुद कर के। फिर जला कर खुश होते हो। यूं सच तो
ये है कि कद बढ़ना तो राम का चाहिए था न कि रावण का। मगर कहते हैं न रामलीला भी तो
समाज का दर्पण होती हैं। अपुन लोग आजकल सूर्पनखा का कैबरे और रावण के दरबार में
नर्तकियों की जबर्दस्त जुगलबंदी देख ही रहे हैं। असल में इन नृत्यों को
राम-लक्ष्मण अथवा रावण और उसके दरबारी नहीं देख रहे बल्कि जो रामलीला देख रहे हैं,
वे देख रहे हैं और अपना पैसा वसूल समझ रहे हैं।
हमने इन दिनों लंबे-लंबे नाम का, ऊंचे-ऊंचे स्टेचू का और पुतलों का ही तो रेकॉर्ड बनाया है। मसलन किसी छोटे
नाम वाले रेलवे स्टेशन का नाम बादल कर बड़ा सा रखना। कौन जाने आज नाम बड़ा लिखा है,
कल यहाँ के लोग बड़े-बड़े काम करने लग जाएँ। यह ‘ईज़ ऑफ बिकमिंग महान’
है। इसी तरह ऊंचे से ऊंचा स्टेचू लगाना। जो दूर से ही नज़र आए और लोगों को प्रेरणा
का बायस बन सके कि उन्हें भी अपने छोटे से जीवन में ऊंचे-ऊंचे काम करने की प्रेरणा
मिल सके। कौन जाने एक दिन आपका भी स्टेचू इन्ही स्टेचू की कतार में नज़र आए। क्या
आप नहीं चाहते कि आपके भी स्टेचू शहर-शहर में लगें। आपके नाम से भी रेलवे स्टेशन
का, स्टेडियम का नाम रखा जाये? मेरे
भारत महान के सपूतों के नाम गिनीस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में है जैसे कि संबसे
लंबे नाखून, सबसे लंबी मूछें आदि। यह 221 फीट ऊंचे रावण का
नाम एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और इंडियन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज़ हो गया
है। इंशाअल्ला! अगले साल रावण इतना ऊंचा होगा कि गिनीस बुक में आना तय है। राम का
कद यद्यपि अपेक्षाकृत सिकुड़ता जा रहा है। अब यूं तो इस बात को यह कह कर जस्टिफ़ाई
किया जा सकता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम अपने अपेक्षाकृत छोटे आकार के बावजूद बुराई
पर भारी पड़ते हैं। मगर इतनी दूर की कौन सोचता है। दर्शक तो ये देख रहे हैं और इसी
को देखने आए हैं कि रावण अब कितना ऊंचा हो गया है। आप कुछ भी कहें समाज में रावण
का कद दिन दूना रात आठ गुना बढ़ रहा है। कितना भव्य और आकर्षक लगता है।
बच्चे-बूढ़े-नेता सभी रावण को देखने आते हैं और राम-लक्ष्मण से नज़रें चुराते हैं।
बस यही सब हमारे दैनिक जीवन में दिन रात घटित हो रहा है। रावण का कद लगातार बढ़ रहा
है। कितना ही जलाओ वह है कि मरता ही नहीं है। इसे हम सब की उम्र लग गई है। वह कल
भी था, आज भी है और कल भी रहेगा। वह कालजयी है और ऊंचे से
ऊंचा होता जा रहा है। आप दिल पर हाथ रख कर बताओ आज की पीढ़ी का रोल मॉडल कौन है?
No comments:
Post a Comment