Ravi ki duniya

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Saturday, July 30, 2011

व्यंग्य : हिना या खार



पाक और हिन्दुस्तान के बीच एक बात में तो समानता है दोनों देशों में नेता लोग बहुत शौकीन और महंगी-महंगी चीजें ‘वापरने’ वाले हैं. आखिर देश की छवि बोले तो ‘इमेज’ का सवाल है. हम विदेशों से उधार माँगने भी चार्टर्ड जेट में शिष्ट मंडल अर्थात 180 लोग जाते हैं. जब पाक नेता हिंदुस्तान उतरी तो पता नहीं क्यूँ ये इंप्रेशन फैला दिया गया कि अख़बार वालों, टी.वी. वालों ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया. अरे भैया इतनी गंभीरता से तो ये पत्रकार भारत के नेताओं को भी नहीं लेते. वो बात दीगर है कि वे गंभीरता से लेने लायक हैं भी नहीं. आपने उनके फिजूल के सवाल नहीं सुने मसलन बाढ़ में डूबनेवाले से या रेल दुर्घटना में मृत प्राय से “आपको कैसा लग रहा है ? आप क्या महसूस कर रहे हैं ?”




देखिये सभी पत्रकारों ने इतनी बारीकी से और गंभीरता से हिना खार को लिया है कि उन्होने साउथ सी पर्ल की सुचचे मोतियों की माला पहनी हुई थी ( किसी अख़बार या टी.वी चेनल पर यह नहीं सुना कि मोती कितने थे 31..51... या 108) रोबर्ट कारवेली का चश्मा इतने लाख का पहने थी, बर्किन पर्स इतने लाख का था अब देखी है आपने इतनी खोजी पत्रकारिता, इतनी पैनी,इतनी जबर्दस्त पत्रकारिता. बस एक बात रह गयी कि उनका बीयूटिशन कौन है ? साथ आया / आई है ? या नहीं और बीयूटिशन के दल में कितने सदस्य हैं और उनके चश्मे, पर्स कितने लाख/कितने हज़ार के हैं. अब जहाँ इतना सूक्ष्म’ विश्लेषण चल रेला हो वहाँ ‘स्थूल’ बातें जैसे आतंकवाद,बम फोड़ना, समझौता एक्सप्रेस, बस सेवा, हथियार, केंप, लश्कर की बातें थोड़ी हट के हैं और इस मेनू में फिट नहीं बैठती, बिल्कुल वैसे ही जैसे मुगलाई खाने में उड़द की दाल या लौकी की सब्जी.




मुद्दा नंबर 1. भारतीय क़ैदी, मछुआरे जो पाक जेलों में सड़ रहे हैं उसका सवाल किसी ने उठाया या नहीं या फिर सब ज़ुल्फ़ के पेचो-खम में और लट में ही उलझ के रह गए. हाय!




‘हम हुए, तुम हुए, मीर हुए

सब उनकी जुल्फों के असीर(क़ैदी) हुए’




मुद्दा नंबर 2. हथियार ?


अजी छोड़िये आप यह लेटेस्ट हथियार देखिये. ये देखिये ये पर्स 18 लाख का, ये देखिये ये चश्मा 16 लाख का, चाहो तो आँखों पर लगाओ, चाहे माथे पर, चाहो तो हाथों में अदा से घुमाओ.




मुद्दा नंबर 3. समझौता एक्सप्रेस/बम फोडू दस्ते/लश्कर ?


ये जेट युग है आप अभी तक सड़क-रेल की बातें करते हैं हाउ ओल्ड फैशन. निकलिए अपनी इस दकियानूसी सोच से बाहर आइये. आप उस लश्कर को छोड़िए हमारा लश्कर देखिये.


मुद्दा नंबर 4 26/11


26/11 ? ये क्या है, ये कैसी फिगर है ? किसकी फिगर है ये. फोरगेट इट. आप जो आपके सामने है वो फिगर देखिये. फिगर के मामले में भी आप अभी बहुत पीछे हैं आई एम थर्टी फोर यू आर एटी फोर हा..हा..


मुद्दा नंबर 5 आप किस कंपनी की लिपस्टिक, लिप ग्लॉस और मेकपात का अन्य सामान खरीदती हैं. इंडिया में उसकी फ्रेंचाइजी है या नहीं. ये बर्किन और रॉबर्टो वालों ने अपने सेल्ज़ काउंटर इंडिया में खोले या नहीं.. नहीं खोले तो कब खोलेंगे मुए ?


टूर बहुत सक्सेस गया.. कम अगेन 


7 comments:

  1. मुद्दा नंबर कम पड़ जायेगें अभी तो बहुत आयेगें गिनते रह जायेगें

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  2. ‘हम हुए, तुम हुए, मीर हुए

    सब उनकी जुल्फों के असीर(क़ैदी) हुए’

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  3. adhura lekh. aapne ye to bataya hi nahin ki bollywood se kitne karaar hue?

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  4. बढ़िया व्यंग |

    कृपया मेरी भी रचना देखें और ब्लॉग अच्छा लगे तो फोलो करें |
    सुनो ऐ सरकार !!

    और इस नए ब्लॉग पे भी आयें और फोलो करें |
    काव्य का संसार

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  5. आपको लेख पसंद आया. बहुत बहुत आभारी हूँ

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  6. vyang karne me kuchh logo ko kyo chhod diya
    http://kavyachitra.blogspot.com
    madhu tripathi MM

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