‘किस’ कैसी भी हो प्रेम, वात्सल्य और स्नेह की प्रतीक होती है। वैज्ञानिक मानते हैं कि ‘किस’ की तुलना में हाथ
मिलाने से कहीं अधिक जीवाणु ट्रांसफर होते हैं अतः हाथ मिलाना किस की अपेक्षा
ज्यादा खतरनाक है। मगर वैज्ञानिकों की बात हम मानते कहाँ हैं। और गाहे-बगाहे किस
करते फिरते हैं। शम्मी कपूर जी कि फिल्म का एक गाना है “किस किस किस किस को प्यार
करूँ” कहते हैं कभी हिन्दी फिल्मों में ‘किस’ आम बात थी देविका रानी और हिमांशु
राय की किस आजतक याद की जाती है। वो और बात है कि देविका-हिमांशु पति-पत्नी थे।
किन्तु क्यों कि ये किस पर्दे के पीछे न होकर परदे पर थी अतः मात्र रिकार्ड की ही
बात बन कर रह गयी। सुना है विदेशों में लंबी किस की प्रतियोगिताएं होतीं हैं खैर
भारत में ऐसी प्रतियोगिताओं का कोई महत्व या
भविष्य नहीं हैं। हमारे यहाँ किस को एक अलग अंदाज़ से देखा जाता है। यदि
आपको किस करते हुए किसी पुलिस के सिपाही ने या समाज के स्वघोषित सिपाही ने देख
लिया तो आपकी पिटाई तय है। हो सकता है मुकदमा चले और जेल हो जाये। हमारे यहाँ आप
खुले में लड़-भिड़ सकते हैं, खून-खराबा कर सकते हैं मर्डर,
आगजनी कर सकते हैं मगर किस ? ना बाबा ना।
हमारे यहाँ किस ‘किस ऑफ ड्रेगन’ मानी जाती है घातक और जानलेवा। देख लीजिये खजुराहो
के देश में हम कहाँ से कहाँ आ गए।
‘किस’ के भी आदाब हुआ करते हैं ग़ालिब ये नहीं
कि बगैर देश-काल का ख्याल आप किस करने लग जाएँ। हमारे यहाँ प्रेम करना एक अपराध है
और किस उसी के प्रदर्शन का एक माध्यम है। मुझे लगता नहीं किस का आविष्कार या खोज
हुई होगी यह तो एक सहज मानवीय भावना है। अब जीवाणु अपना-अपना देख लें यहीं रहेंगे
या पार्टनर के साथ जाएँगे।
‘किस’ अनेक तरह की होती होंगी कोई
विशेषज्ञ ने इस पर ज़रूर अपनी रिसर्च लिखी होगी भारत में नहीं तो विदेश में। किन्तु
इस बात की ज्यादा संभावना है कि इस पर मौलिक काम देश में हुआ होगा कारण हमारे यहाँ
इस विषय पर बहुत अंधकार है अतः रिसर्च और नवीन खोज की अपार संभावनाएं हैं।
विदेश में सुपरमैन और स्पाइडरमैन हुए
हैं जो फ्लाई करते हैं । हमारे यहाँ फ्लाइंग सिख हुए हैं। फ्लाइंग रानी ट्रेन है।
उड़ता पंजाब हुआ है। जितनी भी ‘किस’ होंगी उसमें ‘फ्लाइंग किस’ मैं समझता हूँ सबसे
अधिक निरापद है। लेकिन यह किसी को ‘ऑफेंड’ भी कर सकती है। जब किसी से ‘फ्लाइंग
किस’ के बारे में विचार पूछे तो उत्तर था “मैं ऐसे निहायत आलसी लोगों से सख्त नफरत
करता हूँ।“ आहा ! नफरत ! नफरत हमारी राष्ट्रीय
हॉबी है। हम किस-किस से नफरत करते हैं इस पर हर भारतीय ‘माई हॉबी’ टाइप एक निबंध
लिख सकता है। टीचर, पड़ोसी, ऑफिस का कुलीग, बॉस, रिश्तेदार
आपका लोकल नेता। कहाँ तक गिनाऊँ।
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