Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Sunday, June 29, 2025

व्यंग्य: छुओ न ! छुओ न ! मुझे छुआ तो 35 टुकड़े कर दूँगी

                      

 

             अब ये तो कोई बात नहीं हुई। इंसान शादी क्यों करता है ? यह कोई प्लेटोनिक रिश्ता बनाने को तो नहीं। प्लेटोनिक-व्लेटोनिक शादी से पहले की बातें होतीं हैं। अब शादी के पहले दिन ही या बोलो, पहली रात ही अगर दुल्हन दीदी कह दें खबरदार जो मुझे छुआ भी।  इतना सुन कर ही दूल्हे राजा को कैसा तो भी लगा होगा। यह तो कुछ नहीं आप तो ये सोचो तब कैसा लगा होगा जब दुल्हन दीदी ने अपने तकिये के नीचे से चाकू निकाल कर, चाकू दूल्हे राजा के मुंह पर लहरा कर धमकी भरे स्वर में कहा “35 टुकड़े कर दूँगी अगर मुझे छुआ भी ”। दूल्हे राजा ने अभी तक सिर्फ गाना सुना था “इस दिल के टुकड़े हज़ार हुए....” ये 35 टुकड़े और वो भी दिल के नहीं, समूचे जिस्म के। नई बात थी। दूल्हे के मुंह पर एक रंग आ रहा होगा एक रंग जा रहा होगा। 

 

 

          जैसे तैसे वो रात तो कटी। कहावत है न ! क़त्ल की रात। ये क़त्ल की रात तो कट गयी। दिन तो गुजर गया। मगर शाम से ही फिर वही स्यापा। दुल्हन दीदी ने लगातार तीन रात यह कह कर दूल्हे राजा की सिट्टी पिट्टी गुम कर दी। चौथी सुबह दूल्हे राजा का सब्र जवाब दे गया और घर वालों को पूरी कहानी बता दी। घर वाले भी चकित रह गये। खासकर ये 35 टुकड़े वाली बात। वे दौड़े-दौड़े गए और पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखा दी। पुलिस ने लगे हाथों लड़की वालों को भी बुला भेजा।

 

             दुल्हन दीदी ने सबके सामने साफ-साफ कह दिया वह किसी की अमानत है। हमारे समाज में कहावत भी है अमानत में खयानत नहीं। शादी की चौथी रात थी जब दुल्हन दीदी घर की चार दीवारी लांघ कर ये जा वो जा।

 

          

     पराई हूँ पराई मेरी आरज़ू न कर

    न मिल सकूँगी तुझे मेरी जुस्तजू न कर

    

 

 पर सोचने वाली बात ये है कि दुल्हन दीदी ने ये बात शादी से पहले अपने माता-पिता को स्पष्ट क्यों नहीं कर दी थी ? क्यों बेचारे दूल्हे राजा और उसके परिवार की फजीहत कराई। अपने परिवार की भी कोई इज्ज़त अफजाई तो हुई नहीं इससे। दुल्हन दीदी के माता-पिता को भी चाहिए था कि भली-भांति बिटिया से पूछ लेते तब आगे बढ़ते। हुआ तो अब भी वही जो दुल्हन रचि राखा।

 

 

 

 

Wednesday, June 25, 2025















 

सुपारी दी शादी से एक दिन पहले की

 



बीवी ने सुपारी दी, दिन तय हुआ 

शादी से एक दिन पहले का 

बीवी ने पता नहीं  ? क्यूँ रखा व्रत ?

शादी से एक दिन पहले का   

बीवी ज़िद कर रही शिलांग चलो 

दिन चुना है शादी से एक दिन पहले का  

कभी सूटकेस, कभी ड्रम का नाप लेती है 

सूटकेस, ड्रम,, छुरी-चाकू ये है 

मेरा सामान-ए-सफर शादी से एक दिन पहले का 

अब देखो ? वो कहाँ ? कैसे ? मुझे मारती ?

उसके बॉय-फ्रेंड् ने ले ली है सुपारी मेरे नाम की 

और दिन तय हुआ शादी से एक दिन पहले का

एक दूल्हे की अभिलाषा

 




चाह नहीं मैं सोनम के नीले ड्रम में कटा पाऊँ

चाह नहीं, शिलांग की गहरी खाई में गिराया जाऊँ

चाह नहीं, हनीमून के बिस्तर पर ही शव बन जाऊँ,

चाह नहीं, दूल्हा बन भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे छोड़ देना प्रिये उस पथ पर देना तुम फेंक,

बिन ब्याहे दूल्हे जिस पथ जाएँ अनेक

 

Monday, June 23, 2025

व्यंग्य: जिस किसी से संबधित हो (टू हूम इट मे कन्सर्न)

                

 

   समस्त प्रेमीजन, आशिकजन, दिलफेंक किशोरों, आधुनिक युग के मजनूँ बंधुओं, कलियुग के फरहाद भाईजनों को एतद् द्वारा सूचित किया जाता है कि मैंने सब परिस्थितियों को साक्ष्य रखते हुए और अपनी बढ़ती उम्र के चलते एवं माता-पिता की इच्छा अनुरूप, रिश्तेदारों के आए दिन के तानों के उत्तर में अपने पूर्ण होशो-हवास में यह निर्णय लेना प्रस्तावित किया है कि अब मुझे विवाह बंधन में बंध जाना चाहिए। अतः इस प्रस्तावित विवाह के अनुक्रम में यह ज़ाहिर नोटिस आम जनता को दिया जाता है।

 

 

मैं मूर्खनंदन वल्द श्री रिवाज दास, साकिन हरगली, हर चौराहा, कोई भी शहर अपने पूर्ण चेतना और दुरुस्त दिमागी हालत में शादी करने की योजना पर सक्रिय रूप से विचार कर रहा हूँ। इस सिलसिले में सभी प्रेमीजन, आशिकजन, दिलफेंक नागरिकों से यह आग्रह है कि यदि आपको इस विवाह बंधन से कोई आपत्ति हो तो इस नोटिस के अखबार में आने के 6 सप्ताह के अंदर अंदर लिखित में अथवा स्वयं उपस्थित हो कर अपना ऐतराज दर्ज़ कराएं। इसके लिए घर-दफ्तर अवकाश के दिनों में भी विशेष रूप से खुले रखे जाएँगे। आप अपनी आपत्ति सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक फाइल कर सकते हैं।

 

 

यदि आप आपत्ति के साथ कोई दस्तावेज़, फोटो, प्रेम-पत्र, वाट्स अप संदेश अथवा फेसबुक की कोई फोटो प्रतिलिपि लगाना चाहें तो स्वागत है इससे शीघ्र निपटारा करने में आसानी रहेगी। इस विज्ञापनदाता का ऐसा कोई भी इरादा नहीं है कि वह किसी के प्रेम में अपनी टांग अड़ाये अथवा कबाब में हड्डी या 'ऑड मैन आउट' बने। वह शांति से, चिंता रहित जीवन जीना चाहता है। अतः प्रेमी जन, आशिक भाईजन निस्संकोच, निडर होकर अपने-अपने ऑबजेक्शन समय रहते फाइल करें। सभी आवेदनों पर सह्रदयता से सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। समुचित फैसले से शीघ्र लिखित में अवगत करा दिया जाएगा।

 

 

इस विज्ञापनदाता की ऐसी कोई इच्छा नहीं कि वह शादी वाले दिन अथवा हनीमून के ऐतहासिक क्षणों में खुद ही इतिहास का अंग बन जाये। सरल शब्दों में नीले ड्रम, या दूर दराज़ की पहाड़ियों की खाई में मृत पाया जाये। अधोहस्ताक्षरकर्ता को दूध में अथवा खाने में ज़हर के सेवन से भी परहेज है। अतः ऐसी कोई संभावना बने उससे पहले ही देश, काल को ध्यान में रख कर यह विज्ञापन दिया गया है।

 

नोट:

ऐसा नहीं है कि यह अंतिम है, यदि आपका शादी के उपरांत भी ऐसी कोई परियोजना बने जहां आप दोनों को लगे कि आप दोनों सफल वैवाहिक जीवन बिताना चाहते हैं तो कृपया मुझे समय रहते सूचित करें। घर आयें। निश्चिंत रहें कोई आपसे कुछ नहीं कहेगा। सिर सलामत रहे, सेहरे सजते रहेंगे। जान है तो जहान है। यह  मेरी तरफ से एक प्रकार की आपको 'एंटीसीपेट्री बेल' है। आप सुखी रहें मेरे जीवन का तो यही एकमात्र उद्देश्य है।

 

     सादर सप्रेम !

Saturday, June 21, 2025






















 

व्यंग्य: और सब सुख से रहने लगे

 

                


 

 

      कुछ तो लोचा है हमारे सिस्टम में। अब से पहले यह कम सुनने मे आता था। अब यह आए दिन सुनने में आता है कि फलां की शादी में पंगा हो गया है। मर्डर और भागना इतना आसान  पहले कभी ना था। जहां देखो वहीं पंगे चल रहे हैं। ज़हर हो, विश्वासघात हो, प्री-मेरिटल की छोड़ो अब तो एक्सट्रा-मेरिटल भी ऐसे लिया जाता है जैसे 'चलता है'। यह 'चलता है' कल्चर पहले ज़िंदगी के अन्य पहलुओं में थी। अब ना जाने कब में यह सबसे मुख्य जीवन-धारा में आ गयी है। पता नहीं क्या हो गया है?

 

    एक सूबे में जब शादी धूमधाम से सम्पन्न हो गई तो सबने राहत की सांस ली और खुशी का माहौल छा गया। रिवाज के मुताबिक एक हफ्ता रह कर नई नवेली दुल्हन अपने मायके आई। इसे फेरा लगाना भी कहते हैं। हफ्ता-दस दिन रह कर दुल्हन अपने प्रेमी के साथ हिरण हो गई कहिये या हिरणी हो गई।  दुल्हन के माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक था। अब वे समाज को क्या मुंह दिखाएंगे? अब वो दुल्हन की ससुराल वालों को क्या कहेंगे? बहुत विकट समस्या आन पड़ी थी।

 

 

     अब कागज़ी कार्यवाही तो करनी थी। अन्यथा आजकल पुलिस में टाइम से रिपोर्ट ना कराने के भी बहुत नुकसान हैं। पुलिस उल्टा आप पर ही पड़ जाती है। रिपोर्ट क्यों नहीं किया? पता चला आपकी ही पकड़-धकड़ हो जाये। पुलिस के बारे में बहुत पहले से हामरे यहाँ एक कहावत है:

 

 

       इन हसीनों से साहब फकत सलामत दूर की अच्छी

     ना इनकी दोस्ती अच्छी ना इनकी दुश्मनी अच्छी

 

 

       अतः बेचारे दुल्हन के माता-पिता दौड़े-दौड़े गए और पुलिस में रिपोर्ट लिखा आए। रिपोर्ट के बाद पुलिस भी एक्शन में आ गई। थोड़ी सी दौड़-धूप से पुलिस को सुराग मिल गए। कहते हैं कोई कितना ही जतन कर ले इश्क़ छुपाये नहीं छुपता। देर-सबेर वो प्रकट हो जाता है। और पूरे गाजे-बाजे के साथ प्रकट होता है। पुलिस के मुखबिरों ने पूरी खबर ला कर दे दी कि दुल्हन का शादी से पहले किस के साथ याराना था। और वो कब कितने बजे किस दिशा में गए। पुलिस ने दोनों के फोन 'सर्विलान्स' पर रख कर उनकी लोकेशन ट्रेस कर ली। पुलिस ने हफ्ते भर में ही दोनों को दबोच लिया। पकड़ के थाने ले आये।

 

 

       पुलिस ने दुल्हन के माता-पिता को बुला भेजा। दुल्हन के माता-पिता ने समझदारी से काम लेते हुए फौरन दूल्हे राजा को भी बुला लिया ताकि सबके सामने सइसारा हो जाये। जो है सब सामने रहे। क्या कहते हैं उसे ट्रांसपेरेन्सी रहे। वे आए। पुलिस थाने में दुल्हन ने स्पष्ट कह दिया कि वह अपने पुराने प्रेमी के साथ रहना पसंद करेगी, ना कि अपने नए शौहर के साथ। यह कहते-कहते उसने माता-पिता से मिले अपने गहने माता-पिता को सौंप दिये और ससुराल से मिले गहनों को ससुरालियों को वापिस कर दिया। हिसाब बराबर। दिल के मामले में ये सोना-चांदी का क्या काम उसने चांदी की दीवार एक झटके में तोड़ दी। अपने प्रेमी का दिल तोड़ना उसे मंजूर ना था। पुलिस कभी इनको, कभी उनको, देख रही थी। दोनों बालिग थे।

 

 

     दूल्हे महाराज को एकदम बिजली कौंधी और वो तुरंत राज़ी हो गया। वह उल्टा खामोश नज़र आ रहा था। कोई विरोध नहीं, कोई क्रोध नहीं। मन में कोई मैल नहीं। जब उससे पूछा तो वह बोला ऐसी दुल्हन को घर पर रखने में खतरा ज्यादा है। ना जाने कब वो नीला ड्रम ले आए, कब वो मुझे शिलांग ले जाती। मैं खुश हूँ कि समय रहते मेरी जान बच गई। जान है तो जहान है। सिर सलामत रहे सेहरे तो मिलते रहेंगे। दूल्हे राजा खुशी मना रहे हैं।

 

       इसी को कहते हैं 'और सब सुख से रहने लगे' !

 

Friday, June 20, 2025

व्यंग्य: सिंपल लोग-सिंपल पसंद

 


 

        


 

      पहले लोग बोलते थे तो मुझे यक़ीन नहीं होता था। किन्तु भाई साब कानपुर की बात ही कुछ और है। कनपुरिये यूं ही दुनियाँ में फेमस नहीं हैं। उनमें कोई तो बात है। लखनऊ वाले अपने लखनऊ की कितनी भी तारीफ कर लें या इलाहाबाद वाले इठलाते फिरें।  कानपुर कानपुर है। इसका कोई सानी नहीं। असली कनपुरिये दूर से पहचान में आ जाते हैं। वे सिंपल लोग होते हैं। लंबी-लंबी छोड़ते हैं, बोले तो एकदम इन्टरनेशनल। बस ऐसे समझ लो यहाँ हर आदमी अन्नू अवस्थी है और साथ साथ आर.जे. पूरब भी है।

 

 

वहीं के एक मोहल्ले में जब बर्थ-डे पार्टी थी तो मोहल्ले के सभी रहिवासियों को निमंत्रित किया गया। एक पति-पत्नी भी निमंत्रित थे। आजकल के ट्रेंड अनुसार थोड़ी देर बाद लोग बाग डांस करने लगे। पत्नी जी ने डांस किया। नो प्रॉब्लम ! फिर पति महोदय डांस करने लगे वह भी किसी अन्य अतिथि महिला के साथ। बस हँगामा बरपा हो गया। पत्नी जी नाराज़ हो गईं। नाराज़ हो गईं तो हो गईं वो आत्महत्या करने को उद्धत हो गईं और चल पड़ीं रेल से कटने। जैसे तैसे पत्नी को ले तो आए। मगर वह मान ही नहीं रही थी। पति ने मनाने के बहुतेरे जतन किए मगर पत्नी जी मान ही नहीं रही थी।

 

      अब या तो पति को पता था। या फिर पत्नी को कोई तो बहाना चाहिए मानने को। सो जैसे ही पति ने समोसा खिलाया पत्नी जी मान गईं। वो एक 'एड' था ना पान मसाले का 'ऊंचे लोग ऊंची पसंद'। यह केस देख कर मुझे लगा उसी तर्ज़ पर ये 'सिंपल लोग सिंपल पसंद'

 

                               


     मैं सोच रहा था पति महोदय अब जीवन भर डांस नहीं करेंगे। ना जाने पत्नी क्या प्रतिक्रिया दे। ना जाने कब वो मरने को चल दे। रेल टाइम पर आ गई तो ? वैसे क्या ही डांस रहा होगा जिससे पत्नी जी इतनी नाराज़ हो गईं। वैसे पत्नी जी चाहें तो डांस के कुछ नियम बना दें यथा:

 

1. आप केवल फलां फलां डांस ही कर सकते हैं। कत्थक नहीं, कथकली ओ.के., भरतनाट्यम ओ.के., ओडिसी नाॅट ओ.के.  मणिपुरी नाॅट ओ.के.।

2.  डांस मे पति दूसरी महिला से दूरी बनाए रखेगा। नो स्पर्श, नो चिपका-चिपकी।

3.  जहां तक हो सके पति जो है सो दूसरे पुरुष के साथ डांस करे।

4.  पति तुरंत से पहले लौंडा डांस सीख ले और आइन्दा से वही डांस करेगा। ज़ाहिर है लौंडा डांस लौंडों के साथ ही करना है।

5.  जब भी डांस की बात चले वह तुरंत कह दे कि उसकी टांग टूट गई है। अब वो डांस लायक नहीं रह गए। यदि ज़रूरत पड़े तो वह प्लास्टर का एक मोल्ड खरीद ले, जब भी पार्टी में जाना हो, प्लास्टर चढ़ा लो फिर कोई नहीं कहेगा आप डांस करो।

 

 

     देखिये महत्व इस बात का है कि आपके घर में सुख शांति रहे। पत्नी अगर तांडव करेगी तो आप कहाँ मुंह छुपाते फिरेंगे। अतः भुला दो आपको डांस आता है। आप चाहे अपने आपको कितना ही एल्विस प्रिसले समझें या शम्मी कपूर / मिथुन चक्रवर्ती समझें, एक नज़र अपनी बीवी पर डालें आपका डांस का शौक ठंडा पड़ जाएगा। यदि फिर भी डांस का मन करे तो पर्याप्त मात्रा में समोसे रख लें।

 

             सिंपल लोग-सिंपल पसंद

व्यंग्य: फर्श गंदा करने पर ससुर की पिटाई

 


                     



 

      पत्नी ने इतनी मेहनत से घर के फर्श को साफ किया, झाड़ू लगाई, पोंछा लगाया। एक ये ससुर महोदय हैं कि दनदनाते घर में घुसे आ रहे हैं। सारा फर्श गंदा कर दिया। अब इसे कौन साफ करेगा। इत्ती सी बात इनके समझ नहीं लगती।  दिख रहा है बहू फर्श पर पोंछा लगा रही है। पर नहीं जी ! अपने ससुरपने के नशे में ही रहते है। बहू ने आव देखा न ताव और तय किया कि आज नशा उतार ही दिया जाये। बहू ने सीधे मार-कुटाई नहीं शुरू कर दी होगी। इससे पहले वो प्यार से और सख्ती से समझा चुकी होगी। मगर वो कहावत है न भूत वाली... बस बहू को लग गया कि बिना फ़ौजदारी ये ससुर जी मानने वाले नहीं हैं।

 

 

वैसे यह भी हो सकता था कि ताजीराते हिन्द, ससुर जी को क़ैद-ए-बामशक्कत दी जाती भले महीने-दो महीने की ही सही। बच्चू जब खुद को झाड़ू-पोंछा लगाना पड़ता तो बहू की मेहनत का मूल्यांकन कर पाते। उसका दुख-दर्द समझ पाते। हमारे एक मास्साब थे वो  हमें डांटते वक़्त धमकी देते थे ‘एक चाँटे में ज़िंदगी बना दूंगा’ हम सोचते बेटा कितना न असरदायक और प्रभावशाली होगा गुरु जी का चांटा। अब बीवी ने ससुर साब को साझा दिया होगा कि फर्श साफ करने और साफ रहने देने की क्या महत्ता है।

वैसे उनकी अपनी सुरक्षा के लिए भी ये ज़रूरी है कि वे गीले फर्श पर ना चले, जरा सा फिसल जाते तो सब बहू को ही दोष देते। बहू तो है ही शुरू से बुरी। ससुर जी को ठीक  से समझाने के लिए एक बार ये हाथापाई ज़रूरी थी। बहू कह सकती है कि इनकी पिटाई इनके अपने हित में की गई है। आजकल कूल्हे की हड्डी टूटने में कोई देरी लगती है ! फिर  सेवा भी मुझे ही करनी पड़ती। ये तो बिस्तर पर पड़े-पड़े हुकुम चलाते रहते ( दोनों बाप-बेटे एक से हैं )

 

 

      मैं सोच रहा हूँ ससुर साब अब गीले क्या सूखे फर्श पर भी चलने में घबराएँगे कि अब हुई पिटाई कि अब हुई पिटाई। बहू कहीं से देख तो नहीं रही। अभी आकर दबोच ले और ले थप्पड़, लात-घूंसे चलने लगें।

 

        

  कनटाप पड़ने लगे, लात चलने लगी

  चेहरे - चेहरे पर सूजन उभरने लगी

   आँख लाल-लाल हुई,  आँख काली हुई

   गीले फर्श पे पहने जूते,जब ससुर आ गया

 

व्यंग्य: मेरे साबुन से क्यों नहाया? पत्नी ने बुलाई पुलिस


                 


     सच ही तो है ! ये तो कोई बात नहीं हुई कि पत्नी बेचारी !  बाज़ार के बाज़ार छान कर अपने लिए नवीनतम सौंदर्य साबुन लाये, महकता गुलाबों की खुशबू वाला, फिल्म स्टार जिससे नहाती हैं वह वाला। कितना तो महंगा आता है और चार दिन नहीं चलता। अब ये पति भी उसी से नहाने लगेगा तो कितने दिन चलेगा बल्कि यों कहिए कितनी बार चलेगा। साबुन वह भी नहाने का ! आपका अपना प्राइवेट मैटर होता है। अब उसे वो साबुन फेंकना ही पड़ेगा या फिर पति को ही देना पड़ेगा। हो सकता है यह साबुन पत्नी ने आयात किया हो या गिफ्ट बतौर उनकी कोई सहेली लाई हो विदेश से। ऐसे किसी के साबुन से नहीं नहाते है। इसमें बहुत खतरा है। एक आदमी अपने ऑफिस में शेख़ी मार रहा था उसकी वाइफ और हेमा मालिनी में बहुत समानता है, दोस्तों ने पूछा वो कैसे ? वह बोला दोनों लक्स से नहाती हैं।

 

 

     अब पुलिस ने पति देव को तबियत से नहलाया होगा। ऐसा नहलाया होगा कि अगला नहाने के नाम से ही कांप उठेगा। हो सकता है अब वो नहाने को ही तिलांजलि दे दे। या फिर कोई शपथ-वपथ ले ले कि वह अब जीवन पर्यंत बिना साबुन ही नहाएगा।

 

 

        दे दी हमें आज़ादी तूने बिनु खड़ग, बिनु ढाल !

ओ पत्नी के साबुन से नहाने वाले तूने कर दिया कमाल 

 

 

     हमारा पूरा घर एक लाइफ़बाॅय से नहाता था। और तो और, एक तौलिया से पूरा घर बदन साफ करता था। अब जब हम एफोर्ड करने लगे तो सबके अपने-अपने साबुन हो गए, अपनी अपनी तौलिया हो गईं और तो और अपने अपने बाथरूम हो गए।

हम चार-पाँच दोस्त जब एक के घर गये तो उन्होंने हद ही कर दी, सब को वो अपने घर के सदस्यों के इस्तेमाल किये हुए, टूथ ब्रश देने लग गए  "चलो ! दाँत साफ कर लो।"  मैं कभी टूथ ब्रश को देखता, कभी मेजबान को।

 

 

      हम अपने छोटे भाई को अपनी कमीज, अपनी पेंट देने में कोई उज्र ना करते थे। ना ही वे लोग बापरने में। एक चारपाई पर दो लोग का सोना आम था। अब चारपाई छोड़िए अपने बेडरूम में दूसरे की उपस्थिती ही असहनीय लगती है। मुंबई में तो एक नाती ने अपनी दादी का मर्डर ही कर दिया कि "ये जब गाँव से आती हैं, इन्हें मेरे कमरे में सुला देते हैं। उसकी प्राइवेसी का क्या ?" अब आजकल ये प्राइवेसी और 'माई स्पेस' नामक नई बीमारी चली है।

 

 

सोचने वाली बात ये है कि पत्नी ने पुलिस क्यों बुलाई ? हो सकता है पति 'रिपीट ऑफेंडर' हो। पत्नी ने भी सोचा हो एक बार तो इसे सबक सिखा ही दिया जाये। कहाँ तो हम सुनते थे एक फिल्म स्टार और उसके साथ रहने वाली सिने तारिका एक ही टूथ ब्रश का इस्तेमाल करते थे। कहाँ ये कि साबुन से नहा भर लेने पर पुलिस पकड़े लिए जाती है। अब पता नहीं पुलिस साथ ले गई ? हवालात में रखा? कितने दिन की रिमांड ली गई थर्ड डिग्री की पूछताछ करने पर उसने अपना जुर्म कितनी देर में कबूल कर लिया ? पत्नी का साबुन क्या, अब बिना साबुन भी नहाने से तौबा कर ली। पुलिस उसे हथकड़ी लगा कर ले गई या बेड़ी भी पहनाई ? भैया तुम लकी हो जो पुलिस को कुछ ले दे कर, कुछ माफी मांग कर कुछ जुर्माने स्वरूप साबुन की टिक्कियों का इंतज़ाम कर देने मात्र से तुम्हारी जान बच गई। नहीं तो तुम क्या कर लेते अगर भाभी जी किसी को तुम्हारी सुपारी दे देतीं। एक अदद नीला ड्रम और सीमेंट ले आतीं या फिर तुम्हें घुमाने शिलांग ले जाती।

 

एक बात गांठ बांध लो !  साबुन से नहाना स्वास्थ्य, नहीं ! नहीं ! स्वास्थ्य नहीं, जीवन के लिए हानिकारक है। सुना नहीं साबुन से त्वचा रोग हो जाते हैं। खुश्की हो जाती है। अब ज़िंदगी चाहते हो तो साबुन से नहाना बंद। आप शेर हैं भला शेर को साबुन की क्या दरकार। शेर जरा सी साबुन की टिकिया के चक्कर में पुलिस थाने के चक्कर लगाए। अच्छा नहीं लगता।