Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Sunday, June 29, 2025

व्यंग्य: छुओ न ! छुओ न ! मुझे छुआ तो 35 टुकड़े कर दूँगी

                      

 

             अब ये तो कोई बात नहीं हुई। इंसान शादी क्यों करता है ? यह कोई प्लेटोनिक रिश्ता बनाने को तो नहीं। प्लेटोनिक-व्लेटोनिक शादी से पहले की बातें होतीं हैं। अब शादी के पहले दिन ही या बोलो, पहली रात ही अगर दुल्हन दीदी कह दें खबरदार जो मुझे छुआ भी।  इतना सुन कर ही दूल्हे राजा को कैसा तो भी लगा होगा। यह तो कुछ नहीं आप तो ये सोचो तब कैसा लगा होगा जब दुल्हन दीदी ने अपने तकिये के नीचे से चाकू निकाल कर, चाकू दूल्हे राजा के मुंह पर लहरा कर धमकी भरे स्वर में कहा “35 टुकड़े कर दूँगी अगर मुझे छुआ भी ”। दूल्हे राजा ने अभी तक सिर्फ गाना सुना था “इस दिल के टुकड़े हज़ार हुए....” ये 35 टुकड़े और वो भी दिल के नहीं, समूचे जिस्म के। नई बात थी। दूल्हे के मुंह पर एक रंग आ रहा होगा एक रंग जा रहा होगा। 

 

 

          जैसे तैसे वो रात तो कटी। कहावत है न ! क़त्ल की रात। ये क़त्ल की रात तो कट गयी। दिन तो गुजर गया। मगर शाम से ही फिर वही स्यापा। दुल्हन दीदी ने लगातार तीन रात यह कह कर दूल्हे राजा की सिट्टी पिट्टी गुम कर दी। चौथी सुबह दूल्हे राजा का सब्र जवाब दे गया और घर वालों को पूरी कहानी बता दी। घर वाले भी चकित रह गये। खासकर ये 35 टुकड़े वाली बात। वे दौड़े-दौड़े गए और पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखा दी। पुलिस ने लगे हाथों लड़की वालों को भी बुला भेजा।

 

             दुल्हन दीदी ने सबके सामने साफ-साफ कह दिया वह किसी की अमानत है। हमारे समाज में कहावत भी है अमानत में खयानत नहीं। शादी की चौथी रात थी जब दुल्हन दीदी घर की चार दीवारी लांघ कर ये जा वो जा।

 

          

     पराई हूँ पराई मेरी आरज़ू न कर

    न मिल सकूँगी तुझे मेरी जुस्तजू न कर

    

 

 पर सोचने वाली बात ये है कि दुल्हन दीदी ने ये बात शादी से पहले अपने माता-पिता को स्पष्ट क्यों नहीं कर दी थी ? क्यों बेचारे दूल्हे राजा और उसके परिवार की फजीहत कराई। अपने परिवार की भी कोई इज्ज़त अफजाई तो हुई नहीं इससे। दुल्हन दीदी के माता-पिता को भी चाहिए था कि भली-भांति बिटिया से पूछ लेते तब आगे बढ़ते। हुआ तो अब भी वही जो दुल्हन रचि राखा।

 

 

 

 

No comments:

Post a Comment