यह
एक प्रकरण पर्याप्त है दुनियाँ को इस बात का यक़ीन दिलाने को कि प्यार, प्रेम, मुहब्बत बहुत बड़ी नियामत है। यह किसी बंधन को
नहीं मानती। यह कभी भी हो सकती है। कहने को तो एक मशहूर शेर है:
मुहब्बत के लिये कुछ खास दिल मखसूस होते
हैं
ये वो नगमा है जो हर साज पर गाया नहीं जाता
पर
आप देख रहे हैं ये नगमा ना जाने कौन-कौन से किस- किस साज पर गया जा रहा है। प्रेम
विश्वव्यापी है। सर्वव्यापी है। यह अंधा होता है। न्याय की देवी की तरह। ये कोई
फर्क नहीं करता है। अब आप इस घटना को ही देख लीजिये जहां एक नौ बच्चों की मां का
दिल आ गया। अब आ गया तो आ गया। दिल का क्या ग़म गया तो गया। इन नौ बच्चों में से
तीन बड़ी लड़कियां तो शादीशुदा बताई जाती हैं। अब ये बात छोड़िए की उनके लिए क्या
उदाहरण प्रस्तुत किया है। सब अपनी-अपनी ज़िंदगी जी रहे हैं। अपने-अपने उदाहरण सेट
करते हैं। कोई किसी के बताए मार्ग पर नहीं चलता। चलता होता तो आप जानते हो हम एक
बेहतर दुनियाँ में रह रहे होते।
इन
खातून ने ये साबित कर दिया है कि प्रेम का कोई विकल्प नहीं है। नौ बच्चों की मां
की दिल की डाली हरी थी असली प्रेम की प्रतीक्षा में। और जब वो मिल जाता है तो कोई
बंधन ऐसा नहीं जो पार न किया जा सकता हो। काटा न जा सकता हो। प्रेम की लहरें जब
हाई टाइड पर आती हैं तो सैलाब आ जाता है। फिर हम-आप जैसे लोग बस वो ही करते हैं जो
करने लायक हम बच रह गए हैं – बहस। नौ बच्चों के बाद भी उस खातून के अंदर एक लड़की
ज़िंदा थी। उसके अरमान, उसकी हसरतें बाकी थीं। उसका पति सोचो कितना बड़ा ‘बोर’ होगा। कि वह
भद्र महिला नौ बच्चों के बाद भी वेट करती रही। वह इस शादीशुदा ज़िंदगी में घुटन
महसूस करती होगी। बंधनों से आज़ाद होने की ख़्वाहिश रखती होगी। जैसे ही पहला अवसर
मिला व फुर्र हो गई। अतः बच्चे कितने हैं, कितने बड़े हैं, कितने शादीशुदा कितने कुँवारे हैं ये बेकार की
बातें हैं और उनका कोई अर्थ नहीं। जब क्यूपिड महोदय अपना तीर मारते हैं तो
प्रेमीजन बिलबिला जाते हैं और एक दूसरे के लिए मरहम का काम करते हैं।
मैं झंडू बाम हुई
नोट:
पूरी घटना का दुखद हृदय विदारक पहलू है - पति का मृत पाया जाना। बच्चों की यह
तस्दीक कि मां पहले भी चार पांच बार इन्हीं अंकल के साथ जा चुकी है। तब पापा समझा
बुझा कर ले आते थे। और मां का तभी से गायब हो जाना
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