Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Sunday, April 11, 2010

एहसास

51.
ढूँढ लूँगा निदान मैं,अपनी पीड़ा का तेरे गान में
ज्योति जो एक झोंके से बुझ  गयी
वो नहीं मेरी प्रेरणा, मैं तो अबतक जीया
देख के वो दीया जो जलता रहा तूफान में.

52.

मेरा जीवन सूना है कोई साज़ नहीं है
मेरी दुनियाँ तुमसे अलग है कोई रिवाज़ नहीं है
प्यार हाँ प्यार मैं फिर भी करता हूँ
मेरा प्रेम किसी रिश्ते का मोहताज नहीं है

53.

साकी दो चार प्यालों से क्या होगा
रात को पी सुबह उतर जाएगी
पिलाओ अपनी आँखों से मुहब्बत की शराब
रात तो रात है मेरी ज़िंदगी सँवर जाएगी

54.

ज़िक्र छिड़ा जब तुम्हारा महफिल में
शुक्र है मेरी हिचकियों ने छुपा ली तुम्हारी बेवफाई
कोई इसरार तो न था,कोई छुपाव तो न था
फिर क्यों तुमने जब भी खायी कसम झूठी ही खायी
55.
बहार का मेरी ज़िंदगी से कोई ताल्लुक न रहा
तुम्हारी मनौती का मेरी बंदगी से कोई ताल्लुक न रहा
जी के क्या करेंगे अब हम,तुम्हारी आँखों का
मेरी तिशनगी से कोई ताल्लुक न रहा

56.

एक तुम्हारा साथ पा मैं
तरक्की की बुलंदियाँ पार कर जाऊँगा
एक तुम जो चलो साथ मेरे
सच कहता हूँ मैं तूफानों को कैद कर लाऊँगा
तुमसे अलग मेरी जान, मेरी जान कुछ भी
मैं मैं नहीं, हूँ भी तो मेरी पहचान कुछ भी नहीं
तुम ही तो मेरी ज़िंदगी की दौलत हो
मेरा जोश,मेरी शोहरत,मेरी ज़रूरत हो
ये दुनियाँ तो बस ख्वाब है दीवाने का
इसमे बस इक तुम ही तो हक़ीक़त हो

57.

रात सूनी, दिन
खामोश क्यूँ है
तुम मेरे पास नहीं
मुझे इतना भी होश क्यूँ है


58.


ये फ़ासला तुमसे घटाया नहीं जाता
हमारा ये दुख बंटाया नहीं जाता
हर बार ये कह के टाल दिया
किस्मत का लिखा मिटाया नहीं जाता

59.

तुम्हारा ज़िक्र, तुम्हारी याद
तुम्हारा नाम था दिल की गहराई में
यूँ हर मुकाम से हँस कर गुजर गए
हम तुम्हारी रहनुमाई में


60.

ज़िंदगी के तमाम अजूबों से हँस कर गुजर गए
जब से हैरत में डालने का वादा कर गया कोई
कुल शहर से नज़रें चुरा रहे हैं हम
जब से ख्वाब में आने का वादा कर गया कोई
ताउम्र समंदर से खाली हाथ लौटते रहे
नसीब देखिये,किनारे पे मेरे नाम मोती रख गया कोई
हम तो हिसाब-किताब में वैसे ही कमजर्फ थे
रोज़ रात तारों की गिनती क्यों मेरे नाम कर गया कोई
ज़ाहिर है वो मुझसे खफा हैं, तू भी उनका पर्दा रखना ए कासिद
कहना कल हौले से ले उनका नाम, मर गया कोई


(   काव्य संग्रह ' एहसास'  2003 से  ) 

No comments:

Post a Comment