एम बोले तो मुन्ना भाई सेकंड, जिसने हमारी गांधीगिरी से मुलाक़ात कराई. वरना हम तो कबके ओरिजनल कूल गांधी को भूल चुके थे. जितने गांधी आजकल चल रेले हैं वे उस विनटाज़ ब्रीड के नहीं. एम से और भी बहुत कुछ चल रेला है. एम बोले तो मनमोहन. आज की तारीख में उनसे ज्यादा गांधीगिरी से पीड़ित ... नहीं नहीं प्रभावित और कोई नहीं. बोले तो मन मार कर भी हँसना पड़ता है. दिखाना पड़ता है कि सत्ता के दो केंद्र नहीं एक हीच है. बोले तो उस पार मुशर्रफ इस पार मनमोहन.
एम बोले तो मंडल कमीशन जो कमीशन न हो कर अब एक मिशन बन गया है. ए.बी.सी. से लेकर ओ .बी.सी. तक या कहिए एक्स वाई ज़ेड तक पूरा देश ही पिछड़ गएला है, पता नहीं बचेला कौन है . कोई पैसे से पिछड़ा है कोई पढ़ाई से,कोई पावर से कोई पोलिटिक्स से. एम बोले तो अब मालेगाँव को ही ले लें जैसे अमीरी का कोई मजहब नहीं होता वैसे ही गरीबी का कोई मजहब नहीं होता. मालेगाँव हो या मुंबई ब्लास्ट ,खून इंसानियत का ही बहता है. हमेशा इंसानियत ही मरती है.
एम बोले तो एम.बी.ए.. आजकल डॉक्टर इंजीनियर और आई ए एस के अलावा अगर किसी चीज़ की सॉलिड डिमांड है तो वह है एम.बी.ए. हमारे वक्त में एम.बी.ए. दो-तीन विषयों में होती थी. अब दो-तीन सौ विषयों में एम.बी.ए की जा सकती है. मसलन एम.बी.ए. इन दूध दुहना अंग्रेजी में बोले तो मिल्क टेक्नालजी. आने वाले वक्त में एम.बी.ए. इन प्याज,टमाटर, बैंगन प्रोडक्शन से लेकर एम.बी.ए इन मेकअप,एम.बी.ए इन वजन घटाना, एम.बी.ए. इन कुत्ता टहलाना, एम.बी.ए इन भीड़ जुटाना, जैसे उपयोगी एवं समसामयिक विषयों पर भी एम.बी.ए. की जा सकेगी. टेंशन नहीं लेने का भाई. इन कोर्सों में दाखिला दिलाने को कोचिंग सेंटर भी चलेंगे अब लालू जी मेनेजमेंट पढ़ाने पहुँचे हैं तो एम.बी.ए. को भी नयी दिशा,नयी आवाज,नया महत्व मिलेगा. यूँ अपुन का देश लालू और ज़ैल सिंह सरीखों से पटरी नहीं बैठा पाता है. अपुन काले अंग्रेजों को ये माफिक नहीं गिरता कि कोई देशी खाटी आदमी बड़ा आदमी बन जाए. याद करें सबसे ज्यादा जोक्स इन्हीं पर बनाये गए हैं.
एम बोले तो ममता दीदी व मायावती बहिन जी. भाई इनके बारे में आजकल कम दिखायी-सुनायी पड़ रेला है. बोले तो ये कहीं मार्क्सवादियों और मनुवादियों की कोई नयी साज़िश तो नहीं भाई. अगर तूफान से पहले की शांति है तो वांदा नहीं. अपुन को मालूम है ये जब निकल पड़ती हैं तो सबकी वाट लगा देती हैं.
एम बोले तो मारुति. मारुति वालों ने अपनी कारों के कितने मॉडल्स निकाले हैं उन्हें खुद भी याद नहीं होगा. मैं क्या बोलता हूँ बोले तो मुंसिपालटी वालों से कह के सड़कें भी तो मारुति लायक करवा दें. आप ही बतायें चौथे गियर,पाँचवे गियर का क्या फायदा जब बापरने का नहीं. बस शो के वास्ते है. एम बोले तो मेट्रो, मेट्रो ने आवागमन की सुविधा तो दी मगर ये फायदा तो कुछ भी नहीं. असली फायदा तो यह है कि जहाँ जहाँ से मेट्रो गुजर रही है वहाँ प्रॉपर्टी के भाव आसमान छू रेले हैं. मेट्रो नीचे.. प्रॉपर्टी रेट ऊपर.इसको कहते हैं जीओ-पोलिटिकल टेकनो-इकनोमिकल बेनीफिट. हिन्दी में बोले तो नेता लोग इसी को चहुंमुखी विकास बोलता है.
एम बोले तो मोबाइल ... जिसने संचार क्रांति ला दी है. आप गरीबी रेखा के नीचे हो सकते हैं मगर आप पर मोबाइल न हो ये कोई यकीन नहीं करेगा.आप पर खाने को न हो ये सच हो सकता है मगर मोबाइल न हो, हो ही नहीं सकता. पिछले दिनों एम बोले तो मथुरा में मुरारी को जीन्स पहनाई तो उनके हाथों में मित्र लोगों ने मोबाइल भी थमा दी.भाई यह क्या मसखरी है. सुदर्शन चक्र का यह मॉडर्न वर्जन है क्या.
एम बोले तो माधुरी फ़िदा हुसैन. आजकल चुप चुप हैं. माधुरी जी फ़ॉरेन में हैं. यहाँ रह गए ज्यादातर मानुष के मगज में मॉडर्न आर्ट घुसती ही नहीं. सिर्फ नंगापन दिखता है. इनके दिमाग का यही केमिकल लोचा है. इनके साथ मगज़मारी कौन करे. बैठे बिठाये दिमाग का दही करते हैं.
एम बोले तो मॉडलिंग भाई. ये भी आजकल खूब चल रेली है. ये मॉडलगिरी वाले गांधीगिरी से सॉलिड प्रभावित हैं भाई. बोले तो वहाँ ज्यादातर देखने-दिखाने वाले लंगोटी में ही नज़र आते हैं.
एम बोले तो मतदाता, मतदाता को लुभाने-रिझाने का काम चालू हो गया है. चुनाव आने वाले हैं. मंत्री जी जुट गए है ताकि आगे भी मंत्री बने रहें. गांधी जी ने कभी चुनाव नहीं लड़ा सो गांधीगिरी से चुनाव नहीं जीते जा सकते. सबसे बड़ी बात है एम बोले तो मंदिर मस्जिद के मसले सुलगते रहें वरना मरने वालों के लिए सहायता राशि और मुरदों को लेकर सियासत कैसे होगी ? चुनाव गांधीगिरी से नहीं सियासतगिरी से जीते जाते हैं. ये बात अपुन भी समझते हैं.एम बोले तो मामू समझ के रखा है क्या ?
( व्यंग्य संग्रह 'मेरे 51 व्यंग्य' 2008 से )
M Bole to Mama too
ReplyDeleteRespected Ravi Sahib,
ReplyDeleteYou've done it once again!!....
The carefully chosen words bring the scenes alive and make the reader feel the pain n pangs of the character....
Your flair in writing is infectious