Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Thursday, April 29, 2010

एहसास

61.
बादल गड़गड़ा के जम गए

होंठ कुछ कहते कहते थम गए

प्रिय तेरी हर मुलाक़ात ने

मुझे दिये हैं कुछ ग़म नए


62.

केशों के घने सघन साये

कुछ इस तरह गगन पे छाए

सूरज ने लाख कोशिश की

सवेरे लौट कर न आए

63.

तुम्हारे साथ की यादें नासूर हो गयीं

मेरी मुहब्बत की बुलंदियाँ ही मेरा कुसूर हो गयीं

अच्छा हुआ जल्दी ही मेरी जगह मुझे बता दी

चलो कुछ गलतफहमियाँ तो दूर हो गयीं

64.

ऐसी चली ज़माने की हवा

अज़ीज़ माँगने लगे मौत की दुआ

नज़रिये पुराने हो गए

अब यही चलन है, नया कुछ भी नहीं हुआ

65.

दिल लिखना, नसीब लिखना

दर्द लिखना,ज़िंदगी लिखना

कितना मुश्किल है

उनपे कुछ भी लिखना

गेसूओं पे क्या कहूँ

जो पहले नहीं कहा

उनकी ये ज़िद

इनपे फिर भी कुछ लिखना

नर्म,गुलाब पंखुरी से होंठ तेरे

अता करें ज़िंदगी

मुश्किल है इस से बरतरफ़

इनपे कुछ लिखना
तेरी आँखों का मशकूर मैं

इस जनम फिर मुझे पहचान लिया
मुमकिन नहीं इनकी जादूगरी पे
दीगर कुछ भी लिखना

दिल लिखना.. नसीब लिखना

66.

तमन्ना नहीं राँझा या मजनूँ बनूँ

तमन्ना नहीं किसी की रातों का जुगनूँ बनूँ

हसरत अगर थी तो सिर्फ एक

तमाम उम्र उसी का रहूँ,मैं जिसका बनूँ

67.

भटकन इतनी थी ज़िंदगी में

सारी ज़िंदगी ही भटकन बन गयी

वस्ल की एक घड़ी ने किया है वो काम

एक छोटी सी रात ज़िंदगी भर की तड़पन बन गयी.

68.

जिनसे हुए थे वादे ताउम्र साथ निभाने के

वो साथ रह कर भी अजनबी हो गए

मेरे सभी ख्वाब, एक के बाद एक,

बस मुल्तवी हो गए

अपने चाक गरेबान का ग़म नहीं मुझे

चल तेरे अरमान तो पूरे हो गए

69.

गुलशनपरस्त काँटों मे दो दिन भी रह न सकेंगे

ये काँटे ही हैं जो, फिर भी निभाये जाते हैं

इस पर भी बस होता तो नियामत थी

हमें तो कायदे से रहने के फरमान सुनाये जाते हैं

70.

आज नहीं तो शायद कल पता चल जाये

ये मेरा इश्क़ है,तेरा हुस्न नहीं जो ढल जाये

मेरी दीवानगी देख,मेरी वफ़ा देख

मैं कायल हूँ तेरे खुलूस

तेरे तबस्सुम, तेरे ख्यालात का

आज तू जवाँ है, तेरी दुनियाँ हसीं हैं

तू फ़ैसला कल पे न छोड़

कौन जाने कब ये मंज़र बदल जाये

तेरा हर कौल मुझे मंज़ूर

मैं अगले जनम तक

फिर तेरा इंतज़ार कर लूँगा

चल तेरा ये अरमान भी निकल जाये

आज नहीं तो शायद कल पता चल जाये ..







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