( यह पत्र तब लिखा था जब वीरू भैया ने सबकी खाट खड़ी कर रखी थी )
आदरणीय वीरु भैया
सादर प्रणाम
जब से आपके चर्चे हर अखबार और हर न्यूज चैनल पर आने लगे हैं, हमें सच मानिये, बहुत ‘खुशी’ हो गयी है, हमारा दिल गार्डन—गार्डन ... नहीं ..जंगल ..जंगल हो गया है और चंदन की तरह महक रहा है. हमारे वीरु भैया ने आखिर ‘सम्भव’को ‘असम्भव’ कर दिखाया है. ‘ कर्नाटक’ वाले नाटक कर रहे हैं आपको पकड़ने का. मगर आप उनके हत्थे नहीं चढ़ रहे हैं बिल्कुल राबिन हूड की तरह. आपकी लीला नगरी कुंज वन है. कन्हैया की लीला नगरी भी कुंज वन ही थी. ना कन्हैया की लीला जनसाधारण की समझ में घुसी ना आपकी घुस पा रही है. बडे लोगों की बातें, बडे लोग ही जानें. आज तक कृष्ण कथा सुना सुना कर लोगों को समझाने का प्रयास जारी है. वैसे ही आने वाली पीढियां आपका गुण बखान करेंगी. बस एक ही अंतर है कन्हैया ने कुंज वनों में बंसी बजाई थी आप बांस ( चंदन ) काट रहे हैं और कर्नाटक की खाट खडी- किये हैं.
इधर तमिलनाडु में भी आपको पकडने के प्रयासों का जोर शोर से प्रचार किया जा रहा है. आप तनिक भी विचलित ना होना. ये आप तक हरगिज़ नहीं पहुंच पायेंगे. आपकी मूंछ का एक बाल भी बांका ना होगा. ऐसी मूंछें मुझे तो याद नहीं पड़ता. भारत क्या विश्व इतिहास में किसी दूसरे महापुरुष की रही हों. आप तो मूंछों के बल पर ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में आ जायेंगे. जितना पुलिस, अमला और गोला बारूद इन्होने आपको पकड़ने में वेस्ट किया है उतने से तो कर्नाटक के गांव-गांव, वन-वन में बिजली पहुंचाई जा सकती थी.
मुझे लगता है कि आपने बिल्ली-चूहे की रोटी वाली कहानी जो बचपन में हम सब सुनते हैं और मर्म जाने बिना भूल जाते हैं को अच्छी तरह आत्मसात कर लिया है. तभी तो तमिलनाडु और कर्नाटक की आपस की लडाई में आप खूब रोटियां तोड़ रहे हैं. कई बार मुझे लगता है कि आजकल के भूमंडलीकरण के टाइम पर आपको अपना एक वीरप्पन ब्रांड पेटेंट करा लेना चाहिये जैसे वीरप्पन ब्रांड दूरबीन, वीरप्पन ब्रांड मूंछें, वीरू राइफल, वीरु केसेट, वीरु घड़ी, वीरू टेप रिकार्डर, वीरू विस्की,मुझे पता नहीं आप शौक करते हैं या नहीं मगर इस से क्या ? हमारे स्टार लोग कितने ऐसे तेल, साबुन की माडलिंग करते फिरते हैं.
अब वक़्त आ गया है कि आप खुलकर सामने आ जायें. पहले तो एक खादी का धोती-कुरता बनवा लें. धोती-कुरता ना सही तो कुरता पाजामा तो कम्पल्सरी है. ये नंगे बदन माडलिंग तो चल सकती है, नेतागिरी नहीं चलेगी. वैसे भी अब ये गांधी का भारत तो रहा नहीं. इससे याद आया आप कोई मच्छर भगाने वाली क्रीम का एड भी कर सकते हैं. इन अभागों ने आपका कोई ‘फुल लेंथ’ फोटो नहीं लिया है. जिससे पता चलता कि आप किस कम्पनी के ब्रीफ, पतलून, मोजे, जूते पहनते हैं. आपका मनपसंद मोबाइल कौन सा है. किस ‘मेक’ की बाइक आप इस्तेमाल करते हैं. आप कौन सा मिनरल वाटर पीते हैं. आपकी पसंद कौन फूड है—इटैलियन, थाई, या चाइनीज और कौन सा रेस्टोरेंट आपका ‘फेवरिट’ है. आप झटपट अपना एक पोर्टफोलियो बनवा लें और एक अच्छा सा मैंनेजर-कम-सेक्रेटरी-कम- मार्किटिंग एक्ज्युकिटिव नियुक्त कर लें. जो आपकी नेट वर्थ बतायेगा. और आपको इंटरनेशनल बनवा देगा.
आपने फिर क्या सोचा है. राजनीति में कदम रखेंगे या फिल्मों में ? दोनो जगहों की ज़रूरतें एक सी हैं. दोनों में अंतर बहुत कम है. देखो जी जब तो फिल्मों में आना हो वीरू नाम बहुत माकूल है . एक्टर, डाइरेक्टर, प्रोडुसर, राइटर, विलैन.... आल इन वन ...वीरू पेश करते हैं वीरप्पन इंटरनेशनल का ‘ चंदन का तस्कर’, ‘जंगल में चंदन’ ‘चंदन मेरी बाहों में’ ‘ हाथी का हत्यारा कौन ?’ ‘ दो आंखें बारह दांत’ मुझे यक़ीन है कि ये फिल्में बाक्स ऑफिस पर बाकी सब फिल्मों को पीछे छोड- देंगी.
और जब पॉलिटिक्स में आना हो तो आप आकर तो देखो... छा जाओगे..छा. आप देखोगे यहाँ तो पेड़ काटने की ज़रूरत ही नहीं बल्कि पेड़ लगाने के प्रोजेक्टों में ही आप चांदी काटने लगोगे.
मैं तो कल्पना कर रहा हूँ माननीय वीरप्पन जी वन मंत्री . फिर देखना जो वनों की ओर कोई टेढी- आंख से भी देख सके. जो वनों की देखभाल ठीक से ना करे या उन्हें नुकसान पहुंचाये उसी आदमी के दांत निकलवा लिये जायें. आपको तो तज़ुर्बा भी है. फिर देखना वन-वन आपका ही नाम गूंजेगा. ऐसा वन मंत्री... ना भूतो... ना भविष्यति. आपके आगे कोई जंगल में छिपने की हिमाकत नहीं कर सकता. आप फौरन उसे ऐसे पकड लेंगे जैसे बच्चे आपस में आइस-पाइस के खेल में एक-दूसरे को पकड़ लेते हैं. बढा मज़ा आयेगा. आपका कैबिनेट रेंक तो पक्का है. वन मंत्री ...अतिरिक्त भार पशु कल्याण. थोडे लिखे को बहुत समझना और इस सेवक को डेपुटेशन पर लेना ना भूलना.
आपका शुभचिंतक
पुनश्च: रिवाज़ के मुताबिक मैं इस पत्र की एक प्रति प्रेस को भी लीक कर रहा हूँ. प्लीज माइंड मत करना.
Nice!!!yatharth !!
ReplyDeleteआपको पसंद आया बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDelete