Ravi ki duniya

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Sunday, November 20, 2011

व्यंग्य: कस्बे के नेता की बरसी

हमारे कस्बे के नेता पिछले बरस किसी रहस्यमय बीमारी से चल बसे थे. कुछ लोग बताते हैं कि वे मुम्बई गये थे वहां बलबीर पाशा के विज्ञापन से वे बहुत प्रभावित हुए. खोजी तबियत के थे अत: विज्ञापन की तह में चले गये और पूरी जानकारी फर्स्ट हेंड ले कर ही लौटे थे. आते ही खाट पकड़ ली. खाट ऐसी पकडी‌ कि छोडी तो दुनियां ही छोड़ दी. कस्बे का और नेता का नाम बदनाम ना हो अत: बात दबा गयी. आज इन्हीं का जलसा है. पहले इनके प्रतिद्वंदी रहे एक नेता बोलने उठे. वे सूखाग्रस्त क्षेत्र की गाय से मरियल थे मगर वाणी में ओज़ था. वो चीखे “ बहुत ही काबिल इंसान थे राम खिलावन मेरे तो उनसे सन सैंतालीस से मधुर सम्बंध थे” किसी ने पीछे से कहा आप तो यूथ कांग्रेस के जलसे में पिछले माह अपनी आयु उनतीस बरस बता रहे थे, फिर सन सैंतालीस से मधुर सम्बंध कैसे हो गये. उन्होने तुरंत बात सम्भाली ये दिल की बातें हैं हमें वो बहुत मानते थे. आप सन सैंतालीस की बात कर रहे हैं ... भैया राम खिलावन तो हमसे अक्सर कहते थे “ किसन सरूप हमारा-तुम्हारा पिछले जनम का रिश्ता है. हम तो दो प्रान एक तन.. नहीं नहीं दो तन एक प्रान थे.” पिछले चुनाव में जब उनकी जमानत जब्त हुई रही तो रोते हुए बोले थे किसना मैं हार गया इस सामंती व्यवस्था से. इस भूमंडलीकरण से. जमानत के पैसे तुमसे ही लिये थे बोलो कब दें. हम कहे “ दद्दा ! हमारे और आपके पैसे में कोनी फरक है क्या. आज कही सो कही. अब कभी हम दोनो के बीच पैसे की बात नहीं आनी चाहिये. वो बात के धनी निकले. मरते दम तक ना उन्होने जमानत के पैसे दिये ना दुबारा बात ही छेड़ी.
पिछले साल मेले में नासिक गये रहे. हमें देवलाली छोड़ वे मुम्बई घूमने गये. सुने रहे कि मुम्बई में किसी लाली-डाली के पास पार्टी और अपने हाथ मजबूत करने वास्ते डिस्कस को गयले रहे. लौटे तो खून की कै करते. मैं तो कहता हूं ये लाली-डाली कोई विपक्ष की एजेंट रही होगी. हम चाहते हैं कि रामखिलावन जी की असामयिक मौत की सी.बी.आई. से जांच कराई जाये. सरकार हमारी सुन ही नहीं रही है. बैंक घोटाले, शेयर घोटाले के चलते टाले जा रही है . यदि आप चाहते हो कि बाबू राम खिलावन की मौत की निष्पक्ष जांच हो उर दोसियों को सज़ा मिले तो भाईयो और बहनों अगले चुनाव में हमें दिल्ली भेजिये.हम दिल्ली की ईंट से ईंट बजा देंगे. सरकार सीतापुर की जनता के अबला ना समझे. सीता मैया ज़मीन में समा गयी होंगी. हम तो सरकार हो या विपक्ष ससुर की टांग पर टांग रख कर चीर देंगे. ( अभी टिकट तय नहीं है कि कौन सी पार्टी देगी ) ये जो आतंकवादी ससुरे संसद में घुसे रहे हम वहां रहे होते तो कोनी घुस पाते ? बताईये ? आप ही बताईये ? सभी बोले “ नहीं ...कतई नहीं “ ऐसे नहीं आप सब लोग अपने अपने हाथ उठा कर कहिये राम खिलावन जी की मौत की सच्चाई उजागर करने हमें.... आपके अपने किसन सरूप को मिट्टी पकड़ को जरूर ही जितायेंगे. आप जान लीजिये कि आज देस पर कितना बडा संकट मंडरा रहा है. आप क्या सोचते हो ? ये लोग हमारे हिरन-चीतल मार रहे हैं. हम चुप रहे . पेड़ काटे रहे, हम खामोश रहे. नदियों का पानी बोतलों मे बेचे रहे हम कुछ नहीं बोले पर अब पानी सर के ऊपर हो गया है. आप समझते हो कि अमरीका ईराक के बाद चुप बैठेगा. नहीं. इतिहास गवाह है देस पर सभी हमलावर क्या मुहम्मद गौरी, क्या सिकन्दर, क्या ये आतंकवादी सभी एक ही रास्ते से अंदर आये रहे. हमें ये रास्ता बंद करना है. अगर आप चाहते हो हमार धरती मैय्या पर ये अमरीका वाले नहीं आयें तो हमें वोट दें. आप भूल गये क्या ? अभी 40 बरस पहले अमरीका सातवां बेडा भेजा रहा तो हम ही ना सिस्ट्मंडल ले के दिल्ली गये थे. बाद में ये मंडल बहुत लोकप्रिय हुए रहे और देस के यूथ को नयी दिसा दिये रहे

तो भाईयो ! अगर आप चाहते हो कि आपके भाई-भतीजा, साला-साली, छोरा-छोरी पढे-लिखें, सरकारी नौकरी पायें...बड़ा बड़ा कुर्सी पर बैठें... ऊंच-ऊंचा ओहदा पायें तो हमें आपके अपने मिट्टी पकड़ को अपना कीमती वोट दें. हमें राम खिलावन जी की मौत का बदला लेना है.

जब तक सूरज चांद रहेगा....राम खिलावन तेरा नाम रहेगा......राम खिलावन अमर रहें...देस के नेता किसन सुरुप.... किसन सुरुप तुम संघर्ष करो... हम तुम्हारे साथ हैं...किसन सुरुप ज़िंदाबाद.










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