Ravi ki duniya

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Sunday, November 12, 2023

व्यंग्य: बेटा ! नीचे आओ

 


               बेटा! ये अच्छा नहीं है। बेटा ये तार इसका बिगड़ा हुआ है बेटा! आप नीचे आइये। बेटा ये गरीबी की रेखा है इसके ऊपर कहाँ चढ़े जा रहे हो। बेटा आप नीचे आइये मैंने आपके लिए 5 किलो अनाज का प्रबंध करने का वादा कर दिया है। बेटा ये तार इस सरकार का बिगड़ा हुआ है। आप अगली बार फिर हमें वोट देना हम सब ठीक करा देंगे। बेटा आप नीचे आइये अगली बार जीतने के बाद मैं खुद आपको ऊपर ले कर चलूँगा। बेटा अभी देर है। अभी से गरीबी की रेखा के ऊपर मत चढ़ो। मैं हूँ न। मैं आपको ऊपर ले जाऊंगा। जहां जितने ऊपर आप कहोगे। ये मेरे गारंटी है बेटा। यकीन नहीं तो कोविड में पिछले साल मरने वालों के परिजनों से पूछ लो। मैं उन्हें डाइरेक्ट ऊपर ले गया था कि नहीं।  कुछ तो इतनी जल्दी में थे और इतनी भीड़-भाड़ किए थे कि उन्होने वेट ही नहीं की और रेत और नदी के किनारे ही समाधि ले ली। बेटा आप नीचे आइये। आप इतना ऊपर चढ़ जाएँगे तो मुझे वोट कौन देगा। अच्छा है आप जितना नीचे रहो।  देखो मेरे फोटो वाला बैग शायद आपको मिला नहीं। मैं आपको बैग दिलाऊँगा। आप अपना आधार कार्ड लेकर केंद्र पर आना। बेटा अब नीचे आ जाओ। तुम्हारी और मेरे सेहत के लिए यही अच्छा है कि बेटा आप नीचे ही रहो। आप जितनी नीचे रहोगे उतनी मेरी सरकार मजबूत होगी। आपका ये ऊपर चढ़ना किसी को क्या मुझे ही पसंद नहीं आ रहा है। बेटा! आप नीचे आओ। डेमोक्रेसी में ये ठीक नही कि आप इतने जल्दी इतना ऊपर चढ़ जाओ। बेटा अभी इलेक्शन है अभी आप नीचे ही रहो। आप ऊपर चढ़ गए तो मैं प्रॉमिस क्या करूंगा। गारंटी किस बात की दूंगा। बेटा आप नीचे आइये और नीचे ही रहिए। पाँच किलो अनाज का मेरे मुस्कराती फोटो वाले बैग हर महीने आपको यूं ही मिल जाया करेगा।

 

      बेटा ! नीचे आओ और नीचे ही रहो! मेरे रहते आपको जीवन में ऊपर चढ़ने की सोचना भी नहीं चाहिए।

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