एक ज़माना था जब किसी को नर्वस
करने के लिए इतना कहना ही काफी होता था “भाई का दुबई से फोन है...” भाई ने पाँच
खोखे का कहा है... अतः सब जानते थे ‘भाई’ बोले तो क्या ? भाई सुनते
ही बंदे को अपने भाई-बहन का रोता हुआ चित्र सामने आ जाता था। मोटा मोटा दो ही तो
भाई हैं एक दुबई वाले और दूसरे मुंबई वाले अपुन के सलमान भाई। सुना है अब तो
उन्होने फिल्म भी बनाई है ‘…किसी का भाई’
आजकल आपके फोन पर वांटेड कॉल से
कहीं अधिक अनवांटेड कॉल आते हैं। आप उस दृश्य की कल्पना करिए जब रूस और यूक्रेन का
भीषण युद्ध चल रहा है। युद्ध क्षेत्र में तोपची ने निशाना साधा हुआ है। तोप में
गोला डाला जा चुका है। तोप ज़ोर से घूमी जैसा आपने फिल्मों में देखा होगा। और जैसे
ही तोपची ट्रिगर दबाने को था मिलिटरी का वायरलेस ऑपरेटर दौड़ा दौड़ा आया और चिल्लाया
वही फिल्मी स्टाइल में “हाल्ट... हाल्ट... ऑपरेशन एबोर्ट ... ऑपरेशन
एबोर्ट... सर दिल्ली से फोन है” ऑपरेटर ने
बात की और घिघियाता हुआ सारा टाइम बस ‘यस सर ! यस सर !’ ही कहता रहा और तोप से
गोला निकाल कर, तोप को त्रिपाल से ढँक कर लंच-ब्रेक पर चला
गया। बाद में पता चला कि दिल्ली से नेता जी का फोन था और नेता जी के कहने पर उसने
अब युद्ध रोक दिया है। कोई मखौल नहीं है। नेता जी ने स्वयं सीधे-सीधे उस से बात की
है वो नेता जी का कहा नहीं टाल सकता। जान का क्या है रहे या न रहे। नेता जी की बात
नहीं टाली जा सकती। तो भाइयो बहनों देखी आपने एक फोन कॉल की ताकत। सब इस बात पर
निर्भर करता है कि लाइन के दूसरे छोर पर कौन है।
आजकल दिल्ली की हॉट लाइन किस-किस
ने नहीं जुड़ी हुई। चाहे वो अमरीका हो, रूस हो, यूक्रेन हो,
फिलिस्तीन हो या इजरायल हो। सब जगह दिल्ली के फोन कॉल का डंका बज रहा है। बस इस
फोन में एक ही प्रॉबलम है इसमें केवल आई.एस.डी. सुविधा है। लोकल कॉल नहीं लगते।
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