ऐसा कहा जाता है कि जब अकबर बादशाह ने भक्त
कवि कुंभल दास को सीकरी आकर मा-बदौलत से मिलने को बुला भेजा तो संत ने बादशाह
सलामत से कहा:
संतन
को कहा सीकरी सों काम
आवत जात पनहियाँ टूटी
बिसरि गयो हरि नाम।...
यह 700 साल पुरानी बात है। तब से सियासत बहुत आगे आ गई है। हमको ही देख लो
75 साल में हम कितने बदल गये। उसी तरह संतन भी बदल गये हैं। संत-लोकी बहुत विकास
को प्राप्त हुए हैं। अब हों भी क्यों न। चारों ओर विकास ही विकास की फसल लहलहा रही
है। बोले तो विकास का बोलबाला है। यूं समझिए विकास, जो है सो, दौर-ए-हाजिर
का ‘बजवर्ड’ बन गया है। आप खाक संत हैं अगर आपके मठ, आपके अखाड़े में बड़े-बड़े
नेताओं का आना-जाना नहीं है। आपको ऐसे इवैंट लगाने पड़ेंगे जहां नेता लोग आके आपकी
ड्योढ़ी पर ढोक बजाएँ। और बजाते जाएँ कभी आपके जन्मदिन पर कभी आपके आश्रम के
पुनर्निर्माण के उपलक्ष्य में। सत्ता वाले नेता भी आयें और विपक्ष वाले भी आयें। आप
दोनों को सम-भाव से आशीर्वाद बांटें। सत्ता वाले को कि उसकी सत्ता बनी रहे और
दिन-दूनी रात आठ-गुनी उन्नति करे। मोहल्ले वाला ब्लॉक का, ब्लॉक
वाला ज़िले का ,
ज़िले वाला प्रांत का और प्रांत वाला देश का नेता बनना चाहता
है। विपक्ष वाले का सिम्पल है, बस उसको तो कैसे भी सत्ता में आने का है।
फक़त एक आशीर्वाद बस होगा। संतन का काम ही यह
है कि वे नेताओं को यह समझाने में कामयाब हो जाए कि जहां वे कहेंगे उनके
भक्त, उनके अनुयायी ई.वी.एम. पर वही बटन दबाएँगे। एक बार यह यकीन आ जाये फिर आपकी पौ
बारह है। नेता छोटे-बड़े,
वुड-बी नेता सब आपके आगे-पीछे डोलेंगे।
आपकी तरफ फलां-फलां नेता हैं ये खबर आपके
अखाड़े, आश्रम जो भी आप अपने इस कारोबार को नाम दें इस से आपके बिजनेस को भी चार चाँद
लग जाएँगे। लोग आजकल बहुत अशांत हैं। उनके चित्त को चैन नहीं है। वो एक गुरु की
सतत् तलाश में रहते हैं। बस यही वो शून्य है जो आपने भरना है। एक बार वो कन्विन्स
हो गए कि आप ही उनको भवसागर पार करा सकते हैं फिर उनकी समस्त सांसारिक चीज़ें आपकी
हैं।
पूरी की पूरी केबिनेट आपकी खिदमत में रहेगी। किसी को अपना मनपसंद
पोर्टफोलियो चाहिए तो किसी को बस केबिनेट
में बना रहना है कहीं अगली रि-शफल में बेचारे का पत्ता ही न न कट जाये। बॉलीवुड
अलग दिन रात आपकी सेवा में रहेगा। मेरी फिल्म चलवा दो, मेरे
रील को आशीर्वाद दे दो। मुझे स्टार बनवा दो। मुझे हिट हीरोइन बनवा दो फलां
प्रोड्यूसर को जरा कह भर दें।
नौकरशाह अलग हाथ जोड़े जोड़े यस
सर....यस सर कहते लाइन लगाए खड़े रहेंगे। किसी को मनपसंद पोस्टिंग चाहिए किसी को
मलाईदार पोस्ट पर ट्रांसफर चाहिए।
अब अपने आश्रम का और इसके साथ साथ अपना भी कोई चटकारा भरा नाम रख लो नाम के
आगे स्वामी, बाबा, गुरु जी, साधु, मेरा मतलब कोई तड़कता-फड़कता नाम रखें शुरू में श्रद्धालुओं को नि:शुल्क खाना
खिलाएँ फिर फेमस कर दें कि अमुक स्वामी जी के अमुक आश्रम में कोई प्रसाद कोई चढ़ावा नहीं चढ़ता उल्टा वो हरेक
को बिना भोजन नहीं आने देते। भारत जैसे देश में आपने रातों-रात मशहूर हो जाना है।
जय जय कार अलग। खबर जंगल में आग की तरह फैल जाएगी।
ज़मीन पर खास ध्यान देना है। अब ये तो नहीं न कि आपने तो अपने आश्रम के
लिये ज़मीन झटक ली और उसमें कुछ बाहर से सोशल सर्विस जैसे दिखने वाले काम शुरू करा
देने हैं जैसे स्कूल। उसकी आमदनी अलग।
ओ जी ! आमदनी का तो ऐसा है कि आपसे संभले नहीं संभलेगी दौलत। फिर आप चाहें
तो देश में सैटल हों या विदेश में। चाहें तो अपना ही एक टापू एक द्वीप खरीद लें।
अपनी करेंसी अपना पासपोर्ट। कौन है रोकने वाला ? कोई न जी कोई न।
बस एक बार आपको डिसाइड भर करना है। श्रद्धालुओं की कमी नहीं रहेगी। ये मेरी
गारंटी है।
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