(दिल्ली के छुटभैया नेता से उनका नाम पूछना गजब हो गया)
आप
मेरा नाम नहीं जानते ? आप मेरा नाम नहीं जानते ? आप वाकई मुझे
नहीं जानते ? कमाल है ! आप अपने
आप को पत्रकार कहते हैं ? अब मैं क्या कहूं ? मैं 55 बरस से
पत्रकारिता में हूं और आप मेरा नाम पूछ रहे हैं, मैं इंदिरा गांधी के साथ नाश्ता करता था. मैं
नरसिंहराव के ज़माने में डिप्टी प्राइम मिनिस्टर कहलाता था. आप मेरा नाम नहीं जानते
? मैं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी का स्कॉलर रहा हूं. दुनिया
के तमाम देशों में मेरे पढ़ाये लोग राजदूत और प्राइम मिनिस्टर लगे हुए हैं और आप
मेरा नाम नहीं जानते ? कैसे पत्रकार हैं आप ? मैं तो कहूंगा
आप पत्रकार हैं ही नहीं.
आपको पता है देश-विदेश के कितने अखबारों
में मेरे एडीटोरियल छपते हैं ? आपको ये भी नहीं पता...तो आपको पता क्या है ?...आप अपने आपको
पत्रकार कहते हैं ?. मैं पिछले 50 सालों से अफगानिस्तान, ईराक़ जा रहा हूं.
आपको पता है ? आप अपने आपको पत्रकार कहते हैं ? आप पत्रकार हैं
ही नहीं।
आपको शायद पता नहीं न जाने कितने प्राइम मिनिस्टर मुझ से लगातार सलाह लेते
रहे हैं। वो कभी अपना हाथ दिखाते हैं, कभी कुंडली। वो
जानना चाहते हैं कि वो कब टूर पर निकलें। वास्तु हो या फेंग शुई सब विषयों पर मुझ
से कंसल्ट करते हैं और एक आप हैं कमाल है आप मेरा नाम नहीं जानते।
आप
को मालूम नहीं होगा न जाने कितनी एम्बेसी में मेरा
नियमित आना जाना है। कभी राजदूत कभी राष्ट्राध्यक्ष मेरी सलाह लेते हैं। दिल्ली का
ऐसा कोई स्टेट बेंकट नहीं जिसमें मेरे शिरकत नहीं होती। ये समझो दिल्ली में कोई
सरकारी, अर्ध सरकारी,
अंतराष्ट्रीय भोज ऐसा नहीं जिसमें मुझे न बुलाया जाता हो और एक आप हैं जो मुझ से
ये पूछ रहे हैं मेरा नाम क्या है। आपके इस अज्ञान पर मुझे बहुत अफसोस होता है। मुझे
आपसे शिकायत नहीं। मुझे शिकायत उनसे है जिन्होने
आपको पत्रकार बनाया है। कौन हैं ये लोग ? कहाँ से आते हैं
ऐसे लोग जो मुझे नहीं जानते।
कोई बड़ा नेता, मंत्री और प्रधान मंत्री का जब भी एयरपोर्ट से आना-जाना होता है
आप सदैव मुझे उनकी अगवानी में पाएंगे या उन्हें टाटा बाय बाय करता पाएंगे। यदि आपने
मुझे स्पॉट नहीं किया है तो क्या ये मेरे गलती है। ये आपका अज्ञान है। यू हेव नो आई
फॉर डिटेल। ये भला पत्रकारों के लक्षण हैं। कतई नहीं। बरखुरदार ऐसी बेखबरी से ज्यादा
दूर तक नहीं जा पाओगे।
आप शायद धर्म के विरुद्ध भी हैं।
नहीं तो इफ्तार पार्टी हो या कोई भंडारा मेरा बिना शुरू भी नहीं होता। सब जगह मैं
ही मेहमान-ए-खुसूसी होता हूँ। पोस्टरों पर मेरा नाम फोटो चस्पा रहता है। कोई धरना
हो आप मुझे वहाँ बैठा पाएंगे। विषय कोई भी हो मेरे सहभागिता भरपूर होती है। और अगर
मैं धरने पर नहीं बैठा दिख रहा हूँ तो
यकीन जानो मैं नींबू पानी या ग्लूकोज पिलाते हुए उनका धरना उठवाता हूँ। पिछले दस
साल में ऐसा कोई धरना नहीं जिसमें मेरा फोटो या तो दरी पर बैठे हुए या नींबू पानी
पिलाते हुए न हो और एक आप हैं जो मुझ से पूछ रहे हैं कि बता तेरा नाम क्या है। आप पत्रकार
नहीं हैं आप पत्रकार के नाम पर कलंक हैं।
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