Ravi ki duniya

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Friday, September 22, 2023

व्यंग्य ‘झकास’ नहीं बोलने का!

 


 

       लो जी ! अब कोर्ट ने ऑर्डर कर दिया है कि झकास बोलने का नहीं। मतलब आपको नहीं बोलने का है अभिनेता महोदय बोल सकते हैं बोले तो फकत वो ही बोल सकते हैं ये नहीं कि मैं तुम बाकी लोग झकास बोलें।

 

          मैं सोच रहा हूँ अब अगर यही चलन चल पड़ा तो सोचो बेटा इधर आपने मुंह खोला नहीं और उधर आप पर किसी न किसी अभिनेता ने  मुकदमा लगाया नहीं। क्यों कि ऐसा कोई न कोई संवाद आपके मुंह से निकल ही जाएगा जिसके लिए आपको कोर्ट-कचहरी करनी पड़ सकती है जिसके लिए आप को मुंह छुपाए-छुपाए घूमना पड़ेगा और मुंह की खानी पड़ेगी। अब इस तरह के शब्द जैसे जिल्ले-इलाही, रिश्ते मैं तो हम तुम्हारे...चिनोय सेठ ! जिनके घर शीशे के बने हों... आपके पाँव देखे इन्हें ज़मीन पर मत उतारना... ऐसे कोई भी वाक्य बोलने से पहले चार बार सोचें। हमारी कोर्ट-कचहरी पर पहले से ही बहुत वर्कलोड है।

 

   सोचो ! अब इसको कोई बोल पाएगा या नहीं ? बोल तेरे साथ क्या सलूक किया जाये... मेरे साथ ऐसा सलूक करो जैसा एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है। मुंह खोलने से पहले बहुत सोचना पड़ेगा!

  

      अब बीवी को या प्रेयसी को आई लव यू कहने से पहले भी पप्पू-पेजर को सोचना पड़ेंगा कुछ करना पड़ेंगा ! आज कोई हम पर भारी पड़ेला है।

     

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