Ravi ki duniya

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Monday, October 16, 2023

व्यंग्य पुलिस पुलिस होती है

 


 

          यह आगरा में गत सप्ताह चल रही रामलीला की घटना है। यूं आगरा में क्या कुछ नहीं हो सकता और होता भी है।  वहाँ प्रेम की अमर निशानी ताजमहल है। मुग़लों ने कुछ सोच-समझ कर ही न आगरा को अपनी राजधानी बनाया होगा। अलबत्ता वो अलग बात है कि वहाँ का पागलखाना भी खूब ही मशहूर है। पर अब तो इतने पागल जगह-जगह शहर- शहर हो गए हैं और उनके लिए कोई पागलखाना भी नहीं।   

 

          तो जी रामलीला चल रही थी। रामलीला वालों ने स्थानीय विधायक महोदय को चीफ-गेस्टी में बुला रखा था। अब विधायक हैं उनका यह कर्तव्य है कि अपने निर्वाचन  क्षेत्र के समारोहों की शोभा बढ़ाएँ। और फिर चुनाव भी तो नज़दीक ही हैं। दृश्य सीता के अपहरण का चल रहा था। यकायक बंदोबस्त में लगा एक सिपाही स्टेज पर चढ़ गया और उसने पुलिसिया अंदाज़ में डंडा लहरा के रावण को ललकारा “मैं सीता माता को नहीं ले जाने दूंगा” रावण सिपाही को जानता था। उसे सुन कर पसीने आ गए। वह बेचारा अपने डायलॉग ही भूल गया। इधर हमारे सिपाही महोदय तो डट गए और ज़िद पकड़ ली कि वह हनुमान भक्त है और उसके रहते, उसकी आँखों के सामने कोई सीता माता का अपहरण कर ले जाये ये उसे कतई मंजूर नहीं। “धिक्कार है ऐसी भक्ति पर और ऐसी सिपाहीगिरी पर अगर मैं सीता माता का अपहरण अपनी आंखों के सामने होता हुआ देखता रहूँ”। विधायक महोदय ने उस सिपाही को समझाने की कोशिश की। इस इलाके में उनके अच्छे खासे वोट हैं। लेकिन सिपाही टस से मस न हुआ और मरने-मारने पर उतारू हो गया। ऐसे में रावण ने पतली गली से कट लेने में ही भलाई समझी नहीं तो राम ने तो नाभि में तीर बाद में मारना है  इस पुलिस वाले ने तो यहीं मार-मार के नाभि को पहचानने लायक नहीं छोड़ना। रावण नकली है, पुलिस वाला असली। वो भी खालिस हनुमान भक्त। एक गदा प्रहार और दस के दस सिर स्टेज पर इधर-उधर लुढ़कते डोलेंगे। सिपाही के ऑफिसर को तलब किया गया तो उन्होने भी उसे समझाने की कोशिश की लेकिन सिपाही तो अड़ गया था बोला “साब ! आप हमेशा बोलते हो पुलिस लेट पहुँचती है। आज वारदात से पहले मैं यहाँ घटना स्थल पर ही हूँ, बल्कि पूरी वारदात का चश्मदीद गवाह हूँ तो मैं कैसे ये सब हो जाने दूँ। प्रोमोशन के वक़्त आप कह देते हो हरीशचंद कुछ कर के दिखाओ ! कई बड़ा केस सुलझाओ ! आज इतना बड़ा केस हाथ आया है और आप आ गए भांजि मारने।

         सीता माता का रोल कर रहा लड़का अलग नर्वस था। वह आज कहाँ फंस गया। उसे वैसे ही पुलिस-कचहरी से डर लगता है।

 

        लास्ट रिपोर्ट आने तक सुना है किसी ने पूरी वीडियो बना कर बड़े अफसरों की सेवा में किसी दूत के हाथों वायु-गति से पठा दी। सिपाही महोदय सस्पेंड कर दिये गए हैं पर उन्हें यह परम-संतोष है कि उन्होने सीता माता का अपहरण नहीं होने दिया। पवन-पुत्र कितने प्रसन्न होंगे यह वही जानता है। यह भक्त और भगवान के बीच की बात है।  इसमें नौकरी क्या ? और भला सस्पेंशन क्या ?  ये वही लोग हैं जिनके चलते मीरा हँसते-हँसते विष-प्याला पी गई थी। क्या वह थोड़े दिनों का सस्पेंशन नहीं काट सकता। इस पुलिस की श्रंखला में कोई तो उसके जैसा हनुमान भक्त होगा जो उसकी भक्ति की लाज रखेगा। नहीं तो गिरिवर तो उसे गिरि लंघवा ही देंगे।

        भूत पिशाच निकट नहीं आवे

        महावीर जब नाम सुनावे

        नासे रोग हरे सब पीरा

        जपत निरंतर हनुमत वीरा    

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