Ravi ki duniya

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Sunday, October 29, 2023

ऊंट

 

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ऊंट रे ऊंट तेरी कौन सी कल सीधी, ऊंट के मुंह में जीरा, पूरी ऊंटनी हो रही है, वक़्त खराब हो तो ऊंट पर बैठे आदमी को कुत्ता काट लेता है, ऊंट की चोरी और छुप-छुप के आदि कितने ही मुहावरे और कहावतों से हम सब परिचित हैं। रेगिस्तान के इस जहाज का भारत में आगमन सच में रेगिस्तान से ही हुआ था। ऊंट हिंदुस्तान का मूल निवासी नहीं है। क्या आपको पता है इसकी आँखों में पलकों की तीन परत होती हैं बोले तो तीन पलक होती हैं और पलकों के बालों की परत के भी दो सेट होते हैं। ये सब इसे रेगिस्तान की रेत से बचाता है।
ऊंटनी का दूध स्वास्थ्य के लिए बहुत मुफीद बताया जाता है। यह एंटी-ऑक्सीडेंट होता है और आपके बॉडी-सेल्स को नुकसान से बचाता है। विटामिन और मिनरल से भरपूर यह बहुत रिच होता है। आधा लीटर 100/- की दर से बिकता है अमूल इसे 100/- लीटर बेचता है.

खाने वालों ने इसे भी नहीं छोड़ा इसका मीट (कबसा) बहुत रिच होता है। अरब देशों मे विशेष अवसरों पर इसको पूरा का पूरा रोस्ट करके मेहमानों की आवभगत की जाती है। यह लो-क्लोस्ट्रल और लौह तत्व से भरपूर होता है। इसकी खाल को सजावट के काम में लिया जाता है। इसकी हड्डी से आभूषण भी बनाए जाते हैं। इसके मूत्र में मेडिसनल क्वालिटी बताई जाती हैं। पुष्कर में (अजमेर के करीब) पशु मेला अक्तूबर-नवंबर में इनका मेला लगता है। इसकी कीमत 75 हज़ार से एक लाख तक होती है। यह 6 से 7 महीने तक बिना पानी पिये रह सकता है। यह एक बार में 200 लीटर पानी पी सकता है, वह भी बस तीन मिनट में। इसका गर्भकाल 12 से 14 महीने तक होता है। जन्म के समय बहुधा यह एकदम सफ़ेद रंग का होता है, अरबी ज़ुबान मे ऊंट के 160 नाम हैं।

हिंदुस्तान में यह एक कूबड़ व दो कूबड़ वाले होते है, पायी जाने वाली ऊंट की कुछ प्रमुख नस्लें हैं मालवी, मारवाड़ी, मेवाड़ी, मेवाती, बीकानेरी, जैसलमेरी, जलोरी, कच्छी, खरारी लगभा एक दर्जन नस्लें हैं मगर प्रमुख चार हैं बीकानेरी, जैसलमेरी, कच्छी और मेवाड़ी। बीकानेरी ऊंट की नस्ल उम्दा मानी जाती है।

हिंदुस्तान के 80% ऊंट राजस्थान में पाये जाते हैं, ये सवारी के काम आते है और सामान इधर से उधर ले जाने में काम आते हैं। ये 500 किलो तक वज़न उठा सकते हैं। यह गुस्सा होने/लड़ाई होने पर जिससे गुस्सा है/ दुश्मन पर बहुत दूर तक थूक सकते हैं। ऊंटनी बहुत ईर्ष्यालु होती हैं। ऊंट मूलतः इमोशनल होता है। इनकी संख्या तेजी से घट रही है अब लगभग ढाई-तीन लाख ऊंट भारत में रह गए हैं। जिसमें अधिकतर राजस्थान में हैं और बाकी गुजरात में। हिंदुस्तान में ऊंट अरब आक्रमणकारियों के काफिले के साथ आए 8वीं सदी में आए थे। ऊंट की औसत आयु 40 से 50 साल होती है। इसकी रफ्तार औसतन 40 किलोमीटर प्रति घंटा होती है यद्यपि यह 65 किलोमीटर प्रति घंटा तक जा सकता है। संसार में सोमालिया में 60 लाख से ऊपर ऊंट हैं। दूसरे नंबर पर सूडान आता है जहां 30 लाख से ऊपर ऊंट हैं।

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